Friday, April 19, 2024
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क़ानूनी शिकंजे में देश के एनजीओ

संसद के हंगामे में एक बहुत महत्वपूर्ण क़ानूनी परिवर्तन से सामाजिक क्षेत्र में स्वछता और स्वयंसेवी का चोला पहनकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चलाने वाले कुछ संगठनों पर नियंत्रण पर हुई बहस और विधेयक पारित होने की बात पर ध्यान नहीं दिया गया | | गरीबों , विकास , मानव अधिकार के नाम पर विदेशी मुद्रा में करोड़ों रुपया लेकर आलीशान बंगलों , कारों , होटलों में एश करने और सम्मेलन , संगोष्ठी के बहाने विदेशों की सैर करने वालों को अब अपना धंधा बंद करना होगा | सचमुच समाज की सेवा के लिए समर्पित संस्थाओं को अधिक गरिमा और विश्वसनीयता से काम करने की सुविधा होगी | माओवादियों और आतंकवादी समूहों को संदिग्ध एन जी ओ से पर्दे के पीछे मिलने वाली मदद पर अंकुश लग सकेगा |

यह मुद्दा नया नहीं है | कई लोगों को ग़लतफ़हमी है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ही पूर्वाग्रही है | दस साल पहले मनमोहन सिंह सरकार के गृह मंत्री ने भी 2010 संसद में माना था कि ‘ विदेशी फण्ड लेने वाले अनेक एन जी ओ न तो बाहर से आने वाली धनराशि का पूरा विवरण देते हैं और न ही कोई हिसाब देते हैं | स्थिति इतनी अजीब रही कि विदेशी मुद्रा में इन संगठनों के पास बीस हजार करोड़ रुपयों का फण्ड आया और उन्होंने दस हजार करोड़ कहाँ खर्च किया इसकी कोई जानकारी किसीको नहीं दी | ‘ इस स्वीकारोक्ति के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की | इसलिए एन जी ओ के पास विदेश फण्ड की धनराशि बढ़ती रही | सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 2015 – 16 में 13 ,629 करोड़ , 2016 – 17 में 14694 करोड़ , 2017 – 18 में 15 ,900 करोड़ रप्यों की सहायता इन संगठनों को मिकी |पिछले साल यह रकम १८ हजार करोड़ रूपये हो गई |

भारत में गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन को प्राम्भिक वर्षों में सरकार ने उदारतापूर्वक विदेशी अनुदान लेने दिया | 1976 में विदेशी मुद्रा लेने वाले संगठनों को सौ प्रतिशत प्रशासकीय खर्च दिखाने की सबविधा मिली | बड़ी संख्या में ऐसे एन जी ओ के हिसाब किताब और गतिविधियों की जानकारियां मिलने के बाद सरकार ने प्रशासकीय खर्च की सीमा पचास प्रतिशत कर दी | फिर भी प्रभावशाली लोगों के नाम साथ में जोड़कर कई संस्थाएं मौज मस्ती के साथ धन का दुरूपयोग करती रहीं | आप कल्पना नहीं कर सकते कि देश के 26 राज्यों में करीब 31 लाख एन जी ओ हैं | सरकार ने संसद में भी मना है कि पिछले बीस वर्षों में एन जी ओ को लगभग दो लाख करोड़ रूपये उनसे मिले | गृह मंत्रालय के पास भी कुछ राज्यों से यह रिपोर्ट मिली कि कुछ संगठनों ने धर्म परिवर्तन , नक्सली आंदोलनों , जाति – धर्म या समस्याओं के नाम पर लोगों को भड़काने के लिए विदेशी चंदे का इस्तेमाल किया |

इस पृष्ठभूमि में मोदी सरकार ने बाकायदा महीनों तक विभिन्न दलों की संसदीय समिति में विचार विमर्श के बाद विदेशी अभिदाय विनियमन 2010 में संशोधन कर विधेयक को संसद के इस स्तर में बहस के साथ पारित करवा लिया और अब एन जी ओ की सीमाएं तय कर दी | इसमें कोई शक नहीं कि सैकड़ों स्वयंसेवी संगठन ईमानदारी से काम कर रहे हैं | उन्हें इस कानून से अधिक लाभ होगा | देश विदेश में उनकी साख भी बढ़ेगी | अन्यथा भारत में एन जी ओ की छवि निरंतर बिगड़ रही थी | केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बीस हजार फर्जी किस्म के एन जी ओ का पंजीकरण रद्द किया है | नया कानून लागु होने के बाद इस साल से विदेशी अनुदान लेने वाले हर एन जी ओ को अनिवार्य रूप से दिल्ली में राष्ट्रीयकृत स्टेट बाइक ऑफ़ इण्डिया में खता कोलकर पहले उसीमें धन मांगना होगा | उस कहते से वे देश के किसी भी हिस्से में किसी भी बैंक में आधार कार्ड या पासपोर्ट के विवरण का खता खोलकर दिल्ली के बैंक से पैसा ले सकेंगे | दिल्ली का खाता भी वे अपने शहर से ही खोल सकेंगे | फिर जिस समाज सेवा के क्षेत्र – शिक्षा , स्वास्थ्य , रोजगार या अन्य में ही फण्ड का उपयोग करना होगा | प्रशासकीय खर्च केवल बीस प्रतिशत ही कर सकेंगे |

अब तक कई संस्थाएं करोड़ों की धनराशि मंगाने के बाद दुकान की तरह संस्था बंद कर देते रहे हैं और उसकी जानकारी भी सरकार को नहीं देते | नया कानून बनने से अब उन्हें पंजीकरण रद्द करने के लिए बाकायदा सरकार को सूचित करना होगी | इसके तब तक के कामकाज की पूरी रिपोर्ट राज्य सरकार के अधिकारी देंगें , तब उसे बंद किये जाने का अधिकृत प्रमाण पत्र दिया जाएगा | इसी तरह नियमानुसार सरकारी अधिकारी किसी एन जी ओ में नहीं रह सकते हैं , लेकिन चतुर अधिकारी किसी परिजन के नाम पर संस्था चलाकर अपने प्रभाव से करोड़ों रूपये का विदेशी चंदा मंगवा लते थे | नए कानून के लागु होने के बाद उनकी ऐसी गतिविधि पकडे जाने पर दंडित होना पड़ेगा | अब अधिकारी ही नहीं ‘ पुब्लिक सर्वेंट ‘ की श्रेणी वाले लोगों पर भी यह नियम लागु हो जायेगा | एक और तिकड़म कुछ एन जी ओ करते रहे | वे चंदा एक संस्था के नाम से मंगाते और कुछ समय में उसे दूसरी संस्था में ट्रांसफर कर देते थे | अब वे ऐसा नहीं कर सकेंगे |

भारत में पारदर्शिता और संसाधनों के सदुपयोग के लिए सरकार ने अभियान सा चला रखा है | केवल सरकार ही सब काम नहीं कर सकती है | सामाजिक और स्वयंसेवी संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है | विदेशी अनुदान हो या निजी कंपनियों के लिए निर्धारित सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए अनिवार्य खर्च से समाज को आगे बढ़ाने में सुविधा होगी | कोरोना काल के दौरान भी कई स्वयंसेवी संगठनों ने बहुत अच्छा काम किया | लाखों लोगों को खिलाने , कपड़ा , दवाई उपलब्ध कराने में िंसंगठनों के सहयोग की सराहना भी हुई है | आशा करनी चाहिए कि एन जी ओ के लिए बने नए कानून से सामाजिक सेवाओं का नया अध्याय शुरू होगा |

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं व कई पत्र-पत्रिकाओँ में संपादक का दायित्व निर्वाह कर चुके हैं)

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