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अतार्किक विचारो में उलझने से बचें होनहार युवा – डॉ. चन्द्रकुमार जैन

राजनांदगांव। राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रेरक व प्रखर वक्ता, यशस्वी कलमकार और दिग्विजय कालेज केहिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ. चंद्रकुमार जैन ने कहा है कि हम लोगों में से बहुतेरे अपने मन में चल रहे अतार्किक विचारों से परेशान रहते हैं जिसका हमारे दैनिक जीवन और कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. ये विचार सफल व्यक्ति को असफल व्यक्ति से अलग करते हैं. ये प्रेम को नफ़रत से और युद्ध को शांति से पृथक करते हैं. ये विचार सभी क्लेशों और युद्दों की जड़ हैं क्योंकि अचेतन एवं अतार्किक विचारधारा ही सभी युद्धों को जन्म देती है. लोहाज़ा, उन्होंने चंद अवचेतन विचारो का खुलासा किया जिनके चलते मनुष्य का विकास रुकता है।

डॉ. जैन ने पर्सनल एक्सीलेंस वर्कशाप में अतिथि वक्ता की आसंदी से बोल रहे थे। अपने मोटिवेशनल स्पीच में डॉ.चंद्रकुमार जैन ने युवाओं को बड़े निराले अंदाज़ में समझाया कि यदि आप सोचते हैं कि कोई मेरी आलोचना कर रहा है तो मुझमें अवश्य कोई दोष होगा तो याद रखें कि लोग एक-दूसरे की अनेक कारणों से आलोचना करते हैं. यदि कोई आपकी आलोचना कर रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपमें वाकई कोई दोष या कमी है. आलोचना का एक पक्ष यह भी हो सकता है कि आपके आलोचक आपसे कुछ भिन्न विचार रखते हों. यदि ऐसा है तो यह भी संभव है कि उनके विचार वाकई बेहतर और शानदार हों.

इसी तरह डॉ. जैन ने बताया कि मुझे अपनी ख़ुशी के लिए अपने शुभचिंतकों की सुझाई राह पर चलना चाहिए. बहुत से लोगों को जीवन में कभी-न-कभी ऐसा विचार आता है हांलांकि यह विचार तब घातक बन जाता है जब यह मन के सुप्त कोनों में जाकर अटक जाता है और विचलित करता रहता है. यह तय है कि आप हर किसी को हर समय खुश नहीं कर सकते इसलिए ऐसा करने का प्रयास करने में कोई सार नहीं है. यदि आप खुश रहते हों या खुश रहना चाहते हों तो अपने ही दिल की सुनें. दूसरों के हिसाब से ज़िंदगी जीने में कोई तुक नहीं है पर आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपके क्रियाकलापों से किसी को कष्ट न हो. दूसरों की बातों पर ध्यान देना अच्छी बात है पर उन्हें खुश और संतुष्ट करने के लिए यदि आप हद से ज्यादा प्रयास करेंगे तो आपको ही तकलीफ होगी.

एक और अवचेतर विचार की चर्चा करते हुए डॉ.चंद्रकुमार जैन ने कहा फ़र्ज़ करें कि आपको लगता है कि यदि मुझे किसी काम को कर लेने में यकीन नहीं होगा तो मैं उसे शुरू ही नहीं करूंगा. इस विचार से भी बहुत से लोग ग्रस्त दिखते हैं. जीवन में नई चीज़ें करते रहना बढ़ने और विकसित होने का सबसे आजमाया हुआ तरीका है. इससे व्यक्ति को न केवल दूसरों के बारे में बल्कि स्वयं को भी जानने का अवसर मिलता है. हर आदमी हर काम में माहिर नहीं हो सकता पर इसका मतलब यह नहीं है कि आपको केवल वही काम हाथ में लेने चाहिए जो आप पहले कभी कर चुके हैं. वैसे भी, आपने हर काम कभी-न-कभी तो पहली बार किया ही था.

यदि मेरी जिंदगी मेरे मुताबिक नहीं चली तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है. मैं कुछ कहूं? इसका ज़वाब देते हुए डॉ. जैन ने कहा कि सारी गलती आपकी है. इससे आप बुरे शख्स नहीं बन जाते और इससे यह भी साबित नहीं होता कि आप असफल व्यक्ति हैं. आपका अपने विचारों पर नियंत्रण है इसलिए अपने कार्यों के लिए भी आप ही जवाबदेह हैं. आपके विचार और कर्म ही आपके जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं. यदि आप अपने जीवन में चल रही गड़बड़ियों के लिए दूसरों को उत्तरदायी ठहराएंगे तो आपका जीवन वाकई दूसरों के हाथों में ही था. उनके हाथों से अपना जीवन वापस ले लें और अपने विचारों एवं कर्मों के प्रति जवाबदेह बनें.