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अविस्मरणीय रहेगा श्री दुलीचंद जी बरडिया का योगदान

राजनांदगांव। शहर के प्रतिष्ठित सराफा व्यवसायी और समाजसेवी स्व.दुलीचन्द जी बरडिया को जैन श्री संघ सहित जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, संस्थाओं के पदाधिकारियों, पत्रकारों तथा शुभचिन्तकों ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। बरडिया परिवार के सभी स्वजन-परिजन की उपस्थिति में बड़ी संख्या में मौजूद लोगों ने बरडिया जी के योगदान का स्मरण कर उसे अनुकरणीय निरूपित किया। भावांजलि कार्यक्रम उदयाचल सांस्कृतिक भवन में संपन्न हुआ। ज्ञात रहे कि 27 अक्टूबर को 94 वर्ष की दीर्घायु प्राप्त कर बरडिया जी ने सदर बाज़ार स्थित अपने बरडिया निवास में हीअंतिम साँस लीं।

प्रारम्भ में प्रोफ़ेसर डॉ.चंद्रकुमार जैन ने स्मृतिशेष श्री दुलीचंद जी बरडिया की जीवन यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों की चर्चा करते हुए कहा कि एक समर्पित पत्रकार, सफल व्यवसायी और संवेदनशील समाजसेवी के त्रिवेणी संगम ने उनके व्यक्तित्व को व्यापक सरोकारों से समृद्ध बना दिया। यही कारण है कि बरडिया परिवार ने भी व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक कर्मक्षेत्र को अपने मिशन में शामिल कर लिया। लिहाज़ा, परिवार के वरिष्ठ जन के साथ उनके सुपुत्र सर्वश्री ललित बरडिया, अनिल बरडिया, सुनील बरडिया सहित पूरा परिवार विभिन्न क्षेत्रों में अपने-अपने योगदान के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भावांजलि सभा में स्व बरडिया जी की ज्येष्ठ सुपुत्री श्रीमती चंद्रकला बोथरा ने पिता की भावना और जीवन की सार्थकता पर मर्मस्पर्शी उदगार व्यक्त किया। सर्व श्री लीलाराम भोजवानी, नरेश डाकलिया, दामोदरदास मूंदड़ा, डॉ पुखराज बाफना, सुशील कोठारी, नरेन्द्र दुग्गड़, दीपक बुद्धदेव, विनोद डड्ढा, अरुण पलावत, शिवराज बैद ने बरडिया जी के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उनके कार्यों को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि ऐसे दिव्य व्यक्तित्व का अवसान समाज की अपूरणीय क्षति है। परिवार ने बच्चों ने भी अपनी भावना व्यक्त की। बरडिया परिवार की तरफ से ललित बरडिया और सुनील बरडिया ने पिता श्री के आदर्शों और संदेशों के अनुपालन तथा विस्तारण का संकल्प व्यक्त करते हुए सबका आभार माना।