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‘देव’ सोने से पहले स्थापित होंगे शिव के ‘मंत्री’

पराया धन फिल्म के गीत के बोल बीजेपी की इंटरनल पॉलिटिक्स में फिलहाल प्रासंगिक नजर आता आज उनसे पहली मुलाकात.. फिर आमने सामने बात होगी फिर होगा क्या, क्या पता, क्या ख़बर.. .। यह स्थिति भाजपा के प्रदेश और केंद्र के उन नीति निर्धारकों के बीच मंत्रणा से बन गई है ।

जब शिवराज और उनके साथ दिल्ली गए विष्णु दत्त शर्मा सुहास भगत की भी एक के बाद एक मुलाकातें रात में ही आगे बढ़ती गई.. रविवार रात अंतिम मुलाकात केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह से हुई.जो मध्य प्रदेश में सरकार के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार दिल्ली में एक दूसरे से रूबरू हुए..कोरोना काल मे शिवराज खुद मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद केंद्र के कई नेताओं से मुलाकात का सिलसिला शुरू कर चुके।

रविवार रात और सोमवार दिल्ली से भोपाल लौटने के बीच मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद को अंतिम रूप देना उनके लिए जरूरी हो गया… अब मंत्रिमंडल विस्तार का कोई बहाना नहीं रह जाता.. क्योंकि निर्णायक और अंतिम फैसले के लिए भाजपा के त्रिदेव दिल्ली पहुंच कर पार्टी के नीति निर्धारकों के संपर्क में आ चुके हैं.. तीनों की एक साथ दिल्ली यात्रा राष्ट्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप या फिर खुद शिवराज उन्हें साथ लेकर गए इसके भी सिर्फ कयास लगाए जा सकते। केंद्र और राज्य के बीच कोरोना काल में इन नेताओं के बीच सोशल डिस्टेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मध्य प्रदेश के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे जरूर प्रदेश नेतृत्व से प्रत्यक्ष तौर पर इस मुद्दे पर चर्चा भोपाल प्रवास के दौरान कर चुके हैं।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी ज्वाइन करने के बाद भोपाल नहीं लौटे चाहे.. फिर वह शिवराज और उसके बाद हुए पांच मंत्रियों का शपथ समारोह ही क्यों न हो ..लेकिन यह भी सच है कि सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत पहले ही मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं.. तो उनके कोटे से बाकी चार मंत्री प्रभु राम चौधरी, इमरती देवी प्रद्युम्न सिंह तोमर और महेंद्र सिंह सिसोदिया का मंत्री बनना तय है.. इसके अलावा कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह डंग के साथ इंदल सिंह कंसाना, रणवीर सिंह जाटव ,राजवर्धन सिंह दत्तीगांव इनके नाम पर कोई आपत्ति नहीं बची है।

भाजपा में सहमति का अभाव उनकी अपनी पार्टी के अनुभवी और पूर्व मंत्रियों के साथ नए चेहरों के बीच सामंजस्य और तालमेल से ज्यादा स्वीकार्यता नहीं बनाए जाने का चर्चा का विषय बनता रहा है.. पुरानी पीढ़ी के जिन अनुभवी मंत्रियों का दावा मजबूत माना जा रहा उनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भूपेंद्र सिंह, राजेंद्र शुक्ला, अजय विश्नोई ,रामपाल सिंह गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, यशोधरा राजे जगदीश देवड़ा शामिल है ..इनमें से 2 नाम पर सहमति बनाना अभी बाकी है ..तो ऑपरेशन लोटस से जुड़े रहे अरविंद भदौरिया और संजय पाठक को पार्टी नाराज नहीं करना चाहती.. जिन विधानसभा और जिलों में चुनाव होना है वहां सोशल इंजीनियर यदि बड़ी चुनौती है..तो दूसरे जिलों के साथ संभाग में जहां जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाना है।

वहां सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्रियों से भी तालमेल बनाना जरूरी हो गया है.. पार्टी नेतृत्व से चिंतन मंथन के बाद यह तय हो जाएगा कि रामपाल सिंह और सुरेंद्र पटवा में से कौन ..तो राजधानी से विश्वास सारंग विष्णु खत्री और रामेश्वर शर्मा में से कौन एक.. या दो इस मंत्री मंडल का हिस्सा बनेंगे.. इसी तरह चेतन कश्यप ओमप्रकाश सकलेचा तो विंध्य की राजनीति से गिरीश गौतम और केदार शुक्ला में से कौन राजेंद्र सिंह शुक्ला के साथ मंत्री पद की शपथ लेगा ..इंदौर की राजनीति में से रमेश मेंदोला, उषा ठाकुर और मालती गौढ़ के साथ समीपवर्ती उज्जैन से पूर्व मंत्री पारस जैन और मोहन यादव में से उसे मौका दिया जाए.. इसी के साथ विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के दावेदारों में शामिल गोपाल भार्गव सीताशरण शर्मा, विजय शाह ,जगदीश देवड़ा यशपाल सिसोदिया, इनमे से किसी दो का चयन करना होगा ।

संगठन आदिवासी और अनुसूचित जाति के सुपुर्द महत्वपूर्ण पदों को करना चाहता है.. केंद्रीय मंत्री रहते प्रहलाद सिंह पटेल के भाई पूर्व मंत्री जालम सिंह को लेकर भी पार्टी को किसी अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचना है.. गोपीलाल जाटव और जुगल किशोर बागड़ी पहले ही राज्यसभा चुनाव में विवादित हो चुके हैं.. कमलनाथ सरकार द्वारा मंत्रिमंडल के गठन और उसके बाद बनी स्थिति से सीख लेते हुए टीम शिवराज कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती.. राज्यसभा में भाजपा उम्मीदवारों को समर्थन देने वाले बसपा सपा निर्दलीय को लेकर भी पार्टी किसी फार्मूले को अंतिम रूप देने में जुटी है.. मंत्रिमंडल में सिंधिया कोटे के मंत्रियों को लेकर स्थिति स्पष्ट हो चुकी है लेकिन भाजपा के अंदर पूर्व मंत्री और नए चेहरों के बीच एक स्वीकार्य फार्मूला बनाना चुनौती अभी तक बना हुआ था।

राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग और रिजेक्ट मतों के कारण बीजेपी को जो झटका लगा है उस को ध्यान में रखते हुए वह 6 से ज्यादा सीट मंत्रिमंडल में रिक्त रख रखना चाहेगी.. उप चुनाव से पहले ऑपरेशन लोटस पार्ट 3 से इनकार नहीं किया जा सकता..मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव की सरगर्मियां तेज होने के साथ ही शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार जरूरी हो गया ..शिवराज सिंह चौहान विष्णु दत्त शर्मा ,सुहास भगत के संयुक्त दिल्ली दौरे और राष्ट्रीय नेतृत्व से इन नेताओं की चर्चा मतलब मंत्रिमंडल विस्तार पर अंतिम मुहर लगाया जाना ही है..उपचुनाव के साथ भाजपा शुभ मुहूर्त भी गंवाना नहीं चाहती है.. इसलिए 30 जून को कैबिनेट विस्तार की संभावनाएं बढ़ गई है ..सरकार के सर्वे सर्वा भाजपा के नेता शिव अपना राज और अच्छी तरह से कैसे चलाये.. इसलिए भाजपा के विष्णु यानी विष्णु दत्त शर्मा और उनके जोड़ीदार सुहास भगत को भी साथ दिल्ली ले गए।

जिससे सत्ता और संगठन में पसंद के मंत्रियों और उन पर स्वीकार्यता बनाए जाने को लेकर अब सवाल खड़ा करना किसी के लिए आसान नहीं हो.. भाजपा की इस तिकड़ी के बीच कई दौर की एक्सरसाइज कैबिनेट को लेकर हो चुकी है .. दिल्ली नेतृत्व और वहां मौजूद नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी संवाद की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली गई… पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह के भोपाल दौरे के दौरान भी मंत्री पद के दावेदारों को लेकर एक्सरसाइज पूरी कर ली गई थी.. इस सूची में वह नाम है जो केंद्र और प्रदेश के बीच सबकी पसंद बन चुके ..शिवराज जो अब मंत्रिमंडल का विस्तार अब बिल्कुल नहीं टालना चाहते हैं. हिंदुत्व के तीन पैरोंकारों की नजर अब चतुर्मास पर भी है..एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु पाताल लोक विश्राम करने चलें जाएंगे. यहां पर भगवान विष्णु चार माह तक विश्राम करें. पंचांग के अनुसार 1 जुलाई से लेकर 24 नवंबर तक चार्तुमास रहेगा. चार्तुमास की समाप्ति 25 नवंबर को देवउठानी एकादशी को होगी. देवउठानी का अर्थ है देव का उठना यानि इस दिन भगवान विष्णु अपने शयन से बाहर आ जाएंगे. इसके बाद पुन: शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे।

चार्तुमास में किसी भी शुभ कार्य को करना अच्छा नहीं माना गया है. इन चार महीनों में शादी विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, नई बहुमूल्य वस्तुओं की खरीद और नामकरण संस्कार जैसे धार्मिक कार्य वर्जित मानें गए हैं… मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तिरुपति से लौटकर शुभ मुहूर्त में मुख्यमंत्री निवास में गृह प्रवेश कर चुके हैं ..ऐसे में शपथ लेने वाले मंत्रियों अपेक्षाओं को समझा जा सकता .. इन दावेदारों ने पहले ही नए कुर्ते पजामे पर कलफ़ चढ़ा कर रखा है. जिसका समय अब आ चुका है ..कमलनाथ ने भले ही मुख्यमंत्री निवास छोड़ दिया था.. लेकिन कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री अभी अपने बंगले छोड़ने का मानस नहीं बना पाए है।

साभार- https://www.nayaindia.com/ से