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ग्राहकों को लूटने के लिए अंग्रेजी में फॉर्म भरवाती है बीमा कंपनियाँ
भारत सरकार अथवा बीमा विनियामक प्राधिकरण ने आज तक बीमा कंपनियों के लिए यह अनिवार्य नहीं किया है कि वे अपने ग्राहकों से सबसे पहले उनकी पसंदीदा भाषा पूछें
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भारत की बैंकें भारतीय भाषाओँ का ही अपमान करती है
भारत में कार्यरत बैंक खातों, गृह ऋण, निजी ऋण, कृषि ऋण की सही जानकारी न देने के लिए अपनी शर्तें, प्रपत्र, विवरण व वेबसाइट केवल अंग्रेजी में तैयार करवाते हैं ताकि कर्ज की
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भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय मानता है कि कोरोना अंग्रेजी जानने वालों में ही फैल रहा है
इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय अंग्रेजों के लिए काम कर रहा है पर राष्ट्रवादी सरकार के होते हुए एक स्वयंप्रभु देश का मंत्रालय
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स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास और अनछुए पक्ष को सामने लाने के लिए लेखकों से निवेदन
हर्ष का विषय है कि भारतीय संस्कृति, परंपरा एवं लोकाचार के मार्ग का निर्वाहन करते हुए इंडिक अकादमी भारतीय इतिहास की ओर भी अग्रसर है। इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने वाले हैं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पक्ष।
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भारत पाकिस्तान के बीच 18 साल बाद दूसरी बार युद्धविराम समझौता हुआ
पाकिस्तान इस बार इस समझौते को कितना मानता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा. उसकी मंशा पर हमेशा से भारत को आशंका रहती है ।
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राष्ट्रपति कार्यालय द्वार हिंदी की उपेक्षा
सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से भी विज्ञप्तियाँ हिंदी में जारी नहीं की जाती हैं। नवीनतम् पत्र 9 नवंबर 2020 (संलग्न) के माध्यम से पत्र सूचना कार्यालय ने बताया है कि
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गुलामी की भाषा से नवोदय विद्यालय में प्रवेश लीजिये
विषय- नवोदय विद्यालय समिति द्वारा प्रवेश परीक्षा के ऑनलाइन आवेदन की सुविधा केवल अंग्रेजी में देकर ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावकों व विद्यार्थियों के
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कट्टर कांग्रेसी छवि के बावजूद पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सबके चहेते रहे
प्रणब दा के राजनीतिक जीवन की अनेक विशेषताएं एवं विलक्षणताएं रही हैं। कानून, सरकारी कामकाज की प्रक्रियाओं और संविधान की बारीकियों की बेहतरीन समझ रखने वाले प्रणब दा 2014 के बाद नई भाजपा सरकार से अच्छे संबंध
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आप अपने मित्र बदल सकते हैं, पर दुर्भाग्य से पड़ोसी नहीं
भारत के पडोसी देश पाकिस्तान व चीन कभी अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहे है और न आने वाले है | भारत को अपने इन पड़ोसी मुल्कों की नापाक हरकतों का मुकाबला करने के लिए तो हर वक्त चौकस रहना ही होगा|
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इस देश में सब मुद्दे मर गए ,बस सुशांत सिंह ही जिंदा है !
फिल्म अभिनेता तो लोगों का केवल मनोरंजन करता है जबकि मजदूर देश का निर्माण करता है और किसान लोगों के लिए अनाज उगा कर भूख का इन्तजाम बांधता है।