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बिल गेट्स की नीयत भी ठीक नहीं है सरकार की गोपनीय जाँच

 
ग्रीनपीस इंडिया और फोर्ड फाउंडेशन के बाद अब होम मिनिस्ट्री के निशाने पर बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन आ गया है। यह एनजीओ माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स और उनकी पत्नी मेलिंडा चलाती हैं।
 
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि मिनिस्ट्री इंटेलिजेंस एजेंसियों से इनपुट मिलने के बाद देश की एक प्रमुख हेल्थ बॉडी को फंडिंग में फाउंडेशन की भूमिका पर विचार कर रही है। उन्होंने कह कि जांच अभी शुरुआती दौर में है।
 
 
अधिकारी के मुताबिक, 'यह आधिकारिक जांच नहीं है। हम सिर्फ कामकाज पर विचार कर रहे हैं क्योंकि हमारे ध्यान में कुछ विशेष जानकारी लाई गई है।'
 
अधिकारी ने कहा कि यह ग्रीनपीस इंडिया के खिलाफ मिनिस्ट्री की ओर से हाल में उठाए गए कदमों से अलग मामला है। मिनिस्ट्री ने कुछ समय पहले ग्रीनपीस इंडिया का एफसीआरए लाइसेंस निलंबित कर दिया था, जिससे इस एनजीओ को अब विदेश से चंदा नहीं मिल सकता है।
 
बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें मिनिस्ट्री के कदम की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, 'भारत सरकार ने हमसे संपर्क नहीं किया है।'
 
बिल गेट्स ने वर्ष 2000 में इस फाउंडेशन की शुरुआत की थी। यह बहुत से भारतीय एनजीओ और संगठनों को बड़ी मात्रा में चंदा देता है। इसकी वेबसाइट पर कहा गया है कि उसकी भारत में केंद्र और राज्य सरकारों, एनजीओ, कम्युनिटी ग्रुप, अकादमिक संस्थानों और प्राइवेट सेक्टर के साथ पार्टनरशिप्स हैं।
 
बिल और मेलिंडा गेट्स, दोनों को जनवरी में सोशल वर्क में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इस वजह से इनके एनजीओ के खिलाफ सरकार की ओर से कोई कदम उठाना मुश्किल लग रहा है।
 
मोदी सरकार अभी तक देश के एनजीओ के खिलाफ सख्त रवैया रखती रही है। सरकार ने 10,117 एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कैंसल किया है, 34 एसोसिएशंस के एकाउंट्स जब्त किए हैं, 69 पर विदेश से फंड लेने के लिए प्रतिबंध लगाया है और फोर्ड फाउंडेशन सहित 16 फॉरेन डोनर एजेंसीज को 'पूर्व अनुमति' कैटेगरी में रखा है। इस कैटेगरी में सरकार विदेशी एजेंसियों से मिलने वाले डोनेशन की जांच करती है।
 
होम मिनिस्ट्री के अधिकारी ने बताया कि अगर ग्रीनपीस इंडिया अपने एफसीआरए लाइसेंस के निलंबन पर नौ मई तक सरकार को जवाब नहीं देता तो यह लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
 
अधिकारी ने कहा, '9 अप्रैल के ऑर्डर में हमने ग्रीनपीस इंडिया को एक महीने के अंदर होम सेक्रेटरी को जवाब देने को कहा था। हमने अभी तक इस मुद्दे पर ग्रीनपीस से कोई जवाब नहीं मिला है।'
 
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से