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कोरोना महामारी : भारत सरकार के सभी मंत्रालयों द्वारा आम जनता से भाषाई भेदभाव

 

 

 

 

 

सेवा में,

माननीय श्री ओम बिड़ला

लोकसभा अध्यक्ष

भारत

महोदय,

भारत सरकार में हिन्दी केवल कागजी राजभाषा के रूप में अपनाई गई है, 72 सालों में बार-2 हर बार सिद्ध होता है इसलिए भारत सरकार के कामकाज मेें अंग्रेजी के आगे हिन्दी की कोई हैसियत नहीं है।

कोरोना जैसी महामारी पैर पसार रही है परंतु भारत सरकार के सभी मंत्रालय, विभाग और संस्थान राजभाषा अधिनियम 1963 का उल्लंघन करते हुए प्रेस नोट, आदेश व अधिसूचनाएँ केवल अंग्रेजी में जारी कर रहे हैं, गत् 60 दिनों में कोरोना के संबंध में भारत सरकार के किसी भी मंत्रालय, विभाग और संस्थान ने हिन्दी में एक भी आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किया। (सभी आदेश, व सूचनाएँ त्वरित संदर्भ के लिए संलग्न हैं।)

मैं इस संबंध में लगातार शिकायत कर रही हूँ पर अधिकारियों को आम जनता की शिकायतों से कोई लेना-देना नहीं है। जिसके कारण अंग्रेजी न जानने वाले 97 प्रतिशत भारतीय नागरिकों के बीच गलत सूचनाएँ व अफवाहें फैल रही हैं।

आज रात 8 बजे प्रमं श्री नरेंद्र मोदी जी ने देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की।

उसके बाद गृह मंत्रालय ने संपूर्ण तालाबंदी का विस्तृत आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किया, यह आदेश क व ख क्षेत्र के राज्यों को भी केवल अंग्रेजी में जारी किया गया और तुंरत ही अफवाहें फैल गई कि कल सुबह से न दूध मिलेगा न किराना, महानगरों में भी लोग घबराकर सामान खरीदने निकल पड़े, लंबी कतारें लग गईं और सामाजिक दूरी की अपील फुस्स हो गई।
राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण ने अपने सभी आदेश व निर्देश अंग्रेजी में जारी करने और सामाजिक माध्यमों पर केवल अंग्रेजी में सूचना देने का संकल्प ले रखा है, कोरोना का पोर्टल केवल अंग्रेजी में बनाया है http://gis.ndma.gov.in/arcgis/apps/sites/#/data ताकि अंग्रेजी न जानने वाली जनता की मदद ही न करना पड़े-
स्वास्थ्य मंत्रालय ने 60 दिन में कोरोना पर एक भी दस्तावेज हिन्दी में जारी नहीं किया है।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने भी अपने सभी प्रेस नोट व आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए हैं।
इलेक्ट्रॉनिकी व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी अपने सभी प्रेस नोट व आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी अपने सभी प्रेस नोट व आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए हैं।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने भी अपने सभी प्रेस नोट व आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए हैं।
वित्त मंत्रालय ने भी अपने सभी प्रेस नोट व आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए हैं।
कार्पोरेट कार्य मंत्रालय ने भी अपने सभी प्रेस नोट व आदेश केवल अंग्रेजी में जारी किए हैं।
विभिन्न विभागों , मंत्रालयों द्वारा अपने आदेश, निर्देश, परामर्श व प्रेस विज्ञप्ति को जारी करने के लिए केवल अंग्रेजी वाले पत्रशीर्ष प्रयोग किये जा रहे हैं जो कि राजभाषा नियम 1976 के नियम 11 का उल्लंघन भी है।

लोकसभा अध्यक्ष महोदय, हिन्दी राजभाषा है तो सरकारी आदेश हिन्दी में क्यों जारी नहीं किए जा रहे हैं, चूँकि कोई भी मंत्रालय राजभाषा का पालन नहीं कर रहा है इसलिए संविधान में संशोधन करके हिन्दी को राजभाषा पद से हटा देना बेहतर होगा।

आपके द्वारा संबंधित अधिकारियों को त्वरित निर्देश दिए जाने की आशा करती हूँ।

भवदीय

श्रीमती विधि प्र. जैन

सी-32, स्नेहबंधन सोसाइटी, भूखंड-3, प्रभाग 16, वाशी, नवी मुंबई 400703 (भारत)

प्रतिलिपि-

राजभाषा विभाग, भारत सरकार