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विदुर नीति शठे शाठ्यं समाचरेत् ! नहीं जानते नरेंद्र मोदी , थप्पड़ खाने के लिए दूसरा गाल परोसना ज़रुर जानते हैं
कांग्रेसी और कम्युनिस्ट उन्हें कहते रहें फासिस्ट , बताते रहें हिटलर , करते रहें नफ़रत पर यह दूसरा गाल परोसते रहेंगे। नरेंद्र मोदी अपनी सारी रणनीति , सारी विजय , सारे पराक्रम यहीं आ कर खो देते हैं।
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क्या इतिहास में दर्ज हो जाएगा उज्जैन का भारती भवन
बहुत समय हुए भारतीय लेखकों को आंदोलनरत हुए। समय आ गया है कि एक लेखक की विरासत , उस की धरोहर और उस की पहचान को बचाए रखने के लिए सभी भारतीय लेखक आंदोलनरत हों और लेखक की विरासत और उस का घर बचाने के लिए सरकार ,
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अपनी ही अदालत में मुकदमा हारते रहे अटल जी !
ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो की कामना करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी एक समय मानते रहे हैं कि क्रांतिकारियों के साथ हमने न्याय नहीं किया, देशवासी महान क्रांतिकारियों को भूल रहे हैं,
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कश्मीर का संक्षिप्त इतिहास
सन १९४७ ई. में भारत का विभाजन होने पर नवगठित देश पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए असफल प्रयास किया। इसी बीच महाराजा हरिसिंह ने कश्मीर राज्य का विलय भारत के साथ किया तथा अपने राजकीय
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कुत्तों और भक्तों का रिश्ता ऐसा ही कहलाता है।
एक बात तो है कि कृषि क़ानून की वापसी पर भक्तों ने जिस तरह नरेंद्र मोदी का डट कर और खुल कर विरोध किया है , वह अदभुत है। साफ़ कह दिया है कि इस से अच्छा होता कि आप इस्तीफ़ा दे कर झोला उठा कर चल दिए होते। संसद का इस तरह अपमान तो नहीं होता।
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कृष्ण कुमार यादव यादव का ब्लॉग ‘डाकिया डाक लाया’ श्रेष्ठतम ब्लॉग बना
देश-विदेश में इंटरनेट पर हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार और ब्लॉगिंग के माध्यम से अपनी रचनाधर्मिता को विस्तृत आयाम देने वाले वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के ब्लॉग 'डाकिया डाक लाया' (http://dakbabu.blogspot.com/) को टॉप हिंदी ब्लॉग्स में शामिल किया गया है।
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लखीमपुर में लाशों के साझे चूल्हे पर रोटी सेंकते लोग और कुछ सवाल
लाशें तो जल कर ख़ाक हो गई हैं पर लखीमपुर अभी भी लाल है। राजनीति की संभावनाएं मुंह बाए खड़ी हैं। सवाल यह फिर भी शेष है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र की सत्ता की नाव
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क्यों कि पंजाब अब एक नया अफ़ग़ानिस्तान है कांग्रेस के लिए
अंबिका सोनी से पूछिए कि बीमारी के बहाने से आगे की थाली कैप्टन के लिहाज़ में छोड़ी या राहुल गांधी और सिद्धू नामक भटकी हुई मिसाइलों के खौफ से। चरणजीत सिंह चन्नी
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मोदीजी पपीता नहीं कटहल बोने में यकीन रखते हैं
पिछली बार जब मोदी ने वर्चुवली एड्रेस किया था , अलीगढ़ यूनिसिटी को तो इन मोहतरम इरफ़ान हबीब ने अजब-गज़ब जहर उगले थे। एक बार तो यह जनाब केरल चले गए थे।
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बच्चे डॉक्टर हो गए, पिताजी अभी भी मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं!
हास्यास्पद कहिए या त्रासद, इनमें दो ऐसे मेडिकल छात्र हैं जिनके बच्चे मेडिकल परीक्षा पास करके डॉक्टर बन चुके हैं। पिता अब भी परीक्षा देने में लगे हैं।