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विकास चौधरी की सफलता की पूरी कहानी फिल्मी लगती है

ब्रिटेन में टाटा स्टील को खरीदने की होड़ में चल रही जेएसडब्ल्यू के असोसिएट वाइस प्रेजिडेंट ऑफ ट्रेजरी विकास चौधरी की कहानी किसी को भी प्रेरित करने वाली है। कोलकाता के लॉन्ड्रीमैन के बेटे रहे विकास चौधरी के पिता पूर्व क्रिकेटर अरुण लाल के परिवार के लोगों के कपड़े प्रेस किया करता था। अपने परिवार से अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई करने वाले विकाश चौधरी अकेले शख्स थे। अरुण लाल की पत्नी देबजानी ने उन्हें इसमें मदद की थी। यही नहीं देबजानी उन्हें पढ़ाने के अलावा रिफ्रेशिंग ड्रिंक भी दिया करती थीं, तब वह 12 साल के रहे होंगे।

39 वर्षीय विकास चौधरी पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं, ‘मैं हर दिन उनके पास पढ़ाई के लिए जाता था क्योंकि वह मुझे ऑरेंज स्क्वैश देती थीं।’ मुंबई के शिवड़ी इलाके में इंटरव्यू देते हुए सौम्य स्वभाव के विकास चौधरी ने यह बातें कहीं। चौधरी ने बताया कि उन्होंने इंग्लिश के बारे में बहुत जल्दी ही जानने की कोशिश शुरू कर दी थी। क्रिकेटर अरुण लाल के कोई संतान नहीं थी, ऐसे में उन्होंने विकास को अपने साथ ले लिया और उनके भावी जीवन को दिशा दी।

चौधरी ने बी. कॉम और एम. कॉम की पढ़ाई के दौरान का वक्त अरुण लाल के घर पर और अपने पिता की लॉन्ड्री में बिताया। इसके बाद उन्होंने कैट की परीक्षा दी। वर्ष 2000 में वह कोलकाता आईआईएम के लिए सेलेक्ट हुए थे। इसके बाद उन्होंने डोएचे बैंक और क्रेडिट एग्रिकोल जैसी संस्थाओं में काम किया।

‘मेरे दो-दो पैरेंट्स हैं’

विकास चौधरी कहते हैं, ‘मेरे दो पैरेंट्स हैं। मिस्टर अरुण लाल और उनकी पत्नी एवं मेरे माता-पिता।’ चौधरी कहते हैं कि मैं अरुण लाल का शुक्रगुजार हूं। चौधरी ने उन्हें मर्सिडीज कार गिफ्ट की है, जबकि खुद रिनॉल्ट डस्टर की सवारी करते हैं। यही नहीं लाल परिवार ने जब अपार्टमेंट से हटकर एक बंगले में रहने का फैसला लिया, तब भी उन्होंने उनकी मदद की। लाल परिवार के प्रति अपनी कृतज्ञता जताते हुए उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी अरुणिमा रखा है। विकाश चौधरी बताते हैं कि मैंने अपनी पत्नी कामना को भी बताया कि मेरी कामयाबी में 50 पर्सेंट हिस्सा मेरे माता-पिता का है। अरुण लाल के परिवार का ही असर है कि वह आज भी दान-पुण्य करते हैं और गरीब लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

साभार-इकनॉामिक टाईम्स से