Thursday, April 25, 2024
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दिग्विजय कालेज में एकांकी के प्रवाह और प्रभाव पर डॉ.मृदुला शुक्ला का अतिथि व्याख्यान

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। इंदिरा कला संगीत विश्व विद्यालय खैरागढ़ की हिन्दी विभागाध्यक्ष और डीन डॉ.मृदुला शुक्ला अतिथि वक्ता थीं।

प्रारम्भ में महाविद्यालय की हिन्दी विभागाध्यक्ष श्रीमती चन्द्रज्योति श्रीवास्तव, डॉ.शंकर मुनि राय, डॉ.चन्द्रकुमार जैन और डॉ.बी.एन.जागृत, डॉ.नीलम तिवारी और श्री प्रवीण पाण्डेय ने विभाग की तरफ से अतिथि वक्ता का स्वागत किया। प्रस्ताविक सम्बोधन में डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने अतिथि वक्ता का परिचय देते हुए बताया कि डॉ.मृदुला शुक्ला ने हिन्दी एकांकी, उद्भव और विकास विषय पर हिन्दी कृष्ण भक्ति काव्य में कविता, संगीत और चित्रकला ल अंतः संबंध विषय पर डी लिट् की उपाधि अर्जित कर डॉ.शुक्ला में हिन्दी और हिन्दी साहित्य के माध्यम से सांस्कृतिक चेतना के प्रसार में विशिष्ट भूमिका का कुशल निर्वहन कर रही हैं। उन्होंने राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य का सांस्कृतिक अध्ययन, आधुनिक हिन्दी कविता के विविध रंग और सूर काव्य में कविता, संगीत और चित्रकला का अंतः संबंध जैसी महत्वपूर्ण कृतियों का प्रणयन कर हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है।

अतिथि वक्ता डॉ.शुक्ला ने हिन्दी एकांकी विधा के क्रमिक विकास, उसके प्रवाह युगीन और प्रभाव के साथ-साथ प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया कि किस प्रकार एकांकी जीवन के किसी पक्ष विशेष के माध्यम से मनुष्य और परिवेश से जुड़े स्वप्न, सत्य और उसके अंतर्द्वंद्व को भी उद्घाटित करता है। उन्होंने बताया कि एकांकी के कई प्रकार हैं किन्तु वर्तमान युग के जटिल जीवन में उसका रूप बदला है। अब वह मंच के अलावा ध्वनि से भी आगे निकालकर दृश्य-श्रव्य माध्यमों से भी जीवन की बहुआयामी छवियाँ लेकर उपस्थित हो रहा है। आधुनिक एकांकीकार की दृष्टि समाज के सबसे कमजोर और उपेक्षित पहलुओं पर भी है किन्तु एक विधा के रूप में एकांकी लेखन की प्रतिष्ठा बनाये रखना वास्तव में एक चुनौती है। संचार-विचार के काल में एकांकी के नए पर्यावरण का निर्माण किया जाना जरूरी है। अंत में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया।
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