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कोविड -19 महामारी के बाद श्री राम सेंटर में पहलीबार नाटक का मंचन कल
शतरंज के मोहरे, अशर का एक दिन, भूमिजा, कंचन रंग, जास्मा ओडन और शतुरमुर्ग आदि जैसे कई लोकप्रिय नाटकों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई है।
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एक संपादक की आपबीतीः मुजफ्फरपुर कांड में कई सफेदपोश जेल जाने से बच गए
खैर, अब तो सजा हो गयी है। फिर भी बहुत सारे ऐसे रसूखदार लोग हैं जिन्हें सिस्टम ने बचा लिया। लेकिन, अभी भी उम्मीद खत्म नहीं हुई है क्योंकि खेल अभी बाकी है।
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निमंत्रण पुस्तक लोकार्पण : अनन्या मुख़र्जी की पुस्तक “ठहरती साँसों के सिरहाने से : जब ज़िन्दगी मौज ले रही थी (कैंसर डायरी)”
2016 में पता चला कि अनन्या को स्तन कैंसर था, जब उनका इलाज चल रहा था तो उन्होंने कैंसर से जुड़े अपने अनुभवों,
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दिल्ली में गिरीश कारनाड की स्मृति सभा
स्मृति सभा का आगाज गिरीश कारनाड पर आधे घंटे की डॉक्युमेंटरी से हुई .इस डॉक्युमेंटरी में कारनाड द्वारा अपने शुरूआती दिनों के संघर्ष के साथ-साथ उनकी शिक्षा एवं नाट्य लेखन
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‘नो फादर इन कश्मीर’ फिल्म से होगी 14वें हैबिटेट फ़िल्म समारोह की शुरुआत
इंडिया हैबिटेट सेंटर के 14वें हैबिटैट फिल्म फेस्टिवल संस्करण के सिनेमाई सफर का आरंभ अश्विन कुमार की हाल ही में प्रकाशित फिल्म ‘नो फ़ादर इन कश्मीर’ से कल शुक्रवार 17 मई शाम 6 बजे होगा|
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काश यह पुस्तक मेने लिखी होती : पुष्पेश पन्त
उपन्यासकार एवं जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-निदेशक नमिता गोखले के उपन्यास ‘राग पहाड़ी’ पर बातचीत का आयोजन राजकमल प्रकाशन द्वारा इंडिया हेबिटेट सेंटर में किया गया।
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‘कुछ बातें अस्थि फूल पर’ कार्यक्रम का आयोजन
राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित अस्थि फूल उपन्यास आंदोलन और विस्थापन के बहुपरतीय सवालों से जूझता, झारखंड आंदोलन और वहाँ की औरतों के बाजार में बेचे जाने की दारुण
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अरुंधति रॉय ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ का लोकार्पण
इस पुस्तक में भारत में जातिगत पक्षपात, पूंजीवाद, पक्षपात के प्रति आंख मूंद लेने की आदत, आम्बेडकर की बात को गांधीवादी बुद्धिजीवियों द्वारा खंडन और संघ परिवार का हिंदू राष्ट्र तक लिखा है।
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अरुंधति रॉय का उपन्यास ‘अपार खुशी का घराना’ और ‘बेपनाह शादमानी की ममलिकत’ का लोकार्पण
शादमानी की ममलिकत’ का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हुआ। इस उपन्यास का हिंदी में अनुवाद वरिष्ठ कवि
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पॉकेट बुक्स के सुपर स्टार लेखक की आत्मकथा छपेगी अब मुख्यधारा के सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन से
राजकमल प्रकाशन समूह के संपादकीय निदेशक सत्यानन्द निरुपम ने किताब की उपलब्धता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि –“हम नहीं चंगे बुरा नहीं कोय”2019 अप्रैल के दूसरे हफ्ते बाज़ार