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उज्जैन के सिंहस्थ में आने वाले प्रमुख अखाड़े और उनका गौरवशाली इतिहास
भारतीय साधना के प्रारम्भिक विकास से नवीं शताब्दी तक हिन्दू धर्म का प्रचार-प्रसार पूर्णत: व्यक्तिगत रूप से मनीषियों द्वारा होता रहा। सर्वप्रथम स्वामी शंकराचार्य ने अपने अनुयायियों में एकता बनाये रखकर अपने सिद्धांतों के प्रचलन हेतु साधुओं का संगठन बनाया। एक मत यह भी है कि आचार्य शंकर का जीवन व्याख्यान, शास्त्रार्थ, लेखन कार्य आदि के कारण इतना व्यस्त था कि इनके द्वारा संतों का संगठन स्थापित करना संभव नहीं था।