Friday, March 29, 2024
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Homeपुस्तक चर्चा‘दरियागंज की किताबी शाम - 5’

‘दरियागंज की किताबी शाम – 5’

विषय : ‘कटिहार से केनेडी : राह जिसके मुसाफ़िर कम थे’

दिनांक व समय : 18 जुलाई 2019, शाम 4:00 बजे

स्थान :
डॉ. प्रेमचंद ‘महेश’ सभागार, वाणी प्रकाशन 21-ए, दरियागंज, नयी दिल्ली-110002

दक्षिण एशिया के सबसे बड़े और पुराने किताबी गढ़ ‘दरियागंज’ की विस्मृत साहित्यिक शामों को विचारों की ऊष्मा से स्पंदित करने के लिए वाणी प्रकाशन द्वारा एक विचार श्रृंखला ‘ दरियागंज की किताबी शाम’ की शुरुआत की गयी है। इसमें विमर्श की ऊष्मा के साथ शामिल होगी गर्म चाय की चुस्कियाँ, कागज़ की ख़ुशबू और पुरानी दिल्ली का अपना ख़ास पारंपरिक फ़्लेवर।

इस श्रृंखला की पाँचवीं कड़ी 20 जुलाई, शनिवार 2019 को आयोजित की जायेगी। परिचर्चा का विषय है- ‘कटिहार से केनेडी : राह जिसके मुसाफ़िर कम थे’ इस विषय पर संवाद करेंगे- डॉ. संजय कुमार से (मैथली दीवा) काजल कर्ण।

कार्यक्रम वाणी प्रकाशन कार्यालय स्थित, डॉ. प्रेमचंद ‘महेश’ सभागार में शाम 4:30 बजे आयोजित होगा।

पुस्तक का विवरण

वाणी बुक कम्पनी (वाणी प्रकाशन का अंग्रेज़ी उपक्रम) कटिहार टू कैनेडी: द रोड लेस ट्रैवेल्ड एक आम व्यक्ति की विशिष्ट यात्रा की कहानी है, जहाँ वह अपने संघर्ष और अथक परिश्रम के बल पर बिहार के छोटे से शहर कटिहार से निकलकर कैनेडी तक की यात्रा करता है। यह आत्मकथा एक व्यक्ति के आन्तरिक और बाह्य विकास की कथा है, जहाँ अपनी ग़लतियों से सीखते हुए वह आगे बढ़ता जाता है और अपनी प्रतिभा और जज़्बे के दम पर कैम्ब्रिज़ के हार्वर्ड कैनेडी स्कूल में दाख़िला ले पाने में सफल होता है। इस पुस्तक में एक व्यक्ति की अन्तर्यात्रा, उसका मनोविज्ञान, उसके जीवन के हार-जीत के क्षण इस तरह वर्णित किये गये हैं कि यह सिर्फ़ एक व्यक्ति की कथा नहीं रह जाती बल्कि उन सभी व्यक्तियों की कथा बन जाती है जो सीमित संसाधनों और अभावों के बीच भी निरन्तर ख़ुद को परिष्कृत करते रहते हैं और अन्ततः अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं, तथा स्वयं के साथ-साथ समाज के वंचित समूह के विकास के लिए भी प्रतिबद्ध होते हैं।

संजय कुमार

संजय कुमार वर्तमान में द लक्ष्मी मित्तल एंड फ़ैमिली साउथ एशियन इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय निदेशक हैं। कटिहार के डॉ. संजय कुमार को अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने मास्टर इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पीजी पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद मैसन फैलो उपाधि से सम्मानित किया है। स्व. बैद्यनाथ प्रसाद सिंह एवं शीला देवी के पुत्र संजय ने स्कूली शिक्षा शहर के हरिशंकर नायक उच्च विद्यालय से पूरी की। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में पीजी एवं जेएनयू से एमफिल एवं पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। सेवा भारत संस्था से जुड़ कर उन्होंने असंगठित क्षेत्र की महिला श्रमिकों के लिए देश के विभिन्न प्रदेशों में कई काम किये। राष्ट्रीय अख़बारों में वह निरन्तर सामाजिक मुद्दों पर लिखते रहते हैं।

(मैथिली दिवा) काजल कर्ण

मैथिली दिवा के नाम से प्रसिद्ध काजल कर्ण आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, ये अमेरिका में रह कर भी मिथिला का नाम रौशन कर रही हैं। मैथिली के प्रति इनकी कितनी लगाव है यह आज कहने की बात नहीं है, इनकी लोकप्रियता का अंदाज आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इनकी मैथिली गीत संगीत की हर वीडियो का व्यू लाखों में जाता है और वह जबरदस्त वायरल होता है।

आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि इनकी अमेरिका में अपनी कंपनी भी है जिसका ब्रांच दुनिया के कई देशों में है।

काजल जी न सिर्फ़ एक बिजनेसवुमन है बल्कि अपनी ख़ूबसूरती का लोहा भी अमेरिका में मनवा चुकी हैं, यह अमेरिका में “मिसेज साउथ एशिया पॉपुलर” का ख़िताब जीत कर इतिहास रच चुकी है।’


वाणी बुक कम्पनी

वाणी बुक कम्पनी, वाणी प्रकाशन का अंग्रेज़ी उपक्रम है। यह वाणी प्रकाशन के विगत 56 वर्षों की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को सँजोते हुए निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर है एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन जगत तथा भारत के बीच सेतु की तरह कार्यरत है। अपने पाठकों को सर्वोत्कृष्ट साहित्य प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखते हुए, वाणी बुक कम्पनी ने अब तक चार महत्वपूर्ण कृतियाँ प्रकाशित की हैं-

1. द रिटर्न – नरेन्द्र कोहली की नौ खण्डों की गाथा-महासमर से ‘अधिकार’ का अंग्रेज़ी अनुवाद।

2. कटिहार टू कैनेडी- डॉ. संजय कुमार की आत्मकथा।

3. मीरा वर्सेज़ मीरा- माधव हांडा द्वारा मीराबाई का एक सशक्त स्त्री के रूप में चित्रण।

4. कन्वर्सेशन ऑफ़ मॉडर्निज़्म- रचनाकार एवं शिक्षाविद् सुकृता पॉल कुमार द्वारा लिये गये साक्षात्कार।

वाणी प्रकाशन के बारे में…

वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 साहित्य की नवीनतम विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।

वाणी प्रकाशन भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 18 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो, पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव सम्मान प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउन्सिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।

लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउण्डेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ में कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।

Vani Prakashan
4695/21-A,
Daryaganj,
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New Delhi 110002

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