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लंकेश का स्तुति गान ना हो, अरविंद त्रिवेदी की भूमिका को ना भूलें
राष्ट्र अपने तीन दशक पहले की रामायण-चेतना को जी रहा है। ऐसे अवसर पर “रावण” का नायकत्व बाँचा जाना, किसी भी स्थिति में प्रभु श्रीराम के देश को स्वीकार्य नहीं।
राष्ट्र अपने तीन दशक पहले की रामायण-चेतना को जी रहा है। ऐसे अवसर पर “रावण” का नायकत्व बाँचा जाना, किसी भी स्थिति में प्रभु श्रीराम के देश को स्वीकार्य नहीं।