-
बैंक क्यों और कैसे डूब जाता है….?
जब बैंक के पास जो पैसा होता है वो जब कर्ज के रूप में बाहर चला जाये और फिर वापिस न आ पाए। ये सामान्य सा नियम है। ऐसा ही हुआ अमेरिका के 16वें सबसे बड़े बैंक SVB के साथ। यह सिलिकॉन वैली बैंक नए स्टार्ट अप्स को लोन देता था। साथ ही बड़े स्टार्ट […]
-
अकबर की कब्र कहाँ गायब हो गई
इस इन्स्टाग्राम पोस्ट को ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको “मुर्तद” शब्द दिख जायेगा। इस “मुर्तद” का अर्थ होता है वैसे व्यक्ति जो या तो पैदा मुहम्मडेनों के घर में हुए थे इसलिए मुहम्मडेन थे, या कभी धर्म परिवर्तन करके मुहम्मडेन बने और फिर मजहब को छोड़ दिया। उदाहरण की तौर पर आपको मुगल बादशाह अकबर […]
-
हमें ये खूनी इतिहास कभी नहीं पढ़ाया गया
ये कुछ ऐसी कहानियाँ हैं, जिन्हें जान-बूझकर हमारे इतिहास से गायब रखा गया। अलाउद्दीन खिलजी के बाद मोहम्मद तुगलक दिल्ली में दूसरा ऐसा इस्लामी कब्ज़ेदार है, जिसे खिलजी से भी ज्यादा समय तक कब्ज़ा बरकरार रखने का मौका मिला। खिलजी ने 20 साल तक हिंदुस्तान को रौंदा। तुगलक को 26 साल मिले। वह 1325 में […]
-
स्त्री के लिए कबीरदास ये क्या लिख गए…
तुलसीदास के एक दोहे को लेकर टीवी से लेकर राजनीति में सिर फुटव्वल हो रही है, लेकिन कबीर दास ने जो लिखा है उसे पढ़कर कबीर को पूजने वाले वामी ,कामी और नारीवादी क्या करेंगे… प्रस्तुत है कबीर दास के कुछ दोहे नारी की झांई पड़त, अंधा होत भुजंग। कबिरा तिन की कौन गति, जो […]
-
हमारे मंदिर कब तक सरकारी कब्जे में रहेंगे
आज ये सब इसलिए लिखना पड़ रहा है कि अभी तीन दिन पहले ही अहोबिलम मठ मंदिर को लेकर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इसे धार्मिक लोगों को संभालने दें। आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा था […]
-
तीर्थों से पुण्य ही नहीं रोज़गार भी मिलता है
फेसबुक पर एक बहुत बड़े विद्वान पत्रकार हैं और तथाकथित ‘ब्राम्हणवाद’ के प्रबल विरोधी हैं? आखिर इस‘ब्राम्हणवाद’ की परिभाषा क्या है इसकी सही और सटीक व्याख्या अब तक किसी ने नहीं की है। जहां तक मैं इन महापुरुष महान पत्रकारों और विद्वाणों का पोस्ट देखता हूं तो उसमें सीधा हमला एक जाति विशेष यानि ब्राम्हण […]
-
ये कहानी नहीं, हमारे समाज की सांस्कृतिक सच्चाई है
ज़िला सुल्तानपुर की। एक पंडित जी और एक बाबू साहब (ठाकुर साहब) जिगरी दोस्त थे- दो जिस्म एक जान। बचपन से चालीसवें तक। फिर जाने क्या हुआ कि दुश्मनी हो गई। अब पूरब गवाह है कि जिगरी दोस्त दुश्मन हों जाय तो दुश्मनी भी पनाह माँगने लगती है। सो वही हुआ। हर दूसरे दिन गोली […]
-
“गांधी गोडसे- एक युद्ध” फिल्म पर एक अधूरा नोट
मेरी इच्छा यही है कि लोग ‘गांधी गोडसे : एक युद्ध’ फिल्म देखें और उसके बाद उस पर अपनी राय दें। तर्कसंगत आलोचना/ समीक्षा मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत पसंद है। मैं मानता हूं कि प्रशंसा से अधिक महत्व आलोचना का है क्योंकि प्रशंसा से कुछ सीखा नहीं जा सकता लेकिन आलोचना और समीक्षा से […]
-
गांधी का मुस्लिम प्रेम हिंदुओं की बलि लेता रहा ..
अक्टूबर 1920,कालीकट (मोपला)….आज खिलाफत मंडल की सभा में पंजाब से मौलाना अल्लाहबख्श आए हुए थे, कालीकट के मुसलमानों ने खिलाफत मंडल के नेता रामनारायण नंबूदरी को समझाया कि अलाहबख्श के भाषण से पहले हिन्दू-मुस्लिम एकता दिखाने के लिए जुलूस में अल्लाहबख्श की बग्घी को घोड़ों के बजाय हिन्दू नौजवानों द्वारा खिंचवाया जाए, इससे हिन्दू-मुस्लिम एकता […]
-
इसके बावजूद हम गाँधी को महात्मा कह रहे हैं..,.
मुस्लिम नेताओं तथा भारतीय मुसलमानों को खुश करने के लिए गाँधी जी ने मोतीलाल नेहरु के सुझाव पर कांग्रेस की ओर से खिलाफत आन्दोलन के समर्थन की घोषणा की। श्री विपिन चन्द्र पाल, डा. एनी बेसेंट, सी. ऍफ़ अन्द्रूज आदि नेताओं ने कांग्रेस की बैठक में खिलाफत के समर्थन का विरोध किया,किन्तु इस प्रश्न पर […]