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अंग्रेजी ने हिन्दी भाषी सरपंच पर लगवाया 10 हजार का जुर्माना

जींद। हरियाणा के सूचना आयुक्त ने एक सरपंच पर आरटीआई के अंतर्गत जानकारी उपलब्ध नहीं कराने के लिए 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। सरपंच ने हालांकि कमिशन के आगे यह दलील दी थी कि चूंकि आरटीआई के लिए दाखिल किया गया आवेदन अंग्रेजी में लिखा गया था और उन्हें अंग्रेजी नहीं आती, इसलिए वह जबाव नहीं दे पाए।

कमिशन ने उनकी इस दलील को न मानते हुए उनपर यह जुर्माना लगाया। सूचना आयुक्त हेमंत अत्री ने ग्राम सचिव बनवारी लाल, जो कि एक सराकरी अधिकारी भी हैं, पर भी इसी मामले में यही दलील देने के लिए 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया।

ग्रामीण हरके राम ने जींद जिले के खराल गांव के सरपंच रतन सिंह से आरटीआई के अंतर्गत सितंबर 2014 में एक सूचना मांगी थी। कई महीने तक इंतजार करने के बाद भी जब सरपंच की ओर से कोई जबाव नहीं मिला, तब हरके राम ने कमिशन का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कमिशन को बताया कि उन्हें दो महीने इंतजार करने के बाद दो पन्ने का एक जबाव मिला, लेकिन वह पूरा नहीं था। हरके राम को सितंबर में आरटीआई दाखिल करने के बाद नवंबर, मार्च और मई में जबाव भेजे गए लेकिन कोई भी जबाव पूरा नहीं था।
कमिशन ने सुनवाई के दौरान पाया कि आरटीआई के अंतर्गत केवल 3 सवाल पूछे गए थे। नियम के मुताबिक जहां अधिकतम 30 दिन के अंदर जबाव देना होता है, वहीं इस मामले में बेवजह काफी देरी की गई। कमिशन ने माना कि सरपंच को उक्त आरटीआई का जबाव जल्द-से-जल्द देना चाहिए था।

कमिशन ने अपने फैसले में माना कि सरपंच और ग्राम सचिव ने आरटीआई आवेदन को गंभीरता से नहीं लिया। यही नहीं, कमिशन ने कहा कि आवेदक के सवाल का सही तरीके से जबाव देने की जगह, सरपंच और ग्राम सचिव ने हरके राम को संबंधित आरटीआई के जबाव के लिए इधर-उधर दौड़ाकर परेशान किया।�
सरपंच और ग्राम सचिव द्वारा देरी के लिए अंग्रेजी न जानने को आधार बनाने की दलील पर टिप्पणी करते हुए कमिशन ने कहा कि अगर उन दोनों को उनके दावे के मुताबिक अंग्रेजी समझने में किसी तरह की कोई दिक्कत थी, तो उन्होंने 15 नवंबर 2014 को पहला जवाब किस तरह भेजा।

कमिशन ने कहा कि जिस आवेदन का जवाब आसानी से 7 दिन के अंदर दिया जा सकता था, उसे देने में सरपंच और ग्राम सचिव ने 7 महीने का समय लगाया जो कि आरटीआई के प्रावधानों के खिलाफ है।�

साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से�