देविका राजारमन की भरतनाट्यम प्रस्तुति ने जीता दिल

नई दिल्ली। छह अक्टूबर की शाम राजधानी के सांस्कृतिक कला प्रेमियों के लिए नया अनुभव लेकर आई। नाट्य वृक्ष की संस्थापक-अध्यक्ष पद्मश्री गीता चंद्रन की शिष्या देविका राजारमन ने भरतनाट्यम पर अपनी प्रस्तुति से लोगों को मुग्ध कर दिया। चिन्मय मिशन ऑडिटोरियम में हुई इस प्रस्तुति के दौरान उपस्थित दर्शकों ने देविका की आत्मविश्वास से भरी प्रस्तुति की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। गीता चंद्रन ने नट्टुवंगम, के. वेंकटेश्वरन ने वोकल, मनोहर बलातचंदीरेन ने मृदंग और जी. राघवेंद्र ने वायलिन वादक के रूप में सहयोगी कलाकारों की भूमिका निभाते हुए प्रस्तुति को मनमोहक बनाया।

देविका की इस प्रस्तुति में भरतनाट्यम के प्रति उनके 25 वर्ष का समर्पण झलक रहा था। साथ ही यह कला के क्षेत्र में उनकी यात्रा का नया पड़ाव बनकर भी सामने आया। अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ उन्होंने पुष्पांजलि से किया। अपनी प्रस्तुति का प्रारंभ उन्होंने पुष्पांजलि से किया, जो देवताओं के लिए फूलों की पेशकश है, इसके बाद भगवान शिव को मनाता श्लोकम प्रस्तुत किया। इसके उपरांत देविका ने वर्णम प्रस्तुत किया, जो भरतनाट्यम प्रदर्शन में केन्द्रीय पीस है। उनकी अगली प्रस्तुति रही तेलुगू में सुब्बरमा दीक्षिथार पादम। जिविष्णववी संत तिरुमांगी अलवर द्वारा लिखित दिव्य प्रभंदम पासूरम में छंद के बाद राग हिंदोलम में एक तिलाना के साथ अपने शानदार प्रस्तुतिकरण को विराम दिया।

देविका ने सात साल की उम्र से गुरु पद्म भूषण डॉ. सरोजा वैद्यनाथन के सानिध्य में भरतनाट्यम सीखने की शुरुआत की थी। तब से वह लगातार इस कला से जुड़ी हैं। अमेरिका की न्यू मैक्सिको स्टेट यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स करते हुए देविका ने वहां भी अपनी कला से लोगों को सम्मोहित किया। 2012 में भारत वापसी के बाद उन्होंने स्वयं को पूरी तरह नृत्य के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत भर में विभिन्न एकल एवं समूह नृत्य महोत्सवों में हिस्सा लिया है। हाल ही में उत्तर प्रदेश पर्यावरण मंत्रालय द्वारा आगरा में आयोजित ताज महोत्सव में भी उन्होंने प्रस्तुति दी थी। वह नृत्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं।

दिसंबर, 2016 में उनके जीवन में नया पड़ाव आया, जब उन्होंने स्वयं को गुरु पद्मश्री गीता चंद्रन के सानिध्य में नाट्य वृक्ष से जोड़ लिया। देविका कहती हैं कि अक्का (गुरु गीता चंद्रन) के साथ कक्षा में बिताए हुए हर पल से कुछ सीखने को मिलता है। देविका नृत्य को व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का माध्यम मानती हैं। वह तापस (द अकेडमी फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स) की संस्थापक निदेशक हैं। तापस ने दिल्ली में शास्त्रीय नृत्य व संगीत के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है। तापस पिछले चार साल से भारतम के नाम से भरतनाट्यम की कार्यशाला और प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। देविका दिल्ली सरकार के अंजुमन कार्यक्रम से भी जुड़ी हैं और छात्रों के बीच शास्त्रीय कला के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से नियमित रूप से सरकारी स्कूलों में जाती हैं।