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सिने गीतकार : 21 गीतकारों की रोचक दास्तान

अद्विक प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित देवमणि पांडेय की नई किताब का नाम है सिने गीतकार। इस किताब का लोकार्पण चित्रकार आबिद सुरती, कथाकार सूरज प्रकाश और व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में 26 फरवरी 2023 को किया। इस पुस्तक में सिने जगत के 21 गीतकारों की रोचक दास्तान शामिल है। साथ ही सिने गीतों से संबंधित 6 आलेख भी हैं। देवमणि पांडेय के अनुसार- “मेरी ख़ुशक़िस्मती है कि कई प्रतिष्ठित गीतकारों से मुझे आत्मीय मुलाक़ात का मौक़ा मिला। उनसे अंतरंग बातचीत हुई। बहुत कुछ जानने, समझने और सीखने को मिला। मुझे पूरी उम्मीद है कि नई पीढ़ी को भी इन गीतकारों की रोचक दास्तान पसंद आएगी।”

इस पुस्तक की भूमिका सिने जगत के बहुचर्चित गीतकार मनोज मुन्तशिर ने लिखी है। वे लिखते हैं –

“मेरे बड़े भाई और सीनियर श्री देवमणि पांडेय जी की ये पुस्तक, जो आपके हाथों में है, ये फ़िल्मी गीतों और गीतकारों को यथोचित सम्मान देने का एक भगीरथ प्रयास है। मैं देवमणि जी का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने इस प्रयोजन को सार्थक करने के लिए दिन रात एक कर दिए। ये पुस्तक पढ़िए, इसके बाद जब आप फ़िल्मों के गीत सुनेंगे, तो उन शब्दकारों को इज़्ज़त से याद करेंगे जो ज़िंदगी भर अदब की महफ़िल के बाहर बंजारों की तरह खड़े रह गए, जिन्हें साहित्य की सभा में किसी ने पानी तक नहीं पूछा।”

इस पुस्तक में शामिल सिने गीतकारों के नाम हैं –

1.आनंद बख़्शी, 2. इंदीवर, 3. कैफ़ी आज़मी, 4. गोपाल सिंह नेपाली, 5. गोपालदास नीरज, 6. ज़फ़र गोरखपुरी, 7. जां निसार अख़्तर, 8. नक़्श लायलपुरी, 9. निदा फ़ाज़ली, 10. पं. प्रदीप, 11. मजरूह सुल्तानपुरी, 12. योगेश, 13. शैलेंद्र, 14. साहिर लुधियानवी, 15. सुदर्शन फ़ाकिर, 16. हसरत जयपुरी, 17. अभिलाष, 18. क़तील शिफ़ाई, 19. राहत इंदौरी, 20. जावेद अख़्तर, 21. माया गोविंद

पं प्रदीप, साहिर, शैलेंद्र, आनंद बख़्शी और उनके उपरोक्त साथियों ने अपनी क़लम से सिने संगीत को समृद्ध किया। इनके गीतों में संगीत प्रेमियों के दिलों की धड़कनें शामिल हैं। सोच, एहसास और सपने शामिल हैं। यहां तक कि ज़िन्दगी से मायूस न जाने कितने लोगों को इनके गीतों ने ख़ुदकशी से बचाया और जीने का मक़सद समझाया।

बीसवीं सदी के ये गीतकार इक्कीसवीं सदी के गीतकारों को क्या कोई प्रेरणा दे रहे हैं? क्या आज के गीतकारों की रचनात्मकता के साथ गुज़रे ज़माने के गीतकारों का कोई रिश्ता है? फ़िल्म ‘केसरी’ में मनोज मुन्तशिर का गीत है – ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’। देश विदेश में इस गीत को असीम लोकप्रियता हासिल हुई। मनोज ने बताया कि उनके लिए कैफ़ी आज़मी का गीत प्रेरणास्रोत बना- “कर चले हम फ़िदा जानो तन साथियो। अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो।” हक़ीक़त यही है कि आज भी बीसवीं सदी के गीतकार इक्कीसवीं सदी के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

आज सिने संगीत का मंज़र बदल गया है। सब्ज़ी भाजी की तरह गीत बिक रहे हैं। गीतकारों से एक लाइन का मुखड़ा यानी हुक लाइन मांगी जाती है। संजीदा गीतकारों के लिए ऐसे माहौल में काम करना बेहद मुश्किल है। फिर भी इस किताब में शामिल गीतकार नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत साबित होंगे और उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देंगे।

आप इस किताब को घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं। डाक खर्च प्रकाशक वहन करेंगे। दो सौ पेज़ की इस किताब का मूल्य ₹300 है। ख़रीदने के इच्छुक पाठक कृपया यहां संपर्क करें-

अशोक गुप्ता : निदेशक
अद्विक पब्लिकेशन, 41 हसनपुर आईपी एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली -110092
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