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वर्ष 2015 के लिए गोइन्का राजस्थानी पुरस्कार की घोषणा
कमला गोइन्का फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने बताया कि वर्ष 2015 में मूर्धन्य वयोवृद्ध राजस्थानी साहित्यकार श्री सीताराम महर्षि को "गोइन्का राजस्थानी साहित्य सारस्वत सम्मान" से सम्मानित किया जायेगा।
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पुरस्कारों की होड़ में उलझा साहित्य
जीवन तथा समाज की तमाम गतिविधियों को समेट कर अपने उत्तरदायित्व के रूप में सामाजिक चेतना के लिए सन्देश के स्त्रोत में सर्जित करना एक साहित्यकार की लेखनी के जिम्मे होता है जहाँ से मानवीय सम्वेदनाओं एवं चेतनाओं को झंकृत करने वाले साहित्य की अलकनन्दिनी धारा जन-जन तक पहुँच पाठकों के ह्रदय तन्तुओं को तरंगित कर स्वयं हीं अपनी अमिट छवि गढ़ लेती है
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हिंदी विश्व में चीनी भाषा के बाद सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा का मूल प्राचीन संस्कृत भाषा में है। इस भाषा ने अपना वर्तमान स्वरूप कई शताब्दियों के पश्चात हासिल किया है और बड़ी संख्या में बोलीगत विभिन्नताएं अब भी मौजूद हैं। हिंदी की लिपि देवनागरी है, जो कि कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त है।
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इंटरनेट पर तेजी से लोकप्रिय हो रही है हिन्दीः संदीप मेनन
वर्तमान में गूगल पर हिदी भाषा में कुछ खोजना टेढ़ी खीर है, लेकिन जल्द ही यह काम बेहद आसान हो जाएगा। आप इस सर्च इंजन पर जाकर हिंदी में कुछ भी खोज सकते हैं।
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स्पंदन सम्मानः उषा किरण खान को कथा शिखर सम्मान
ललित कलाओं के लिए समर्पित संस्था स्पंदन भोपाल की ओर से स्थापित सम्मानों की श्रंखला में 2014 के सम्मानों की घोषणा कर दी गई है। स्पंदन कथा शिखर सम्मान प्रख्यात कथाकार श्रीमती उषाकिरण खान को, स्पंदन आलोचना सम्मान श्री संतोष चौबे को ( आलोचना कर्म के लिए), स्पंदन साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान श्री प्रभात भट्टाचार्य को ( समावर्तन पत्रिका के लिए), स्पंदन कृति सम्मान श्री प्रेमशंकर शुक्ल को ( 'झील एक नाव है' कविता संग्रह के लिए), स्पंदन कृति सम्मान श्री तरुण भटनागर को ( 'लौटती नहीं हँसी' उपन्यास के लिए), स्पंदन रंगमंच सम्मान श्री देवेन्द्र राज अंकुर ( नाट्य निर्देशन के लिए) के नामों का चयन निर्णायक समिति द्वारा किया गया है।
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कम्प्यूटर और हिन्दी ; नया दौर, नई मंज़िलें
हमारी जनशक्ति देश की और हमारी हिन्दी की भी ताकत है। बहुत साल नहीं हुए जब हम अपनी विशाल आबादी को अभिशाप मानते थे। आज यह हमारी कर्मशक्ति मानी जाती है। भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने सही कहा है: ‘अधिक आबादी अपने आप में कोई समस्या नहीं है, समस्या है उस की ज़रूरियात को पूरा […]
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‘हिन्दीचेतना’ का जुलाई-सितम्बर 2015 अंक इंटरनेट पर
कैनेडा से प्रकाशित त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका 'हिन्दीचेतना' का जुलाई-सितम्बर 2015 अंक (वर्ष : 17, अंक : 67) अब इंटरनेट परउपलब्ध है। सम्पादकीय, उद्गार, साक्षात्कार: प्रताप सहगल: प्रेम जनमेजय। कहानियाँ: प्रश्न-कुंडली: गीताश्री, काँच की दीवार: नीलम मलकानिया, केस नम्बर पाँच सौ सोलह: माधव नागदा, अग्निपरीक्षा: प्रो. शाहिदा शाहीन। व्यंग्य: जब मैं अमरीका गया, सुधाकर अदीब। लघुकथा: […]
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अंग्रेजी के आगे चूहे बन जाते हैं सरकार चलाने वाले
दिल्ली के एक उच्च शिक्षा-संस्थान के दीक्षांत समारोह में बोलते हुए गृहमंत्री राजनाथसिंह ने वही बात कह डाली, जो हम कभी गांधीजी, लोहियाजी और दीनदयाल उपाध्यायजी के मुंह से सुना करते थे। वे कहते थे कि अंग्रेजी या किसी भी विदेशी भाषा से नफरत करना ठीक नहीं है लेकिन उस भाषा की गुलामी करना अपने […]
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हिंदी व भारतीय भाषाओं के कार्य से संबंधित सोशल मीडिया समूहों के संबंध में शोध एवं उनका दस्तावेजीकरण ।
पिछले कुछ समय से अन्तर्जाल यानि इंटरनेट पर हिंदी व भारतीय भाषाएँ तेजी से पाँव पसार रहीं हैं । हिंदी व भारतीय भाषाओें के प्रयोग व प्रसार में वृद्धि व इनके साहित्य के विकास व प्रसार में भी सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सोशल मीडिया के विभिन्न समूहों व ब्लॉग आदि के माध्यम […]
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ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में शामिल हुए हिन्दी के शब्द
हिंदी भाषा के कुछ ऐसे शब्दों को जो 1845 से अंग्रेजी भाषा में प्रयोग किए जा रहे हैं, उन्हें अब मशहूर ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में शामिल कर लिया गया है। अलग-अलग तरीके से बोले जाने वाले ये शब्द जैसे- अरे यार, चूड़ीदार, भेलपुरी और ढाबा। इन शब्दों का प्रयोग अंग्रेजी भाषा में लगातार बढ़ता जा रहा […]