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जहाँ रहो हो वहाँ रौशनी लुटाओ तो …
जहाँ रहो हो वहाँ रौशनी लुटाओ तो । चिराग़ हो तो ज़रा जम के जगमगाओ तो ।।
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क़ुदरत की बरकतें हैं ख़ज़ाना बसंत का
रश्क-ए-जिनाँ चमन को बनाना बसंत का हर हर कली में रंग दिखाना बसंत का
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मिसरे की पहली लाईन जिसने दूसरी लाईन को हर ज़ुबाँ पर पहुँचाया
भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया, ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं।" - माधव राम जौहर
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एक विशुद्ध हिन्दीगजल
परावर्तन - प्रत्यावर्तन, सम्पादन करते हुए मूलस्वरूप को प्रतिष्ठापित करना शब्द-सन्धानी - लफ़्फ़ाज़, बकलोल;
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चिराग़ बन के किसी तौर जगमगाओ तो ..
तुम्हें पसंद नहीं थे जो दूसरों के रंग । उन्हीं में डूबे पड़े हो स्वयं, बताओ तो ।।
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एक अंजान शायर की सर्दी के प्रकोप पर लाजवाब शायरी
कड़कड़ाते हुए जाड़ों की क़यामत तौबा आठ दिन कर न सके लोग हज़ामत तौबा सर्द है इन दिनों बाज़ार-ए-मोहब्बत तौबा
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नववर्ष की ग़ज़ल : सन् से पहले आया संवत भूल गए ?
मर्यादित गौरवशाली विक्रम संवत सूर्य उदय के साथ मनाते साल नया ।
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साफ़-सुथरी ज़बान हिन्दी है ख़ुश-बयानी की जान हिन्दी है
हिन्दियों का निशान हिन्दी है औज में आसमान हिन्दी है रोज़-मर्रा जो बोल-चाल का है हुस्न वो शोख़ी-ए-ख़याल का है उस के फूलों की तेज़ है ख़ुश्बू
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कोई पिला रहा है पिए जा रहा हूँ मैं
बैंगलुरु में देश के महान नेताओं ने शराब को सम्मान देते हुए महंगी से महंगी शराब पीकर शराब को राष्ट्रीय बहस का विषय बना दिया।
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तुम्हारे लिए एक दुआ…
मेरे महबूब ! तुम्हारी ज़िन्दगी में हमेशा मुहब्बत का मौसम रहे... मुहब्बत के मौसम के