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प्रधान मंत्री के गाँव की खबर लिखने वाली पत्रकार पर थाने में मामला दर्ज

दिल्ली की एक डिजिटल पत्रकार के खिलाफ उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के रामनगर नगर थाने में केस दर्ज किया गया है। उन पर यह केस कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए गांव की स्थिति पर लिखी गई एक रिपोर्ट को लेकर दर्ज किया गया है।

वेबसाइट ‘स्क्रॉल’ की एग्जिक्यूटिव एडिटर सुप्रिया शर्मा ने जो खबर लिखी थी, उसका शीर्षक था- ‘वाराणसी के जिस गांव को पीएम मोदी ने गोद लिया था वहां के लोग लॉकडाउन में भूखे।’

एग्जिक्यूटिव एडिटर सुप्रिया शर्मा पर मानहानि का आरोप लगाया गया है। उनके खिलाफ वाराणसी के रामनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार, डोमरी गांव की रहने वाली माला देवी नाम की महिला ने सुप्रिया के खिलाफ ये मुकदमा दर्जा करवाया है। माला के मुताबिक, सुप्रिया ने अपनी स्टोरी में उनकी गरीबी व जाति का मजाक उड़ाया है जिससे उन्हें ठेस पहुंची हैं। डोमरी गांव को प्रधानमंत्री ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है।

पुलिस के अनुसार, सुप्रिया शर्मा ने कोविड-19 लॉकडाउन के असर पर एक खबर के लिए माला देवी का इंटरव्यू लिया था। खबर में कहा गया कि माला देवी ने बताया कि वह एक घरेलू कामगार हैं और उनके पास राशन कार्ड न होने की वजह से लॉकडाउन के दौरान उनको राशन की समस्या उत्पन्न हुई।

पुलिस ने कहा है कि एफआईआर में माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्रिया शर्मा ने उनके बयान को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। वह घरेलू कामगार नहीं हैं, बल्कि वह आउटसोर्सिंग के माध्यम से वाराणसी नगरपालिका में स्वच्छता कार्यकर्ता के रूप में काम करती थीं और लॉकडाउन के दौरान उनको या उनके परिवार को खाने से संबंधित ऐसी कोई समस्या नहीं आई है, जिसका स्टोरी में जिक्र किया गया।

प्राथमिकी में माला देवी ने आरोप लगाया है कि सुप्रिया ने लॉकडाउन के दौरान उनके और उनके बच्चों के भूखे रहने की बात कहकर उनकी गरीबी और जाति का मजाक उड़ाया है। रामनगर पुलिस ने इस मामले में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, आईपीसी की धारा 501 और 269 के तहत केस दर्ज किया है।

वहीं स्क्रॉल वेबसाइट ने इस मामले में एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है कि वह अपनी स्टोरी पर ‘कायम’ हैं और जो भी लिखा गया है वह सही लिखा गया है। वेबसाइट ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।