Tuesday, April 23, 2024
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बलात्कारी पोप को सजा होने के बाद भी बचाता रहा चर्च

पोप फ्रांसिस बधाई के पात्र हैं कि जिन्होंने आखिरकार केरल के पादरी राबिन वडक्कमचेरी को ईसाई धर्म से निकाल बाहर किया। आखिरकार शब्द मैंने क्यों लिखा? इसलिए कि इस पादरी को केरल की एक अदालत ने बलात्कार के अपराध में 60 साल की सजा कर दी थी, इसके बावजूद पोप ने साल भर से इस पादरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

केरल के केथोलिक चर्च ने भी इस पादरी को दंडित नहीं किया। सिर्फ उसकी पुरोहिताई को मुअत्तिल कर दिया। 2017 में एक ईसाई लड़की से इस पादरी ने कई बार बलात्कार किया और जब इस पर मुकदमा चला तो इसने कनाडा भागने की कोशिश भी की। इसने कई गवाहों को पल्टा खिला दिया।

जब उस 16 साल की लड़की ने एक बच्ची को जन्म दे दिया तो इस पादरी ने उस लड़की के बाप से यह बयान दिलवा दिया कि यह बच्ची का पिता वह पादरी नहीं, मैं हूं। बाद में उस लड़की ने इस पादरी से शादी करने की गुहार भी लगाई लेकिन अदालत ने इन सारी तिकड़मों को रद्द करते हुए राबिन को जेल के सींखचों के पीछे भेज दिया। केरल की पुलिस ने उस बलात्कृत लड़की के पिता के विरुद्ध भी मामला दर्ज किया है।

यहां असली सवाल यह है कि चर्च, मस्जिद, मंदिर और गुरुद्वारों से इस तरह की काली करतूतों की खबरें क्यों आती हैं? ये तो भगवान के घर हैं। इनमें बैठनेवाले साधु-संन्यासी, पंडित, मुल्ला, पादरी वगैरह तो अपने आपको असाधारण पुरुष मानते हैं। इनकी असाधारणता ही इनका कवच बन जाती है। इन पर लोग शंका करते ही नहीं हैं।

मेरा निवेदन है कि इस तरह के धर्म-ध्वजियों पर सबसे ज्यादा शंका की जानी चाहिए। उनके आचरण पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए। और जब ये किसी भी प्रकार का कुकर्म करते हुए पकड़े जाएं तो इन्हें असाधारण सजा दी जानी चाहिए। यूरोप और अमेरिका में पादरियों के व्यभिचार और बलात्कार के हजारों किस्से सामने आते रहते हैं लेकिन उन्हें ऐसी तगड़ी सजा कभी नहीं मिलती, जो कि भावी अपराधियों की हड्डियों में कंपकंपी मचा दे।

रोमन केथोलिक चर्च में ब्रह्मचर्य पर जरुरत से ज्यादा जोर दिया जाता है, जैसे कि हमारे यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दिया जाता है लेकिन भारत में तो यह जोर किसी तरह निभ जाता है लेकिन गोरे देशों में इसके उल्लंघन में ही इसका पालन होता है। यदि ईसाइयत के अंधकार-युग के एक हजार साल का इतिहास देखें तो खुद कई पोप ही बलात्कार और व्यभिचार करते हुए पकड़े गए हैं। वह दिन कब आएगा, जबकि भारत के पादरियों के ऊंचे और पवित्र चरित्र का सिक्का सारी दुनिया में चमकेगा?

वेद प्रताप वैदिक देश के जाने-माने स्तंभकार हैं

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एक निवेदन

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