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कैलिफ़ोर्निया के मंदिर में बैसाखी मेले की धूम

पिछले शनिवार १५ अप्रैल को कैलिफोर्निया के Pasadena Hindu Temple में बैसाखी का मेला बहुत ही धूम धाम से मनाया गया।

पिछले दो महीनों से कैलिफ़ोर्निया पर इंद्र देव इतने मेहरबान रहें हैं की कई हफ़्तों तक सूर्यदेव के दर्शन दुर्लभ हो गए हैं। ऐसे में जब बैसाखी मेले के आयोजन के बारे में सोच गया तो कहीं न कहीं सबको ये भय था की बारिश सारा खेल गड़बड़ न कर दे पर सौभाग्य से शनिवार सुनहली धूप वाला दिन रहा और इस गुनगुनी धूप में मंदिर का प्रांगण स्वर्णिम आभा से नहा उठा।

मन्दिर के प्रांगण को झंडियों से सजाया गया था। जैसा हम अपने देश में करते थे। छोटे-छोटे बहुत से स्टॉल लगाए गए थे। कहीं कपडे बिक रहे थे तो कहीं पेंटिंग और गहने बिक रहे थे। जीवन बीमा का स्टॉल भी लगा था। बच्चों के लिए दो अलग-अलग दुकानें लगीं थीं। एक जहाँ विभिन्न प्रकार के खेल थे जो बच्चे खेल रहे थे और आनंद ले रहे थे। एक जगह बुढ़िया के बाल बन रहे थे और पॉपकॉर्न बिक रहे थे। खाने की बहुत सी दुकाने लगीं थीं। जहाँ बहुत तरह के खाने बिक रहे थे। लोग यहाँ खेल के साथ खाने का भी आनन्द ले रहे थे। किसी मेले में बिंगो का खेल हो तो मेला और रोमांचक हो जाता है, इसलिए बिंगो को लोगों ने बहुत पसंद किया।

मंदिर के प्रांगण में ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए जिसमें बच्चों और बड़ों के पंजाबी नृत्य हुए। सबसे अच्छे परिधान की प्रतियोगिता हुई। यह प्रतियोगिता दो भागों में आयोजित की गयी। कनिष्ठ वर्ग और वरिष्ठ वर्ग (बच्चों और बड़ों का)। कनिष्ठ वर्ग में प्रथम स्थान अमोल अग्रवाल को मिला और द्वितीय स्थान अलीशा को मिला। वरिष्ठ वर्ग में प्रथम स्थान रुपी वालिया और द्वितीय स्थान वंदना बजाज को मिला। इस प्रतियोगिता में बच्चे और बड़े दोनों ने ही बहुत बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया। इस प्रतियोगिता के हमारे जज थे, माधुरी अग्रवाल, डॉ मंजू कुमार, नीता अग्रवाल, शान्ता जी और निरुपमा सिंह।

एच टी एच एफ बोर्ड के सदस्य डॉ निर्मल कुमार जी ने मेले में आये हुए लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अभी हमारा मंदिर छोटा है पर भगवान की कृपा से हम जल्दी ही नए मंदिर का मिर्माण प्रारम्भ करेंगे। संभवतः अगले वर्ष यहाँ बैसाखी का कार्यक्रम नहीं होगा क्योंकि यहाँ नए मंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा। जिन दिनों यहाँ मंदिर का पुनर्निर्माण होगा, मंदिर को थोड़े दिनों के लिए कहीं और शिफ्ट किया जाएगा। उन्होंने सभी स्वयं सेवकों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके ही अथक प्रयास से आज ये मेला इतना सफल हुआ।

इस मेले को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई टोलियां बनायीं गयीं थीं जैसे खाने, सजावट, खेल, फोटोग्राफी, सेटअप और सफाई की टीम इत्यादि। रीमा मदान जी ने लोगों को बैसाखी क्यों मनाई जाती है, ये बताया। इस कार्यक्रम का संचालन रचना श्रीवास्तव और मोना बत्रा ने बड़ी ही कुशलता से किया। इन दोनों ने सभी टीम के सदस्यों का हृदय से बहुत आभार व्यक्त किया और कहा कि आप सभी के अथक प्रयास से ही आज का कार्यक्रम इतना सफल हुआ है। इस मन्दिर में यह कार्यक्रम प्रथम बार आयोजित किया गया था। इसकी सफलता से आयोजक बहुत ही उत्साहित थे।

जब भी कोई त्यौहार आता है तो हम सभी भारतवासियों को अपना देश और भी याद आता है। ऐसे में इस तरह के आयोजन हमें उत्साह से भर देते हैं। हमारे पेपर से बात करते हुए लोगों ने बताया कि आज उनको यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा उनको ऐसा लगा ही नही कि वह भारत में नहीं हैं।

बैसाखी मेले की बात करते हुए एक बात यहाँ कहना ज़रूरी है की यहाँ के हिन्दू मंदिर कितनी ही बार अनगिनत समस्याओं से जूझते हैं पर यहाँ के कुछ मुट्ठी भर लोग अपनी आस्था और सहायता से अपने मंदिरों को और अपनी परम्पराओं को बचाये रखते हैं। मसलन, Pasadena के Hindu Temple में पिछले २-३ महीनों में २-बार चोरियां हुईं। पहली बार चोर दानपात्र से सारा दान चुरा कर ले गए। मंदिर ने दूसरे दानपात्र की व्यवस्था की और इस बार एक बड़ा दानपात्र रखा गया जिसके ताले को तोडना आसान नहीं था। लगभग तीन हफ्ते पहले फिर से चोरी हुई और चोर खिड़की के रास्ते मंदिर में घुसे, भगवान का सारा जेवर ले गए और दानपात्र का ताला न तोड़ पाने की सूरत में वे पूरा दानपात्र ही अपने साथ ले गए। कैलिफ़ोर्निया का ये मंदिर लोगों की सेवा और सहायता से ही पिछले ४०-वर्षों से चलता रहा है। ऐसे में दो लगातार चोरियों ने बहुत मुश्किलें पैदा कर दी हैं फिर भी लोगों ने रामनवमी और बैसाखी उतने ही उत्साह से मनाया क्योंकि जिसके पास ईश्वर हैं, उसके बल को कौन तोड़ सकता है। नए मंदिर को बनाने के लिया बहुत धन की ज़रुरत होगी इसलिए जो भी इस मंदिर के निर्माण के लिए सहयोग करना चाहें, वे
www.thepasadenahindutemple.org पर डॉ मंजू कुमार से सम्पर्क करके मंदिर को दान दे सकते हैं। उम्मीद है अब और कोई विपदा नहीं आएगी और ईश्वर भटके हुए लोगों को सही राह दिखाएंगे।

फोटो सौजन्य अविनाश श्रीवास्तव

रचना श्रीवास्तव अमेरिका में रहती हैं और वहां की गतिविधियों पर नियमित रूप से लिखती हैं।