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विक्रम और बेताल
हाल ही में किसी बुक स्टोर में विक्रम बेताल की फोटो को देखकर, विक्रम और बेताल की पूरी कहानी जैसे आँखों के सामने से गुजर गई. कितनी बेसब्री से हमें उस सीरियल का इंतज़ार रहा करता था. उसकी एक एक कहानी से मिलने वाली सीख को कितने जतन से संजोने का प्रयास किया करते थे.
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एस्कलेटर
कोई मुझे कभी अकेले नहीं जाने देता। मॉल हो या मेट्रो स्टेशन मैं हमेशा लदा हुआ ही चलूँगा। कोई मुझे दो पल सांस भी नहीं लेने देता। और तो और मैं जब काम पर हड़ताल कर देता हूँ तब भी सब मेरे ऊपर से धप्प धप्प करके निकल जाते हैं. या ख़ुदा इन बड़े दिलवालों ने तो मेरी लाइफ ही छोटी कर दी!
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थोड़ी सी खुशी
अचानक दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी, रावी ने जाकर दरवाज़ा खोला तो स्तब्ध रह गयी| लेकिन यह क्या, ये तो वही व्यक्ती है जिनसे रावी कल मिली थी|
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प्रकृति की गोद में सुकुन के दो पल
प्रकृति की गोद में वो सुख है, जो हज़ारों की संपत्ति पाकर भी नहीं मिलता। इसके सानिध्य में रहकर मनुष्य जीने की प्रेरणा पाता है। प्रकृति की हरियाली में सुख और शांति है। आधुनिकता में सुविधाएँ है परन्तु सुविधाएँ जीने के लिए काफी हो यह भी संभव नहीं है। एक समय था जब […]
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डाइनिंग टेबल
सूने घर में सजी डाइनिंग टेबल खुद से ही बातें करने को मजबूर थी। थोड़ी दूर पर पड़ा सोफा सेट हर समय ऊंघता रहता था ,उसे पता नहीं कितनी नींद आती है ?