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वनवासी परिवारों में खुशियों की सौगात दी भागवत परिवार ने

मुंबई का श्री भागवत परिवार भारतीय मूल्यों, संस्कृति जीवन शैली को नई पीढ़ी से जोड़ने के साथ ही मुंबई से दूर वनवासी क्षेत्रों में रह रहे वनवासियों को अपनी समृध्द सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। श्री भागवत परिवार ने अपने इसी अभियान के तहत मुंबई के पास पालघर में पालघर के आसपास के गाँवों के 201 वनवासी जोड़ों के विवाह समारोह का आयोजन किया। इस आयोजन का खास पहलू ये है कि वनवासी क्षेत्रों में वनवासी युवा शादी तो कर लेते हैं लेकिन उनके समाज की परंपरा के अनुसार उस विवाह को वनवासी समाज की मान्यता तब तक नहीं मिलती जब तक कि शादी के बाद पूरे गाँव को भोजन के लिए आमंत्रित नहीं किया जाए। हर वनवासी की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह शादी के बाद पूरे गाँव को भोजन करवाए। इसके अलावा भी ऐसे जोडों को कई सामाजिक बंधनों का सामना करना पड़ता है।

इस विवाह समारोह के आयोजन में सूरत के के जाने माने उद्योगपति और बिल्डर श्री विमल पोत्दार की अहम भूमिका रही। वे सूरत से सपत्नीक इस समारोह में आए और पूरे आयोजन को सफल बनाने के लिए अपनी ओर से हर संभव मदद की।

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श्री भागवत परिवार के समन्वयक श्री वीरेन्द्र याज्ञिक के मार्गदर्शन में संपन्न इस शानदार आयोजन में श्री भागवत परिवार के अध्यक्ष श्रीएसपी गोयल के साथ ही श्री सुभाष चौधरी, श्री सुनील सिंघल, श्री पीएस श्रीमाली, श्री सुरेन्द्र विकल, श्री लक्ष्मीकांत सिंगड़ोदिया, प्रमोद कुमार दिंदलिश, बनमाली चतुर्वेदी, सुशील शर्मा, विनोद लाठ, पवन केड़िया नारायण अग्रवाल, चंद्रपाल सिंह, फतेहचंद अग्रवाल, श्रीमती शालिनी गोयल, निशा सिंघल, शिवांगी सिंघल, उद्गम सिंघल सहित कई सदस्य शामिल हुए।

इस आयोजन में शामिल होना और वनवासी जोड़ों और उनके परिवार की सादगी, सरलता और बाल सुलभ भोलेपन को अपनी आँखों से देखना और प्रत्यक्ष अनुभव करना अपने आप में एक दुर्लभ अनुभव था। हम अपनी शहरी जिंदगी में तमाम सुविधाओं के बावजूद किसी भी छोटी सी असुविधा से परेशान हो जाते हैं, लेकिन ये 201 जोड़े आयोजकों के निर्देश पर बगैर किसी हड़बड़ी के पूरे 3 घंटे 40 डिग्री की प्रचंड गर्मी में एक शमियाने के नीचे सहज सरल भाव से बैठे रहे। न किसी ने पीने को पानी माँगा न गर्मी की शिकायत की, जबकि मुंबई से गए हम सब लोगों के लिए ये गर्मी जानलेवा बनी हुई थी। इस शादी में शामिल हुए इनके परिवार के लोग बच्चे, बूढ़े भी आसपास के एक दो पेड़ों के नीचे पूरी शांति से बैठे रहे। चिलचिलाती धूप में लू के थपेड़ों के बीच सभी जोड़े और इनके परिवार जिस मस्ती और आनंद से खुली ट्रकों में और टेंपों में बैठकर इस आयोजन में आ रहे थे तो ऐसा लग रहा था जैसे इस भयावह गर्मी से इऩको कोई लेना-देना ही नहीं है। ये देखकर हैरानी भी हुई कि कई छोटे छोटे बच्चों और बुजुर्गों के पास भी पहनने को चप्पल तक नहीं थी मगर ये लोग नंगे पार मजे से आग उगलती धरती पर चल रहे थे।

मुंबई के एक समृध्द परिवार के श्री संजय पटेल ने लगातार कई साल वनवासियों के साथ गुजारे और उनके बीच में रहकर उनकी सामाजिक मान्यताओँ और इससे उपजी समस्याओं पर अध्ययन कर इस नतीजे पर पहुँचे कि जब तक शहरी समाज का संपन्न वर्ग इनकी समस्या के समाधान के लिए आगे नहीं आएगा ये वनवासी समाज आपनी इन प्रथाओं में उलझकर रह जाएगा या मिशनरियों के धर्म परिवर्तन के षड़यंत्र का शिकार हो कर अपनी जड़ों से हमेशा हमेशा के लिए कट जाएगा। इस पूरे आयोजन को सफल बनाने और गाँव गाँव घूमकर शादी के जोडों को इस आयोजन में लाने में श्री पटेल के योगदान के बगैर ये आयोजन शायद ही संभव हो पाता। भारत विकास संगम नाम की अपनी संस्था के माध्यम से श्री पटेल अभी तक 16 हजार वनवासी जोडों की शादी करा चुके हैं। वे पूरी सक्रियता से तन-मन और धन से वनवासियों को मिशनरियों के शोषण से बचाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं।

श्री पटेल से मिलना भी अपने आप में एक दिलचस्प अनुभव था। उन्होंने वनवासी परिवारों को अपनी भारतीयता से जोड़े रखने में अपना पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया है। वे प्रतिदिन मात्र दो गिलास गाय का दूध पीते हैं। सूर्यास्त के बाद और सूर्यास्त के पहले। इसके अलावा वे दिन भर पानी भी नहीं पीते, लेकिन काम करने की ऊर्जा और जोश ऐसा कि देखते ही बनता है। खुदा बंगला गाड़ी सब-कुछ होते हुए भी वे फक्कड़ साधु की तरह वनवासियों में रमे रहते हैं और देश भर में घूमकर वनवासियों के साथ ही समय बिताते हैं।

इस समारोह में महाराष्ट्र के वनवासी मंत्री श्री विष्णु सावरा, महाराष्ट्र के उपगृह सचिव, क्षेत्रीय विधायक सांसद व कई प्रमुख व्यक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित थे।