Tuesday, April 16, 2024
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रंग ला रहा नक्सल प्रभावित जिलों के बच्चों का प्रयास

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के लिए शुरू किए गए प्रयास विद्यालयों से उच्च शिक्षा के लिए नई पौध तैयार हो रही है और इन बच्चों के किए जा रहे प्रयास भी अब रंग ला रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा इन विद्यालयों में विज्ञान विषय की पढ़ाई करने वाले बच्चों को स्तरीय शिक्षा देने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। यहां प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को स्कूली शिक्षा के साथ-साथ अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा की भी तैयारी कराई जाती है। हर वर्ष प्रयास विद्यालय के विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षाओं में अच्छी सफलता पाई है।

यहां अध्ययनरत विद्यार्थी अपने सपनों को साकार करने कठिन प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं। प्रयास विद्यालयों में प्रवेश लेने वाले प्रतिभावान छात्रों को पढ़ाई के लिए हर तरीके की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विद्यार्थियों की उम्मीदों और सपनों को नया आसमां मिला है। आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित इन विद्यालयों में बच्चों को अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए विशेष कोचिंग दी जाती है। कक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ नियमित रूप से टेस्ट लिया जाता है। जिससे इन बच्चों में परीक्षा का भय दूर हो सके। इसके अलावा उन्हें निःशुल्क पुस्तके, पुस्तकालय और रहने-खाने आदि की सुविधा दी जाती है।

प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से उत्कृष्ट कैरियर निर्माण के लिए प्रयास आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई है। वर्तमान में राज्य में 9 प्रयास आवासीय विद्यालय कक्षा 9वीं से 12वीं तक संचालित है। वर्ष 2020 में कक्षा 10वीं का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा। कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में प्रयास आवासीय विद्यालय रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर, कांकेर, कोरबा और जशपुर से 1011 विद्यार्थी शामिल हुए थे, जिसमें से 997 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। प्रथम श्रेणियों में उत्तीर्ण विद्यार्थियों का प्रतिशत 98.6 प्रतिशत रहा।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 254 विद्यार्थी 90 प्रतिशत से अधिक अंकों से उत्तीर्ण हुए हैं। इस वर्ष प्रयास विद्यालयों का अब तक का सबसे बेहतर परीक्षा परिणाम आया है। इसी प्रकार वर्ष 2020 की कक्षा 12वीं बोर्ड परीक्षा में प्रयास आवासीय विद्यालय रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर और कांकेर से 792 विद्यार्थी शामिल हुए। इनमें से 710 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए, अर्थात 90 प्रतिशत विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। साथ ही 20 विद्यार्थियों ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। इस वर्ष 12वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम भी विगत वर्षों की तुलना में काफी बेहतर रहा।

वर्ष 2020 की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से आई.आई.टी में 18, एनआईटी में 41, ट्रिपल आईटी में 10, शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में 75, एमबीबीएस में 3, बीडीएस में 1, बीटेक (एग्रीकल्चर) में 1, बीएससी (कृषि) में 11 विद्यार्थी अब तक प्रवेश ले चुके हैं। इसके अतिरिक्त कई विद्यार्थी उत्तीर्ण होकर शासकीय कॉलेजों से बीएससी कर रहे हैं और प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी प्रवेश ले रहे हैं। वर्ष 2020 में पहली बार एमबीए की लिखित परीक्षा में 7 विद्यार्थी क्वालिफाई हुए।

राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में इस वर्ष का परीक्षा परिणाम प्रयास विद्यालय के प्रारंभ से अब तक घोषित सभी परिणामों से तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा। इस वर्ष का परीक्षा परिणाम यह दर्शाता है कि अब प्रयास विद्यालय के छात्र न केवल आईआईटी, एनआईटी में प्रवेश ले रहे हैं, बल्कि कृषि, कंपनी सेकेटरी, एनडीए जैसी अन्य महत्वपूर्ण परीक्षाओं में भी सफल हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार का प्रयास है कि आने वाले वर्षों में और भी छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं तथा बोर्ड की परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करते हुए विद्यालय और अपना नाम रोशन करेंगे।

प्रयास विद्यालयों की नियमावली में संशोधन कर अब नक्सल प्रभावित जिलों के साथ-साथ राज्य के समस्त अनुसूचित क्षेत्र के विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ प्रदान करने की कार्रवाई की जा रही है। इससे प्रदेश के सुदूर एवं दूरस्थ क्षेत्र के प्रतिभावान विद्यार्थियों को भी इस योजना का लाभ मिल सकेगा, जो कि अभी तक इस योजना के लाभ से वचिंत थे।
क्रमांक-5640
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: सफलता की कहानी :

वन अधिकार पट्टा वाले भूमि में डबरी बनवाकर खेती कर रहे हैं बहोरन सिंह

रायपुर, 08 दिसम्बर 2020/ सोने पे सुहागा वाली कहावत बहोरन सिंह पर लागू हो गया। वन अधिकार पट्टा मिलने की खुशी तब दोगुनी हो गई जब उस भूमि पर डबरी बनकर सिंचाई होने लगी और धान उत्पादन के बाद साग-सब्जी एवं दलहन-तिलहन की फसल लेने लगे।

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के मरवाही विकासखण्ड के ग्राम करगीकला निवासी बहोरन सिंह को व्यक्तिगत वन अधिकार पट्टा प्राप्त हुआ था। बहोरन सिंह सिंचाई सुविधा नहीं होने के कारण उस भूमि का उपयोग नहीं कर पा रहे थे। ग्राम के सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक के माध्यम से मनरेगा के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों की जानकारी होने पर बहोरन सिंह ने असिंचित भूमि में डबरी निर्माण के लिए आवेदन किया और उन्हें वर्ष 2019-20 में डबरी निर्माण के लिए एक लाख 34 हजार रूपए की स्वीकृति मिली। डबरी निर्माण में बहोरन सिंह के परिवार और ग्रामवासियों को 678 दिवस का रोजगार भी प्राप्त हुआ। सिंचाई व्यवस्था होने से बहोरन सिंह ने लगभग 0.60 एकड़ भूमि में धान की खेती कर के बहुत खुश है। वे धान उत्पादन के बाद साग-सब्जी एवं दलहन-तिलहन की फसल लेना भी शुरू कर दिए हैं।

क्रमांक-5636/काशी/विवेक
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: सफलता की कहानी :

समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से किसानों को मिल रही है साहूकारों से मुक्ति

रायपुर, 08 दिसम्बर 2020/ 01 दिसम्बर से शुरू हुई समर्थन मूल्य पर धान खरीदी को लेकर प्रदेशके किसानों में खासा उत्साह है। मेहनत के हिसाब से धान का वाजिब दाम मिलने से किसानों को अब साहूकारों से मुक्ति मिल गयी है।

बिलासपुर जिले के मोपका धान खरीदी केन्द्र में समर्थन मूल्य पर धान बेचने आए ग्राम चिल्हाटी के किसान श्री बहौरी केंवट ने 28 क्विंटल धान का टोकन कटवाया है। वे कहते हैं कि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से हमें साहूकारों से मुक्ति मिल गयी है। अब हमें साहूकारों से ब्याज लेने की कोई जरूरत नहीं है। समिति में धान खरीदी के लिए समुचित व्यवस्था की गयी है। उन्हांेने बताया कि उन्हें धान की तौलाई में कोई दिक्कत नहीं आयी है। किसान श्री रामषरण केंवट समिति में धान खरीदी की व्यवस्था से संतुष्ट नजर आए। उन्हांेने बताया कि यहां टोकन कटवाने में कोई दिक्कत नहीं आयी। उन्होंने 22 क्विंटल धान का टोकन कटवाया है। वे 2.5 एकड़ में धान की खेती करते हैं। श्री केंवट कहते हैं कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी से हमें काफी राहत मिली है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा हम जैसे किसानों के हित को ध्यान में रखकर ही किसान हितैषी योजनाएं बनायी जा रही है।

मोपका धान खरीदी केन्द्र में मोपका, चिल्हाटी, लिंगयाडीह, खैरा एवं फरहदा 5 गांवों के किसान समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचने आते है। समिति के प्रबंधक श्री बसंत डहरिया ने बताया कि यहां 479 किसान पंजीकृत हैं। धान का पंजीकृत रकबा 563 हेक्टेयर है। 01 दिसम्बर से यहां अब तक 52 किसानों से 2162 क्विंटल धान की खरीदी हुई है।

(लेखक छत्तीसगढ़ जनसंपर्क में उप संचालक हैं)

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