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हिंदी ब्लॉगिंग ने पूरे किये 13 साल, 21 अप्रैल को बना था हिंदी का पहला ब्लॉग
न्यू मीडिया के इस दौर में ब्लाॅगिंग लोगों के लिए अपनी बात कहने का सशक्त माध्यम बन चुका है। राजनीति की दुनिया से लेकर फिल्म जगत, साहित्य से लेकर कला और संस्कृति से जुड़े तमाम नाम ब्लॉगिंग से जुडे हुए हैं।
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आखिर कौन हैं ये ओवैसी भाई, और क्या है इनका अतीत
ये दास्तान उस दौर की है जब देश को आजाद होने में 20 साल बाकी थे। दक्षिण भारत की रियासत हैदराबाद पर निजाम उस्मान अली खान की हुकूमत थी।
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ब्राह्मण लवकेश मिश्रा की आत्महत्या खबर नहीं, क्योंकि इससे वोट बैंक और टीआरपी नहीं आती
बिना किसी भूमिका के आज मैं लवकेश मिश्रा की बात करूंगा यह भी एक छात्र ही था . जिसनें पिछले दिनों लखनऊ के बीएनसीईटी महाविद्यालय के एचआर डिपार्टमेंट की प्रताड़ना के चलते आत्महत्या कर ली.
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नीतीश बाबू अब ‘संघ मुक्त भारत’ तो सपना ही रह जाएगा !
शरद यादव और दूसरे नेताओं को दरकिनार करते हुए जदयू के अध्यक्ष बने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश बाबू आजकल बड़ा सपना देख रहे हैं। उनकी नजर 2019 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है। हालांकि नीतीश कुमार कहते हैं कि प्रधानमंत्री का उम्मीदवार कौन होगा, यह जनता तय करेगी।
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रवीश जी मैने आपको 41 मिनट सुना, मेरे 883 शब्दों को बस 5 मिनट पढ़ लीजिए
आप उन चैनलों से पूछते हैं कि अगर वीडियो फर्जी निकल गया तो क्या फिर से वह उतने ही घंटे चिल्ला चिल्लाकर प्रोग्राम चलाएँगे जितने कन्हैया के विरोध में चलाए गए—मै आपसे पूछती हूँ रवीश जी कि हेडली की गवाही के बाद ये सच सामने आने के बाद कि इशरत जहाँ फिदायीन थी आपने कितने घंटे अपनी कुटिल मुस्कान और मध्यम आवाज़ में Prime Times किए?
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19 जनवरी जम्मू -कश्मीर के हिन्दुओं का काला दिन, मीडिया के लिए खबर ही नहीं
कश्मीर के मूल निवासी कश्मीरी हिन्दुओं की सभ्यता व संस्कृति लगभग पांच हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है। इनकी सभ्यता, संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों को वर्ष 1989 से ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों व अलगाववादियों द्वारा कुचलने का प्रयास किया जा रहा है।
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टीपू जैसे अत्याचारी का नहीं, बैंगलुरू के संस्थापक राजा केम्पेगौडा का इतिहास जानिये
मुस्लिम वोट बैंक के लिए काँग्रेस द्वारा खामख्वाह टीपू सुलतान की जयंती मनाने के भद्दे विवाद के समय प्रसिद्ध लेखक एवं कलाकार गिरीश कर्नाड ने भी अपनी कथित “सेकुलर उपयोगिता” को दर्शाने एवं अपने महामहिमों को खुश करने के लिए एक बयान दिया था कि बंगलौर के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम केम्पेगौडा टर्मिनल से बदलकर टीपू सुलतान के नाम पर कर दिया जाना चाहिए.
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क्या अकबर वाकई महान था?
पुरुषोत्तम नागेश ओक, (२ मार्च,१९१७-७ दिसंबर,२००७), जिन्हें लघुनाम श्री.पी.एन.ओक के नाम से जाना जाता है, द्वारा रचित पुस्तक "कौन कहता है कि अकबर महान था?" में अकबर के सन्दर्भ में ऐतिहासिक सत्य को उद्घाटित करते हुए कुछ तथ्य सामने रखे हैं जो वास्तव में विचारणीय हैं.....
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मेरी लंदन डायरीः लंदन वालों ने आज भी संजोकर रखी है अपनी ऐतिहासिक विरासतें
मैं पैदा तो स्वतंत्र भारत में ही हुआ था फिर भी मैं बचपन से देखता था कि हमारे यहाँ के अधिकाँश लोगों के मन में ब्रिटेन और ख़ास तौर से लन्दन को लेकर बेहद ईर्ष्या और सम्मान की भावना थी, यही नहीं लन्दन रिटर्न व्यक्ति की बड़ी इज्जत की जाती थी. इसके पीछे शायद यह उत्सुकता भी रही हो कि आखिर ब्रिटिश लोगों में ऐसी क्या खूबी है जो हम पर 300 वर्षों तक शासन कर गए.
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बगैर आपातकाल के ही सत्ता के आगे नतमस्तक है मीडिया वाले
क्या मौजूदा वक्त में मीडिया इतना बदल चुका है कि मीडिया पर नकेल कसने के लिए अब सरकारों को आपातकाल लगाने की भी जरूरत नहीं है। 1975 वाले उस दौर की जरूरत नहीं, जब आपातकाल लगने पर अखबार के दफ्तरों में ब्लैकआउट कर दिया जाए। संपादकों को सूचना मंत्री सामने बैठाकर बताएं कि सरकार के […]