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बाबा रामदेव का नया दाँव, अब हवाई अड्डों पर भी मिलेंगे पतंजलि के उत्पाद

लगातार सेल्स बढ़ा रही पतंजलि आयुर्वेद के स्टोर्स अब एयरपोर्ट्स पर भी होंगे। विदेशियों को ध्यान में रखते हुए कंपनी यह कदम उठा रही है। विदेशों में पतंजलि प्रॉडक्ट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए और विदेश जा रहे भारतीयों को एयरपोर्ट पर ही प्रॉडक्ट्स उपलब्ध कराने के लिए पतंजलि स्टोर्स खोलेगी। स्टोर्स खोलने के लिए ओरलकेयर प्रॉडक्ट्स बनाने वाली कंपनी जेएचएस स्वेनगार्ड लैबरेटरीज पतंजलि आयुर्वेद के साथ पार्टनरशिप में है।

जेएचएस स्वेनगार्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर निखिल नंदा ने बताया कि एयरपोर्ट्स पर कैप्टिव ऑडियंस होती है, जिन्हें पतंजलि इन स्टोर्स के जरिए टारगेट करेगा। उन्होंने बताया कि अगले दो साल में एयरपोर्ट्स पर उपलब्ध जगह के आधार पर 100 स्टोर्स खोलने की योजना है। इस तरह का पहला स्टोर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट के टी2 टर्मिनल पर खुला था।

पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने बताया, ‘एयरपोर्ट पर स्टोर्स खोलकर हम अंतरराष्ट्रीय यात्रियों तक पहुंचना चाहते हैं क्योंकि पतंजलि के प्रॉडक्ट्स की दुनिया भर में मांग है।’ उन्होंने कहा कि कंपनी दूसरी फर्मों के साथ रिटेल पार्टनरशिप करने के लिए भी तैयार है। एयरपोर्ट्स पर स्टोर्स जेएचएस स्वेनगार्ड रिटेल वेंचर खोल रहा है, जो जेएचएस स्वेनगार्ड का हिस्सा है।

पतंजलि की सेल्स वित्त वर्ष 2012 में 453 करोड़ रुपये थी, जो 2017 में 20 गुना बढ़कर 10,561 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी रोजाना इस्तेमाल होने वाले प्रॉडक्ट्स की बिक्री करती है। इनमें शैम्पू, टूथपेस्ट, बिस्किट, नूडल्स और पैकेज्ड वॉटर शामिल हैं। जेएचएस स्वेनगार्ड्स पतंजलि, डाबर और सीधे ग्राहकों को सामान बेचने वाली फर्म एमवे के लिए टूथपेस्ट बनाता है। यह एल्डर हेल्थ केयर और जेएल मॉरिसन्स के लिए भी ओरल प्रॉडक्ट्स भी बनाता है। नंदा ने बताया कि कंपनी अपने कोर बिजनस को बढ़ाते हुए पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स और कॉस्मेटिक्स की बिक्री करने की योजना बना रही है।

नंदा ने बताया, ‘हम दो कंपनियों को खरीदने के लिए बातचीत कर रहे हैं, जो ओरलकेयर के अलावा दूसरे प्रॉडक्ट्स भी बनाती हैं। इससे हमें ओरल केयर के अलावा नैशनल फुटप्रिंट के साथ-साथ एक बाजार भी मिलेगा।’ हालांकि, उन्होंने इस डील को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं दी। नंदा ने कहा कि यह डील इस साल की दूसरी तिमाही तक पूरी हो सकती है।

साभार-इकानॉमिक टाईम्स से