रचनात्मक कला और प्रतिष्ठित व्यवसाय : जन संपर्क

जन संपर्क एक कला तो है ही, आज एक महत्वपूर्ण व्यवसाय और भारत जैसे विशाल लोकतंत्र की तो बड़ी ज़रुरत भी बन गया है। उत्पादों व संस्थाओं को बाजार में उतारने व कायम रहने की चुनौतियों ने जनसंपर्क की उपयोगिता बढ़ा दी । 

मोबाइल, इंटरनेट द्वारा नवनिर्मित सूचना समाज में जनसंपर्क सरकार व बाजार से लेकर बॉलीवुड तक फैल गया है। एक वह जमाना था जब जनसंपर्क अधिकारी का कार्य मात्र मीडिया को सैर कराने व अतिथियों के लिए होटल बुक करने तक ही सीमित समझा जाता रहा था लेकिन यह स्थिति आज हालात पूरी तरह बदल गए हैं और अब जनसंपर्क एक प्रतिष्ठित पेशे और व्यवसाय के रूप में  दुनियाभर मे स्थापित हो चुका है। आज व्हाइट हाउस और पीएमओ से लेकर प्रॉक्टर एंड गैंबल, प्रजापति बह्माकुमारी मुख्यालय व कलेक्टोरेट कार्यालय सभी जगह जनसंपर्क विंग विद्यमान हैं। यह क्षेत्र बहुत तेजी से विकास कर रहा है। कंपनियां अब जनसंपर्क सलाहकारों की सेवाएं ले रही हैं। इन बातों को देखते हुए कैरियर के लिए यह क्षेत्र कारगर सिद्ध हो सकता है।

पाठ्यक्रम और योग्यता – पब्लिक रिलेशन में कैरियर बनाने के लिए अभ्यर्थी का ग्रेजुएट होना जरूरी है। कुछ संस्थानों में ग्रेजुएशन के अंकों के आधार पर प्रवेश मिलता है जबकि कई संस्थान एंट्रेंस टेस्ट को एडमिशन का आधार बनाते हैं। संबंधित कोर्स एक या दो साल के हो सकते हैं। पाठ्यक्रमों के अंतर्गत मीडिया प्लानिंग, एडिटिंग एंड राइटिंग, कारपोरेट पब्लिक रिलेशन, प्रोडक्ट टेक्नीक आदि बातों की जानकारी दी जाती है।वेतनमानजनसम्पर्क प्रशिक्षणार्थी का प्रारंभ में वेतन 15000 रुपए से 20000 रुपए के बीच प्रति माह होता है। वेतन किसी संगठन के स्वरूप पर निर्भर करता है। वरिष्ठ व्यवसायी 20000 रुपए से 25000 हजार रुपए के बीच कहीं भी किसी भी संगठन में वेतन पा सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र में जनसंपर्क अधिकारी का वेतन संगठन के वेतन की संरचना या विशिष्ट स्तर पर अधिकारी के लिए निर्धारित सरकारी वेतनमान से निर्धारित किया जाता है।

कार्य का स्वरूपजन – संपर्क कार्यालय व्यस्त स्थल होता है। कार्य का समय अनियमित होता है तथा बार-बार व्यवधान आता है। कनिष्ठ कर्मचारी को प्रेस तथा आम जनता द्वारा मांगी गई सूचना का जवाब फोन पर देना पड़ता है। निमंत्रण सूची से संबंधित कार्य करना होता है। प्रेस सम्मेलन के विस्तृत ब्यौरे तैयार करने पड़ते हैं। आगंतुकों तथा ग्राहकों के साथ-साथ चलना पड़ता है। शोध कार्य में सहायता करनी पड़ती है और विवरणिका लिखनी होती है। वह संपादन कार्यालय में प्रेस विज्ञप्ति पहुंचाता है तथा मीडिया की वितरण सूची संकलित करता है। इसके अतिरिक्त वह भावी बैठक के संबंध में प्रबंधन को संक्षिप्त जानकारी देता है।

विस्तार – ऐसोचैम के अनुसार भारत में 1200-1500 जनसंपर्क एजेंसियां हैं, जहां पर 30000 से 40000 पेशेवर कार्य कर रहे हैं। जनसंपर्क एक बहुत ही रचनात्मक कार्य है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 2 लाख लोग जनसंपर्क के विभिन्न आयामों में सेवारत हैं। जिस तरह इस व्यवसाय के विकास का अनुमान  लगाया जा रहा है उससे लगता है कि यह क्षेत्र कैरियर का बहुत बड़ा क्षेत्र बनकर उभरेगा। भारत में इस समय सभी विश्वविद्यालयों में जनसंपर्क पढ़ाया जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में 100 से अधिक संस्थाएं पीआर पर शिक्षा दे रही हैं। अब भारत में एमबीए पीआर भी उपलब्ध हो गया है। आवश्यक गुणदबाव के समय विश्लेषणात्मक ढंग से सोचने की क्षमता, आवश्यक सूचना हासिल करने तथा व्यावहारिक एवं प्रभावी हल निकालने की दक्ष हो।वर्तमान समस्याओं को सुलझाने की कल्पनाशक्ति तथा भावी समस्याओं के लिए पूर्वानुमान कौशल, लोगों तथा समूह के साथ आमने-सामने संपर्क स्थापित करने के लिए लेखन क्षमता, आत्मविश्वास, संप्रेषण कौशल, कूटनीति और दूसरों के स्थान पर स्वयं होने की कल्पना करने की सामान्य से अधिक क्षमता होनी चाहिए। 

रोजगार के अवसर – जनसंपर्क की दुनिया में स्थान बनाने के लिए आप संगठन के जनसंपर्क विभाग या पेशेवर फर्म के जनसंपर्क विभाग में शामिल हो सकते हैं जो ग्राहकों को जनसंपर्क सेवाएं प्रदान करता है। ऐसी एजेंसियां संविदात्मक आधार पर कार्य करती हैं। प्रारंभिक स्तर पर व्यक्ति को प्रशिक्षणार्थी के रूप में रखा जाता है। प्रारंभ में जनसम्पर्क के क्षेत्र में संगठन में से ही प्रशिक्षणार्थी की भर्ती की जाती है। अन्य विकल्प स्वयं परामर्श सेवा प्रदान करना है बशर्ते व्यक्ति निस्संकोची और साहसी हो तथा मीडिया के साथ उसके संपर्क हों। कैरियर की दृष्टि से सरकारी नौकरी सुरक्षित रहती है, लेकिन जनसंपर्क से जुड़ी वास्तविक चुनौती गैर सरकारी क्षेत्र में है।

जागरूकता से जुड़ाव – जनसंपर्क एक बहुत ही रचनात्मक कार्य है, जिससे सभी को फायदा होता है। जनसंपर्क में बहुत शक्तियां हैं। जनसंपर्क की ताकतों का इस्तेमाल कर सामाजिक बुराइयों को दूर किया जा सकता है। वर्तमान समय की चुनौतियां जैसे जलवायु परिवर्तन, एड्स, गरीबी और अशिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने तथा इसके बारे में व्यापक जनमत तैयार करने में जनसंपर्क बड़ी भूमिका निभा सकता है। खेल के अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय आयोजनों को सफल और उस आयोजन के प्रति एक व्यापक जनसमर्थन जुटाने में जनसंपर्क की भूमिका महत्त्वपूर्ण बनती जा रही है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान – हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी, शिमला(हिमाचल प्रदेश)हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी,शाहपुर,इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली,इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ  मास कम्युनिकेशंस, नई दिल्ली,पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियालाअलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़,वाईएमसीए इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया स्टडीज, नई दिल्ली,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी,यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद, हैदराबाद,जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली आदि। 
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प्राध्यापक, शासकीय दिग्विजय 
महाविद्यालय, राजनांदगांव। 
मो.9301054300