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जीवन के सभी रसों और रंगों में भीगी कविताएँ
रेखा भाटिया का नया काव्य संग्रह 'सरहदों के पार दरख़्तों के साये में' मिला। एक ही बैठक में उसे पढ़ लिया। सबसे पहले तो मैं उसके शीर्षक से बहुत प्रभावित हुई।
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‘जिन्हें जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था’ – घर-घर पढ़ा जाने वाला उपन्यास
रामेश्वर के साथ एक और पात्र है, शाहनवाज़। रामेश्वर उन्हें अपने बेटा मानते हैं और उसी के इर्द -गिर्द सारा उपन्यास घूमता है। बहुत कुछ आपको बता दिया, अब आप उपन्यास पढ़ कर पूरी कहानी जाने।
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‘विभोम स्वर’ का प्रवेशांक ( अप्रैल-जून 2016) अब ऑनलाइन उपलब्ध
'विभोम स्वर' का प्रवेशांक ( अप्रैल-जून 2016) अब ऑनलाइन उपलब्ध है। इस अंक में शामिल है कहानियाँ : हर्षबाला शर्मा, भावना सक्सैना , विकेश निझावन, आकांक्षा पारे, सपना मांगलिक, रेखा राजवंशी।