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एकता,सद्भाव और भाईचारा बढ़ाने का पर्यटन सबल माध्यम
पर्यटन हमारी संस्कृति और संस्कारों को विकसित करने का सशक्त माध्यम बनता है वहीं संस्कृति का संवाहक, संचारक और संप्रेषक भी है। यह ऐसा सशक्त माध्यम है, जिससे हम परस्पर संस्कृति और संस्कारों से परिचित होते हैं और आपसी सद्भाव और सहयोग की भावना का विकास करते हैं।
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पर्यटकों को लुभाएगा एक रानी के ख्वाब का आइना
महारानी प्रकृति प्रेमी थी और उनके आग्रह पर महाराव ने छत्र विलास उद्यान में आकर्षक बृज विलास महल और झीलों नगरी उदयपुर की याद को ताज़ा करते हुए किशोर सागर के बीच इस सुंदर इमारत जग मन्दिर का निर्माण कराया था।
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माचिस की जलती तीली से असंख्य अक्षों का जादुई सम्मोहन जगाता है शीशमहल
जयपुर से 12 किलोमीटर उत्तर में स्थित आमेर दुर्ग जाने के लिये जयपुर से किराये की टैक्सी, ऑटोरिक्शा, नगर बस सेवा या निजी कार अच्छे विकल्प हैं। महल तक पर्यटकों के लिये हाथी की सवारी उपलब्ध रहती है। निजी कारें, जीप व टैक्सियाँ किले के पिछले मार्ग से ऊपर जलेब चौक तक ले जाती हैं।
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‘राजस्थान लोकाभिव्यक्ति के आयाम’ एवं ‘दी फोक डांसेज ऑफ़ राजस्थान’ पुस्तकों का विमोचन
इन पुस्तकों में मांड, मांगणियार एवं लांगुरिया गायन, तुर्रा कलंगी, कुचामणि ख्याल एवं गवरी लोकनाट्य, सहरिया एवं टूंटिया स्वांग, बीकानेर की रम्मतें, राजस्थान की नट परंपरा, कठपुतली नृत्य कला एवं राजस्थान के लोक वाद्य यंत्रों का विषद उल्लेख है।
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पर्यटकों का रुख अब कोटा की ओर……..
पर्यटन के प्रति धारीवाल जी की गहरी रुचि का अहसास उस समय हुआ जब वे पिछले मंत्रित्व काल में कुछ समय के लिए कला, संस्कृति और पर्यटन विभाग के मंत्री बने थे और कोटा में आरएसी कार्यालय के पीछे चम्बल नदी पर यादगार चंबल उत्सव का आयोजन करवाया था।
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रेल के पहियों पर पर्यटन का मजा ही कुछ और है
उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक 130 करोड़ की आबादी वाले विशाल देश में पर्यटक स्थलों के साथ - साथ देश का भौगोलिक स्वरूप भी खास महत्व रखता है। समुंदर, पहाड़ों,जंगलों और नदियों के साथ पश्चिमी भारत में थार का रेगिस्तान( जिसका अधिकांश हिस्सा राजस्थान में आता है),
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सैलानियों का सपना ,कोहिनूर टाय ट्रेन
पहाड़ियों और घाटियों के मध्य सुंदर प्राकृतिक दृश्यों के साथ कांगड़ा टॉय ट्रेन पठानकोट और जोगिंदर नगर को जोड़ती है। कांगड़ा घाटी, किनारों पर पहाड़ियों, नदियों और धौलाधार श्रेणी के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं।
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ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटक स्थलों का साक्षी झालावाड़
यहां गंधकुटी, 5 वेदियां तथा कई छोटी-छोटी वेदियां बनी हैं तथा पूरे मंदिर परिसर में 900 से अधिक जिनबिम्ब स्थापित हैं। मंदिर के पीछे के हिस्से में सुंदर समोशरण मंदिर बनाया गया है। मूल मंदिर के सामने मान स्तम्भ स्थापित है।
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राजस्थान में पर्यटन की दशा,दिशा और संभावनाएं
रंग बिरंगी संस्कृति, वेशभूषा,परमपराएं,लोक जीवन, पर्यटन उत्सव भी राजस्थान में सैलानियों के आकर्षण का महत्वपूर्ण आधार है। कोटा की एडवोकेट रेखा देवी यह विचार व्यक्त कर कहती हैं कि सरकार पर्यटन विकास पर कई परियोजनाओं पर कार्य कर रही है।
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पर्यटन में पक्षियों का स्वर्ग भरतपुर की है दुनिया में पहचान
भरतपुर के दक्षिण-पूर्व में गम्भीरी एवं बाणगंगा नदियों के संगम पर स्थित विश्वविख्यात केवला देव राष्ट्रीय उद्यान विश्व के सबसे अधिक आकर्षित करने वाले जलपक्षी की शरणस्थलियों में से एक है। उद्यान के बीच में बनेकेवलादेव (शिव) के मंदिर पर इसका नाम रखा गया है।