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अध्यात्म गंगा
 

  • नवरात्रों या नौ इन्द्रियों पर नियंत्रण में उपवास और निराहार का महत्व

    प्राय: उपवास से सब यही निष्कर्ष निकालते हैं की भोजन ग्रहण न करना अथवा भुखा रहना। मगर क्या उपवास का अर्थ वाकई में निराहार रहना है? उपवास का अर्थ :- शतपथ ब्राह्मण १/१/१/७ के अनुसार “उपवास” का अर्थ गृहस्थ के लिए प्रयोग हुआ हैं जिसमें गृहस्थ के यज्ञ विशेष अथवा व्रत विशेष करने पर विद्वान […]

  • आकाश पर ध्यान आपको एक रोमांचक दुनिया की सैर कराता है

    आकाश पर ध्यान आपको एक रोमांचक दुनिया की सैर कराता है

    आकाश पर ध्यान करना बहुत सुंदर है। बस लेट जाओ, ताकि पृथ्वी को भूल सको। किसी स्वात सागरतट पर, या कहीं भी जमीन पर पीठ के बल लेट जाओ और आकाश को देखो। लेकिन इसके लिए निर्मल आकाश सहयोगी होगा निर्मल और निरभ्र आकाश। और आकाश को देखते हुए, उसे अपलक देखते हुए उसकी निर्मलता […]

  • पुरुष सूक्त का सत्य

    अंबेडकरवादी पुरुष सूक्त को लेकर यह आरोप लगाते हैं कि “वेद में पुरुष के पांव से शूद्र पैदा हुये इत्यादि” । इस लेख में हम उनके दावे की पुष्टि करेंगे। दरअसल ऋग्वेद के मंडल १० के ९०वें सूक्त को पुरुष सूक्त कहते हैं।इसके मंत्र १२ पर यह विवाद है।उसके पहले हम इसी सूक्त के मंत्र […]

  • वेद की दृष्टि में जल अमृतरूप औषधि है’

    वेद के अनेक मन्त्र जल को आरोग्य, दीर्घजीवी व बल का संवर्धन करनेवाला इत्यादि बताते हुए जल की महत्ता का वर्णन करते हैं। वेदज्ञों की दृष्टि में जल को एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है किन्तु जल का आवश्यकता से अधिक प्रयोग या अनावश्यक प्रयोग करने वाला आज का भौतिकवाद जल की महत्ता से पूर्णतः […]

  • रुद्रांश हनुमानजी द्वारा रुद्रांश सूर्य देव को निगलना

    पृथ्वी से 28 लाख गुना भगवान सूर्य देव का आकार है। क्या पता श्याम मानव जैसे कोई तथाकथित वैज्ञानिक ,यूपी के स्वामी प्रसाद मौर्या जैसा दलित समाजवादी पार्टी का एमएलसी और बिहार के शिक्षा मंत्री सेकुलर चंद्रशेखर से लेकर ना जाने कोई नास्तिक ,वामी कामी ,या गैर राष्ट्रवादी नेता भगवान सूर्य और हनुमान जी के […]

  • वैदिक सूत्र हमें आत्म समृध्द करते हैं

    वैदिक सूक्त हमें आत्म-समृद्ध करते हैं। आत्म-समृद्धि के बिना अम्भ के प्रसंग में वाक् सूक्त की ऋषिका अम्भृणी का स्मरण नहीं हो सकता! जब अम्भृणी का स्मरण नहीं होगा, तो हम वाक् सत्ता को नहीं समझ पाएंगे, राष्ट्र को नहीं जान पाएंगे! और न ही अम्भ से निकली गंगा की पावन धारा का महात्म्य समझ […]

  • मनु और बुद्ध के स्त्री सम्बन्धी विचारों का तुलनात्मक अध्ययन

    महर्षि मनु कृत मनु स्मृति में– यत्र नार्य्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्रऽफलाः क्रियाः। मनुस्मृति 3/56 अर्थात जिस समाज या परिवार में स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां देवता अर्थात् दिव्यगुण और सुख़- समृद्धि निवास करते हैं और जहां इनका सम्मान नहीं होता, वहां अनादर करने वालों के सभी काम निष्फल हो […]

  • “अवधू”  या “अवधूत” शब्द दुनिया की किसी भाषा में नहीं है

    “अवधू” या “अवधूत” शब्द दुनिया की किसी भाषा में नहीं है

    भारतीय साहित्य में यह ‘अवधू’ शब्द कई संप्रदायों के सिद्ध आचार्यों के अर्थ में व्यवहुत हुआ है। साधारणत: जागातिक द्वंद्वों से अतीत, मान- अपमान-विवर्जित, पहुँचे हुए योगी को अवधूत कहा जाता है। यह शब्द मुख्यतया तांत्रिकों, सहज यानियों और योगियों का है। सहजयान और वज्रयान नामक बौद्ध तांत्रिक मतों में ‘अवधूती वृत्ति’ नामक एक विशेष […]

  • धर्म विहीन नहीं मज़हब विहीन कहिये

    धर्म विहीन नहीं मज़हब विहीन कहिये

    तमिलनाडु में एक स्नेहा नामक महिला ने स्थानीय सचिवालय से अपने निजी “No Caste No Religion” अर्थात” जाती विहीन और धर्म विहीन” लिखा हुआ प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। इस प्रमाण पत्र के लिए उक्त महिला ने 9 वर्षों तक प्रतीक्षा की हैं। उक्त महिला का कहना है कि यह जाति विहीन और धर्म विहीन […]

  • शोक संतप्त परिवारों के लिए संस्कृत के श्लोकों में व्यक्त कीजिए श्रध्दांजलि और शोक संवेदना

    शोक संतप्त परिवारों के लिए संस्कृत के श्लोकों में व्यक्त कीजिए श्रध्दांजलि और शोक संवेदना

    हमारी सनातन पंरपरा में हर अवसर के लिए संस्कृत साहित्य में इतने सटीक, संवेदना व विवेक से भरपूर इतना साहित्य है कि हम उनका उपयोग करके हमारी भावनाओं को बहुत सशक्त व सहजता से व्यक्त कर सकते हैं। हमारे पाठकों के लगातार आग्रह पर हम अपने प्रियजन के दिवंगत होने के शोक व दुःख भरे […]

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