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दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

स्वर्ण पदक प्राप्त चिकित्सक को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल के नेतृत्व में चिकित्सकों ने बुधवार को संभागीय आयुक्त दीपक नंदी को ज्ञापन दिया। डॉ. केके पारीक, डॉ. गिरीश माथुर, डॉ. एसके गोयल, डॉ.अशोक जैन, डॉ. राकेश जिंदल, डॉ. अशोक शर्मा, डॉ. एमएल अग्रवाल, डॉ. एस सान्याल, डॉ. अखिल अग्रवाल, डॉ. दुर्गा शंकर सैनी प्रदेश महासचिव अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ, डॉ अमित गोयल सहित सैकडों चिकित्सक उपस्थित रहे।

ज्ञापन के माध्यम से बताया गया कि 28 मार्च को लालसोट के एक निजी अस्पताल में प्रसूता की पोस्टमार्टम हेमरेज के कारण मौत होने के बाद कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा अस्पताल का घेराव किया गया साथ ही स्थानीय नेताओं ने बिना मामले की पूरी जानकारी लिए अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के मकसद से भीड़ जुटाकर पुलिस विभाग पर दबाव बनाया जिस से आहत होकर डॉ. अर्चना शर्मा ने 29 मार्च को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस मामले को लेकर प्रदेश व देश के चिकित्सकों में गहरा आक्रोश है। ऐसे में दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो चिकित्सकों को कडा विरोध करना पडेगा।

डॉ. जायसवाल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जब भी किसी अस्पताल में किसी मरीज की संदिग्ध मौत होती है तो उच्च अधिकारियों द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित करके जांच की जाती है, उसके पश्चात अगर कमेटी को प्रथम दृष्टया मेडिकल नेगलिजेंस प्रतीत होती है तब रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अस्पताल अथवा चिकित्सक के खिलाफ नोटिस जारी कर आगे की कार्रवाई की जाती है। परंतु इस केस में राजनीतिक दबाव में आकर बिना किसी जांच के पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 302 में डॉ.अर्चना शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके न केवल डॉ. अर्चना शर्मा के आत्महत्या की जिम्मेदार है, बल्कि समस्त चिकित्सा जगत को मानसिक प्रताड़ित करने व भविष्य में किसी भी चिकित्सक एवं अस्पताल द्वारा किसी भी गंभीर मरीज का इलाज ना करने के लिए भी विवश करेगा।

डॉ. जायसवाल ने बताया कि हर बीमारी चाहे वह साधारण हो अथवा गंभीर हो उसकी अपनी जटिलता होती है जिसके इलाज के लिए एवं मरीज की जान बचाने के लिए एक चिकित्सक अपनी पूरी कोशिश करता है, लेकिन उसकी भी अपनी क्षमताएं होती है किसी भी मरीज को बचाने की शत प्रतिशत गारंटी कोई भी चिकित्सक नहीं देता है। 28 मार्च को जिन असामाजिक तत्व एवं समाज के राजनीतिक ठेकेदारों के द्वारा अस्पताल का घेराव किया गया उससे अन्य कई मरीजों का इलाज भी प्रभावित हुआ है जो कि राइट टू हेल्थ का उल्लंघन भी करता है।

आईएमए सचिव डॉ. अमित व्यास ने बताया कि बिना किसी जांच-पड़ताल के डॉ. अर्चना शर्मा पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों एवं जिन असामाजिक तत्वों ने अस्पताल का घेराव करके डॉ. अर्चना शर्मा और उसके परिवार जनों से गाली-गलौच और जानमाल की धमकियों से आहत होकर आत्महत्या के लिए मजबूर किया, ऐसे सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई ना होने पर संगठन को मजबूरन सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। ——–