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साइकलिंग ने झालरापाटन के कमलेश को दी पहचान

विभिन्न क्षेत्रों में लोग लंबे समय तक लगातार प्रयास करने पर जो पहचान बनाते हैं वह पहचान झलारापाटन के 38 वर्षीय कमलेश गुप्ता ने अल्प समय के तीन साल में साइक्लिस्ट के रूप में बना ली और इन्हें साइक्लिस्ट के रूप में पहचाना जाने लगा है।

झालरापाटन के इस नौजवान युवक ने तीन साल में 19500 किलोमीटर साइक्लिंग यात्रा कर विभिन्न वास्तविक एवं ऑन लाइन साइक्लिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेकर वर्ष 2022 तक 20 ट्राफी, 35 मेडल और 350 से अधिक सर्टिफिकेट अपनी झोली में डालने का गौरव प्राप्त कर लिया है। इतने इनाम लोगों को बहुत लंबे समय में नहीं मिल पाते। साथ ही जिला प्रशासन झालावाड़ द्वारा 15 अगस्त 2022 को जिला स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया गया। आपको पोरवाल समाज मंदसौर (मध्यप्रदेश)द्वारा अक्टूबर 2022 में सम्मानित किया गया।

साईकिलिंग का शौक केसे पैदा हुआ के प्रश्न पर बताते हैं कि वर्ष 2019 में प्रथम बार झालावाड़ के जिला कलेक्टर डॉ. जे.के.सोनी ने साइकलिंग का एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें लगभग 100 साइक्लिस्टो ने भाग लिया। इस पहले कार्यक्रम से ही मन में इसके प्रति इनके मन में रुचि जाग्रत हो गई। इसके बाद साइकलिंग के 9 से 10 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।

जब इनकी रुचि जाग्रत हुई तो और युवक भी आगे आए और इन्होंने झालरापाटन के साइक्लिंग ग्रुप “टाइगर राइडर्स” का गठन किया जिसमें वर्तमान में 12 युवक शैलेंद्र गुप्ता, अंशु गुप्ता, दिनेश कुमार मीणा, हिमांशु अग्रवाल, चंद्रकांत त्रिपाठी, विजय पाटौद, कमलकांत पालीवाल, संदीप झाला, कमलेश गुप्ता, जगदीश गुप्ता, मंगल गुर्जर, योगेंद्र सिंह, कपिल सोनी आदि जुड़ कर सदस्य बन गए। ग्रुप का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को सेहतमंद बनाने के लिए जागरूक करना और अपनी शारीरिक क्षमता का विकास करना है। ग्रुप के सदस्यों ने वर्ष 2020 में 5000 किमी और वर्ष 2021 में 8000 किमी साइकलिंग की। इनके ग्रुप के अन्य सदस्य चंद्रकांत त्रिपाठी ने 18000 किमी और शैलेंद्र गुप्ता ने 12000 किमी से अधिक साइक्लिंग की है।
झालावाड़ निवासी महिला उज्जवला कनोड़े ने गत 4 वर्ष में नियमित साइक्लिंग कर 40204 किमी पूर्ण किए और सेहत के प्रति लोगों को जागरूक किया है।

साइकलिंग जिले में ही आसपास के क्षेत्र तीन धार, डग, भवानीमंडी, रायपुर,मंडावर में की जाती है। सदस्य प्रतिदिन एक से दो घंटे में 20 से 25 किमी की साइकिलिंग करते हैं। इस दौरान पर्यावरण जागरूकता का संदेश भी देते हैं और गर्मियों में पक्षियों को पीने के पानी के लिए परिंडे बांधते हैं। पोधारोपण और रक्तदान जेसे कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं।

ऑन लाइन साइकलिंग प्रतियोगिता के बारे में बताते हैं कि पंजाब में( कोटकपूरा , भटिंडा) हरियाणा , महाराष्ट्र राजस्थान में( कोटा, जयपुर) में ग्रुप बने हैं जो ऑन लाइन प्रतियोगिता के लिए 1500, 1000, 750 और 500 किमी साइकलिंग का लक्ष्य एक माह में पूर्ण करने का समय तय करते हैं। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित इन प्रतियोगितिओं में देश भर से पांच सो से एक हजार साइक्लिस्ट भाग लेते हैं। लक्ष्य से अधिक साइकलिंग करने पर प्रथम,द्वितीय और तृतीय रहने पर क्रमश: बड़ी ट्रॉफी, छोटी ट्रॉफी और मेडल के साथ प्रमाण पत्र दिए जाते हैं और सभी भाग लेने वालों को मेडल और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाते हैं।

कमलेश बताते हैं पहले दिन केवल 4 किमी ही साइकलिंग कर पाए और धीरे – धीरे 10 किमी तक पहुंचे और पांच महीने में अच्छे साइक्लिस्ट बन गए ,अब प्रतिदिन 25 किमी तक साइकलिंग करते हैं। उन्होंने बताया कि वह दिन उनके लिए यादगार रहा जब स्पीक मैके के संस्थापक पद्मश्री प्राप्त किरण सेठ अपनी 1800 किमी की साइकिल यात्रा कर झालरापाटन आए थे और उनसे मुझे व्यक्तिगत रूप से साइकलिंग की प्रेरणा मिली।उन्होंने भी हमारे ग्रुप की गतिविधियों की सराहना कर हमारा हौसला बढ़ाया था।
इनका संदेश है कि बाइसिकल चलाने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है जैसे हार्ट अटैक, कुछ केंसर के प्रकारों से, मोटापे व डायबिटीज आदि से। आज के समय में साइकिल को अपने जीवन में ढालकर हर किसी उम्र का व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।

परिचय : कमलेश गुप्ता का जन्म 2 जुलाई 1984 को झालरापाटन में हुआ। आपने राजकीय महाविद्यालय झालावाड़ से वर्ष 2006 में विज्ञान में स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की। आप की स्पोर्ट्स में अच्छी रुचि थी। आप निजी व्यवसाय से जुड़े हैं।
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