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तकनीक एवं सहयोग का बेहतरीन नमूना

आखिर 1.3 अरब लोगों के लिए एक मोबाइल ऐप्लिकेशन तैयार करने में कितनी मशक्कत करनी पड़ती है? जाहिर है, ऐसा कोई ऐप्लिकेशन सही मंशा, साझेदार, तकनीक और अधिक से अधिक आपसी सहयोग के बिना तैयार नहीं किया जा सकता है।

कोविड-19 महामारी ने जब भारत में पांव पसारना शुरू किया था तो सरकार ने पिछले वर्ष मार्च में माईगॉव कोरोना हेल्पडेक्स चैटबॉट की शुरुआत की थी। शुरू में यह मोबइल ऐप्लिकेशन तैयार करने का मकसद भारत सरकार और वैश्विक स्रोतों से विश्वस्त जानकारियां मुहैया कराना था। तब से इस ऐप में कई उपयोगी खूबियां (फीचर्स) जोड़ी गई हैं। इनमें उपयोगकर्ताओं को कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र डाउनलोड करने में मदद करना भी शामिल है। अब इस ऐप के जरिये लोग टीकाकरण के लिए स्लॉट (टीकाकरण का समय) भी ले सकते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय में सीईओ, माईगॉव, अभिषेक सिंह कहते हैं, ‘यह ऐप शुरू करने का विचार सबसे पहले 13 मार्च, 2020 को आया और अगले पांच दिनों यानी 19 मार्च को तैयार भी हो गया। एक सप्ताह के भीतर 1 करोड़ लोग चैटबॉट का इस्तेमाल करने लगे। तब से लेकर अब तक इस ऐप में कई खूबियां जोड़ी गई हैं। इस समय 4.5 करोड़ से अधिक लोग इस चैटबॉट का इस्तेमाल करते हैं।’

सिंह ने कहा कि सरकार की तरफ से चैटबॉट तैयार करने के लिए पांच लोगों की एक छोटी टीम ने पहल की थी। सिंह चैटबॉट के लिए व्हाट्सऐप और कारोबार सेवा प्रदाता हैप्टिक के साथ लगातार संपर्क में रहे। व्हाट्सेएप इंडिया में निदेशक (लोक नीति) शिवनाथ ठुकराल ने कहा, ‘अब तक 4.5 करोड़ लोगों ने इस ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल किया है और 35 लाख लागों ने कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्र डाउनलोड किए हैं। इनके अलावा 10 लाख लागों ने टीकाकरण का स्लॉट लेने के लिए माईगॉव कोरोना हेल्पडेक्स चैटबॉट का इस्तेमाल किया है।

ये आंकड़े स्पष्ट संकेत देते हैं कि चैटबॉट महामारी में लोगों के लिए विभिन्न सूचनाओं एवं सुविधाओं का एक सशक्त मंच बन गया है। हमने इस चैटबॉट तैयार करने की प्रक्रिया में सार्थक रूप से काम किया है। सरल एवं इस्तेमाल में आसान तकनीक से लैस इस सुविधा पर हम हर्षित हैं।’ उन्होंने कहा कि इस महामारी में परेशान लोगों को सरल एवं प्रभावी ढंग से जानकारियां देने एवं उनकी जरूरतें पूरे करने के लिए व्हाट्सऐट की टीम माईगॉव और हैप्टिक के साथ मिलकर काम करती है। जब इतनी बड़ी संख्या में लोग चैटबॉट का इस्तेमाल करते हैं तो आखिर यह सब इतनी सुगमता से कैसे होता है, खासकर जब नई घोषणाएं की जाती हैं?

हैप्टिक के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘लोगों को चैटबॉट चलाने में कोई बाधा नहीं आए इसके लिए लोग चौबीस घंटे काम कर रहे हैं। हमने एक ऐसी व्यवस्था तैयार की है जिससे लोगों को तत्काल सेवाएं देने में कोई व्यवधान नहीं आता है। चैटबॉट में प्रति सेकंड हजारों आग्रह पूरे किए जा सकते हैं।’

इसके जरिये लोगों के लिए टीकाकरण प्रमाणपत्र भी डाउनलोग करना आसान हो गया है। सिंह ने कहा, ‘टीकाकरण प्रमाणपत्र की सुविधा देने में करीब एक सप्ताह का समय लग गया। चैटबॉट के जरिये टीकाकरण के लिए स्लॉट के चयन की सुविधा देने में अतिरिक्त 7-10 दिन लग गए थे।’

चैटबॉट पर सामग्री एवं सुविधाएं डालने से पहले स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, गृह मंत्रालय सिहत विभिन्न मंत्रालयों की सहमति ली जाती है। इस चैटबॉट में कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस) का भी इस्तेमाल होता है।

साभार- https://hindi.business-standard.com/ से