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राजेंद्र माथुर की पत्रकारिता और आज की पतन की पत्रकारिता
माथुर साहब के मित्र और पाठक उन्हें रज्जू बाबू के प्रिय सम्बोधन से ही जानते थे।’नई दुनिया’अख़बार के दफ़्तर में भी उनके लिए यही सम्बोधन प्रचलित था- मालिकों से लेकर सेवकों और उनसे मिलने के लिए आने वाले पत्रकार-लेखकों तक।