Thursday, March 28, 2024
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शोध के लिए प्रभावी भाषा, स्पष्ट समझ और सुलझी हुई खोज की ज़रुरत

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डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने शोध-संवाद में समां बांधा
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राजनांदगाँव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के हिंदी विभाग और लिटररी क्लव के तत्वावधान में हुए गरिमामय आयोजन में जाने-माने भाषाविद, साहित्यकार और राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनयकुमार पाठक ने अतिथि व्याख्यान दिया । शोध संवाद के तहत शोध छात्रों का अत्यंत उपयोगी मार्गदर्शन किया ।डॉ. पाठक ने शोध कर रहे विद्यार्थियों के लिए भाषा के स्तर पर प्रभावी, समझ के धरातल पर सुलझाव और काम के अंदाज़ में खोजी प्रवृत्ति होने को जरूरी बताया ।

पहले चरण में हिंदी के पूर्व छात्रों का सम्मेलन भी हुआ जिसमें यादों के साथ परस्पर अनुभव साझा किए गए । इस अवसर पर डॉ. पाठक का शॉल-श्रीफल व पुष्प गुच्छ भेंटकर भावभीना सम्मान किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. चन्द्रिका नाथवानी ने की । उन्होंने आयोजन को मील का पत्थर कहा । डॉ. एच. एस. भाटिया विशेष रूप से उपस्थित थे ।

विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर मुनि राय, लिटररी क्लब के अध्यक्ष डॉ. चन्द्रकुमार जैन, डॉ. बी.एन. जागृत, डॉ. नीलम तिवारी, डॉ. स्वाति दुबे, डॉ. गायत्री साहू, डॉ. भवानी सहित विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। प्रारम्भ में सरस्वती पूजन के बाद अभ्यागत अतिथियों का स्वागत किया गया । डॉ. शंकर मुनि राय ने प्रस्ताविक संबोधन में आयोजन के उद्देश्य की चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को निरंतर संवाद बनाये रखने की प्रेरणा दी ।

पूरे आयोजन का सरस संयोजन करते हुए डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने मुख्य अतिथि डॉ. पाठक का परिचय देते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को छत्तीसगढ़ का गौरव निरूपित किया । डॉ. जैन ने बताया कि हिंदी विभाग एक पुराना शोध केंद्र है जिसमें वर्तमान में तीन शोध निर्देशक और अनेक शोधार्थी शोधरत हैं । लिहाजा, शोधार्थियों और परास्नातक विद्यार्थियों के हित में शोध संवाद की यह विशेष पहल की गयी है । अध्यक्षता कर रहीं डॉ. नाथवानी ने शोध संवाद को एक सार्थक कदम निरूपित किया । उन्होंने अतिथि वक्ता के मार्गदर्शन से प्रेरणा लेने की बात भी कही । पूर्व छात्रों से कॉलेज के हित में जुड़े रहने का आह्वान किया ।

जीवन के गीत लिखो की स्वर लहरियां गूँज उठीं

आयोजन की रोचकता तब विशेष रूप से बढ़ गयी जब डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने स्वरचित भावपूर्ण गीत जीवन के गीत लिखो, संकल्पी आंखों में सूरज के सपने ले, अंधियारी रातों में एक दीया बार दो । पलकों पर जो ठहरे आँसू उनको भी तुम, मोती सी कीमत दो, थोड़ा सा प्यार दो । और नयी रीत लिखो, जीवन के गीत लिखो को तरन्नुम में सुनाया । पूरा माहौल हर्ष ध्वनि व करतल ध्वनि से गूंज उठा । अंत में डॉ. बी.एन. जागृत ने विद्यार्थियों को प्रेरित कर सबका आभार व्यक्त किया ।

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