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पीयूसी सर्टिफिकेट की अनिवार्यता

भारत में कुछ सालों से प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही हैं कि प्रदूषण को कैसे कम किया जा सके।
बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा पीयूसी सर्टिफिकेट को अनिवार्य कर दिया गया है। यदि आप बाइक या कार अथवा बड़े वाहन चलाते हैं तो आपके पास पीयूसी सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है वरना आपको बड़ी रकम जुर्माना भरना पड़ सकता है यातायात का नियम तोड़ने के कारण यह जुर्माना ₹10000 तक का हो सकता है अतः पीयूसी सर्टिफिकेट हर गाड़ी चालक के पास होना चाहिए ।

पीयूसी सर्टिफिकेट यानी कि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट। इस सर्टिफिकेट के द्वारा यह जानकारी दी जाती है कि गाड़ी की प्रदूषण का प्रतिशत कितना है। जांच के बाद पीयूसी सर्टिफिकेट का रिपोर्ट प्राप्त होता है । राज्य के प्रत्येक पेट्रोल पंप पर पीयूसी सेंटर यानी प्रदूषण जांच केंद्र खोले हुए हैं जो राज्य सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं । पीयूसी सर्टिफिकेट पर उस राज्य के ट्रांसपोर्ट विभाग का नाम होता है। इस सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए लगभग हर राज्यों में एक समान शुल्क रखा गया है जो ₹50 से ₹100 तक है। मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के आ जाने के बाद से गाड़ी द्वारा होने वाले पोलूशन को लेकर काफी सख्ती बरती जा रही है । इसी कारण सरकार ने पीयूसी सर्टिफिकेट यानी कि पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट गाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया है ।

इसका उद्देश्य बढ़ते एयर पोलूशन को कम करना है। नई गाड़ियों को लेने पर पीयूसी सर्टिफिकेट उसी समय जांच करके दिया जाता है जो 1 वर्ष के लिए मान्य होता है उसके पश्चात पुनः सर्टिफिकेट लेना होता है जो 3 से 6 माह तक के लिए वैलिड होता है । यह सर्टिफिकेट हर राज्य का दूसरे राज्यों में भी वैलिड माना जाता है। यदि आपके भी गाड़ी का पीयूसी सर्टिफिकेट इनवैलिड हो गया है तो आप भी अभिलंब पेट्रोल पंप पर जाकर पॉल्यूशन चेक सेंटर जो कि ट्रांसपोर्ट विभाग से अर्थराइज होता है से संपर्क कर एक जागरूक नागरिक की भांति भारत को प्रदूषण मुक्त बनाने में अपना योगदान प्रदान करें!