Saturday, April 20, 2024
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कोरोना योद्धा : लॉकडाउन में अस्पतालों और मरीजों के लिए संजीवनी बना डाक विभाग

लखनऊ। ‘डाकिया डाक लाया’ गीत हम सभी लम्बे समय से सुनते आ रहे हैं। पर लॉकडाउन में डाकिया के थैले में अब सिर्फ चिट्ठियां व पैसे ही नहीं बल्कि दवाएं, मास्क पीपीई किट्स और अन्य मेडिकल उपकरण भी हैं। कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में लागू लॉकडाउन ने अस्पतालों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए समस्याएं खड़ी कर दीं। प्लेन, ट्रेन और बसों सहित ट्रांसपोर्ट के प्राय: सभी साधन बंद होने से आवश्यक दवाओं की आपूर्ति एक अहम समस्या हो गई। कूरियर कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए। एक तो लॉकडाउन में बाहर निकल नहीं सकते, उस पर से कोरोना के डर से लोग को अस्पताल जाने में भी झिझकने लगे। ऐसे में डाक विभाग लोगों के लिए संजीवनी बनकर सामने आया। डाककर्मी विशेषकर डाकिया इस समय ‘कोरोना योद्धा’ के रूप में लगातार कार्य कर रहे हैं। स्वयं संचार मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद भी लॉक डाउन के दौरान डाक विभाग द्वारा किये जा रहे तमाम कार्यों के बारे में ट्वीट करके प्रशंसा कर चुके हैं।

लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, लॉकडाउन में आम जनमानस को दवाइयों तथा अन्य जीवनोपयोगी वस्तुओं के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े, इस जिम्मेदारी को उठाते हुए डाक विभाग लगातार जीवनरक्षक दवाओं, एन 95 मास्क, पीपीई किट्स तथा वेंटिलेटर्स इत्यादि मेडिकल उपकरणों की बुकिंग व विभिन्न शहरों में उनका समयबद्ध तरीके से वितरण सुनिश्चित कर रहा है। श्री यादव ने कहा कि, ई कॉमर्स कंपनी नेटमेड्स, सिप्ला से लेकर इंडियन ड्रग मैनुफैक्चर एसोसिएशन तक डाकघरों से दवाएँ भेज रहे हैं । नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ मलेरिया रिसर्च, नई दिल्ली से कोविड-19 टेस्टिंग किट्स कोल्ड चेन सिस्टम के अंतर्गत संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ (एसजीपीजीआई) में 18 घंटे के भीतर पहुँचाई गई।

निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, अकेले लखनऊ के डाकघरों से अब तक लगभग 23 टन दवाएं स्पीड पोस्ट और पार्सल के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में भेजी जा चुकी हैं। कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभाते हुए ढाई लाख कोविड-19 टेस्टिंग किट्स भी लखनऊ के डाकघरों से स्पीड पोस्ट के माध्यम से बुक होकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों व सरकारी अस्पतालों में वितरित की जा चुकी हैं। इन्हें 24 घंटे के भीतर कोल्ड चेन सिस्टम में पहुँचाना होता है, ताकि ये खराब न हों। अन्य राज्यों व जनपदों से प्राप्त मेडिकल उपकरणों को प्राथमिकता के आधार पर तुरंत लोगों को पहुँचाया जा रहा है। लखनऊ में इसके लिए विशेष वाहनों की व्यवस्था की गई है, ताकि जरूरत पड़ने पर एकदम सुबह या देर शाम में भी दवाओं व मेडिकल उपकरणों को एसजीपीजीआई, केजीएमयू या अन्य संस्थानों और व्यक्तियों तक पहुँचाया जा सके।

निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, ट्रांसपोर्ट के सभी साधन बंद होने पर डाक के आदान-प्रदान के लिए डाक विभाग ने अपने रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को विकसित किया ताकि इसके माध्यम से नागरिकों को अंतिम छोर तक सुचारु रूप से डाक सेवाएँ पहुँचाई जा सकें। डाक विभाग की लाल रंग की मेल मोटर्स से दवाइयों के पार्सल एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का सफलतापूर्वक बुकिंग और वितरण सुनिश्चित किया जा रहा। इस दौरान सभी डाककर्मी सोशल डिस्टेंसिंग व पूरी एहतियात बरतते हुए समर्पण भाव के साथ कार्य कर रहे हैं।

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