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स्व. कल्पेश याज्ञिक के बहाने जानिये अखबार का न्यूज़ रूम कैसे मौत का पिंजरा बनता जा रहा है
एक बड़े हिंदी अखबार का प्रधान संपादक रात साढ़े दस बजे अपने ही न्यूज रूम में कोलेप्स कर जाता है। महज 55 साल की उम्र में। यह महज सहानुभूति और सांत्वना व्यक्त करने वाली खबर नहीं है। यह खबर कहीं अधिक बड़ी है।