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भारतबोध कराता है भारतीय पर्यटन
पर्यटन देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है। इससे सरकार को राजस्व तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। इसके कारण विकास कार्यों को भी बढ़ावा मिलता है। भारत एक विशाल देश है। यहां के विभिन्न राज्यों की भिन्न-भिन्न संस्कृतियां हैं। सबकी अपनी परम्पराएं हैं। इसके साथ ही यहां प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत पर्यटन स्थल […]
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परमाणु बिजलीघर के साथ रावतभाटा में हैं पर्यटन के अनेक स्थल
भारत का दूसरा बड़ा परमाणु बिजलीघर, 6 परमाणु ऊर्जा इकाइयां उत्पादन रत, 2 इकाइयां निर्माणाधीन, नाभिकीय ईंधन सयंत्र और एक भारी पानी संयंत्र, राजस्थान के सबसे बडे बांधों में से चम्बल नदी पर बना राणा प्रताप सागर बांध और बांध पर 172 मेगावॉट का पन बिजलीघर , पर्यटकों के लिए मनोहर प्राकृतिक दृश्य, पर्वतों के […]
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कालीसिंध और परवन बनी विकास और पर्यटन का आधार
राजस्थान के विकास की भाग्यश्री बनी चम्बल की सहायक नदी कालीसिंध का भी राजस्थान की प्रगति और विकास में योगदान कम नहीं है। मुख्य धारा में होने से चम्बल की चर्चा अक्सर होती है परंतु कालीसिंध और परवन नदियों की चर्चा कम ही होती हैं, जब कि ये नदियां भी अपने महत्व की वजह से विकास और पर्यटन का महत्वपूर्ण आधार हैं। विद्युत उत्पादन,सिंचाई,पर्यटन विकास में इन नदियों का योगदान भी किसी प्रकार कम नहीं है। आइये ! जानते हैं इन नदियों और इनसे प्रकाशमान विकास की किरणों की कहानी के बारे में।
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राष्ट्रीय भू-धरोहर रामगढ़ क्रेटर को दुनिया में प्रचारित करने की आवश्यकता
रामगढ़ की रिंग के आकार वाली पहाड़ी संरचना को दुनिया भर के क्रेटरों को मान्यता देने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था " अर्थ इंपैक्ट डाटा बेस सोसायटी ऑफ कनाडा" ने करीब 200 वर्ष बाद विश्व के 201वें क्रेटर के रूप में संवैधानिक मान्यता प्रदान की है।
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आदि मानव की धरोहर ः बूंदी में होसालपुरा के शैलचित्र
बूंदी के मांगली, घोड़ा पछाड़ के चट्टानी कगारों पर सबसे लंबी करीब 35 किमी. लंबी शैल चित्र श्रृंखला बूंदी और भीलवाड़ा जिलों के मध्य पाई गई है , जिसे 10 हजार वर्ष प्राचीन माना जाता है।
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हाड़ोती पुरातत्व दर्शन: राजकीय संगहालय, बूंदी
बून्दी शहर जयपुर से दक्षिण में लगभग 225 किमी की दूरी पर अवस्थित है। कोटा शहर से इसकी दूरी 36 किमी है। भौगोलिक दृष्टि से बून्दी, कोटा, बारां एवं झालावाड़ का भू-भाग हाड़ौती के नाम से जाना जाता है।
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भारतीय पर्यटन उद्योग में आ रही है रोजगार के नए अवसरों की बहार
पर्यटन उद्योग में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का समावेश रहता है। यथा, अतिथि सत्कार, परिवहन, यात्रा इंतजाम, होटेल आदि। इस क्षेत्र में व्यापारियों, शिल्पकारों, दस्तकारों, संगीतकारों, कलाकारों, होटेल, वेटर, कूली, परिवहन एवं टूर आपरेटर आदि को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं।
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विभिन्नता में एकता देश की विशेषता को सार्थक करता है पर्यटन
मंदिर, मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे के साथ - साथ सभी धार्मिक स्थल धर्म विशेष के होते हुए भी पर्यटक के लिए केवल देखने , आनंदित होने और ज्ञानवर्धन का माध्यम हैं।
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प्रकृति और शिल्प का संगम मिनी खजुराहो दलहनपुर
मठ के दाहिनी ओर वैष्णव मत का भगवान लक्ष्मी नारायण का मंदिर है जिसका निर्माण कोटा महाराव माधोसिंह ने करवाया था। मंदिर के शीर्ष और दोनों तरफ सुंदर छतरियां और दीवारों पर हाड़ोती कला शैली के प्रभाव वाले धार्मिक देवी - देवताओं के चित्र बने हैं
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एकता,सद्भाव और भाईचारा बढ़ाने का पर्यटन सबल माध्यम
पर्यटन हमारी संस्कृति और संस्कारों को विकसित करने का सशक्त माध्यम बनता है वहीं संस्कृति का संवाहक, संचारक और संप्रेषक भी है। यह ऐसा सशक्त माध्यम है, जिससे हम परस्पर संस्कृति और संस्कारों से परिचित होते हैं और आपसी सद्भाव और सहयोग की भावना का विकास करते हैं।