Wednesday, April 24, 2024
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धन्य है राज दरभंगा

जब जब भारत के दानवीरों की बात की जायेगी, तो उनमें राज दरभंगा का नाम स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा।

आज, जब भूमि के एक टुकड़े के लिए मनुष्य मनुष्यत्व खोता जा रहा है, आज जब शिक्षा संस्थान धनोपार्जन के उद्देश्य से बनाये जा रहे हैं, ऐसे में युवा पीढ़ी को दरभंगा के राजपरिवार की शिक्षा, संस्कृति और संगीत के संवर्धन के लिए विशाल दृष्टि और उदार अकल्पनीय अनुपम दानशीलता के बारे में अवश्य जानना चहिए।


दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह बहादुर जी, शिक्षा के प्रबल समर्थक और कला अनुरागी थे।वे पंडित मदन मोहन मालवीय के अनन्य समर्थक थे, उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए उस समय पचास लाख रुपये का दान दिया था। कल्पना कीजिये, सवा सौ वर्ष पूर्व के पचास लाख! महाराजा रामेश्वर सिंह जी ने पटना के अपना दरभंगा महल पटना विश्वविद्यालय को दान दिया, 1920 में पटना मेडिकल कॉलेज को स्थापित करने के लिए उस समय 5 करोड़ रुपये दान दिए।

कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रयाग विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, सबके निर्माण में दरभंगा राज का मुख्य आर्थिक योगदान रहा है।


महाराजा कामेश्वर सिंह ने दरभंगा का अपना महल “आनंद बाग महल” और पुस्तकालय संस्कृत विश्वविद्यालय हेतु दान दे दिया। आज का दरभंगा मिथिला विश्वविद्यालय राज दरभंगा के भवन में ही स्थापित है।

दरभंगा शासक कला प्रेमी थे, वे भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख संरक्षको में से एक थे।

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जी, प्रसिद्ध गायिका गौहर जान, ध्रुपद घराने के पंडित राम चतुर मालिक आदि राज दरभंगा से जुड़े थे।
कहते हैं कि कुंदन लाल सहगल महाराजा विशेश्वर सिंह के गहरे मित्र थे, राज का अपना सिम्फोनी ऒरकरेस्टा था, बैंड था। महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह बहादुर ने ब्रिटिश हुकूमत के समय बिहार में अपने दान से विद्यालय अस्पताल बनवाये और दान से चलाये, उत्तर बिहार में पहली रेल पटरी 1874 में उनकी पहल और दान से बनी।

दो दिन को दरभंगा में थी, और दरभंगा विश्वविद्यालय के भव्य सुरम्य परिसर को देख मन ही मन अभिभूत हो रही थी…

बीसवीं सदी के आगमन के समय जब पूरी दुनिया परस्पर लड़ रही थी, अधिनायकवाद का प्रेत सभी शक्तियों में समाया हुआ था, ऐसे समय में हमारे देश, हमारे बिहार में दरभंगा का ऐसा राजपरिवार था जिन्होंने उस समय शिक्षा साहित्य कला संगीत के प्रचार प्रसार के लिए सर्वस्व दे डाला..

यह सत्य आज की पीढ़ी को पता होना चाहिए कि देश के अनेक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान दरभंगा राज के ऋणी है।
धन्य है…
साभार -https://www.facebook.com/malinifolkofindia/ से

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