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आज भी लाखों लड़कियों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना बाकी: सोनिया मीना

· पर्यावरणविद इन्दिरा खुराना ने महिला दिवस की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला

· जल सहेलियों ने जल संरक्षण के लिए की अपील

· विभिन्न क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाली महिलाओं का हुआ सम्मान

छतरपुर। राजनगर की अनुविभागीय दंडाधिकारी (भारतीय प्रसाशनिक सेवा), सोनिया मीना ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर छतरपुर में आयोजित ‘बूंद-बूंद’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छात्राओं से भरपूर मेहनत कर समाज में अपना एक अलग मुकाम बनाने की अपील की। उन्होने कहा की वे उन चंद लड़कियों में से हैं जिनको कॉलेज तक आकार इस स्तर तक पढ़ाई का अवसर मिला है जबकि लाखों लड़कियां आज भी शिक्षा व्यवस्था से विमुख हैं जिनहे शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में पर्यावरणविद इन्दिरा खुराना ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और कहा की यह इसीलिए मनाया जाता है ताकि हम अपनी अब तक की संघर्ष और जीत का जश्न माना सकें और आने वाले समय में अपने सशक्तिकरण को लेकर कार्ययोजना बनाएँ। एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन का ज़िक्र करते हुए उन्होने कहा की महिलाओं और पुरुषों को एक बराबर आने में अभी भी 170 वर्ष लगेंगे। जिसके लिए उन्होने कहा की साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है ताकि इस अवधि को कम किया जा सके। इस वर्ष की थीम ‘बी बोल्ड फॉर चेंज’ (बदलाव के लिए सशक्त बनें) पर चर्चा करते हुए बुंदेलखंड में इस आयोजन के विषय ‘बूंद-बूंद’ को रेखांकित किया और बताया की पानी की समस्याओं से निबटने के लिए हमें क्या करना होगा। उन्होने बुंदेलखंड की महिलाओं और पुरुषों से अलग अलग संस्थाओं के साथ जुड़कर सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हुए पानी की समस्या से निजात पाने के लिए कार्य करने को कहा।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए जल जन जोड़ो अभियान की राष्ट्रिय समन्वयक, संजय सिंह ने कहा की महिलाओं का संघर्ष आज भी सतत जारी है। उन्हे विभिन्न किस्म की मानसिक और शारीरिक अत्याचार का सामना गाँव के स्तर से लेकर प्रसशन के स्तर तक करना पड़ता है। आज भी उन्हे कमजोर और अक्षम माना जाता है। इन समस्याओं का निवाराण शिक्षा से किया जा सकता है और यह आवयशक है की न केवल लड़कियों की शिक्षा सुनिश्चित किया जाए बल्कि पुरुषों को भी महिलाओं के प्रति अपनी व्यवहार और मानसिकता बदलने के लिए शिक्षित करने की ज़रूरत है। उन्होने बुंदेलखंड के अलग अलग क्षेत्रों की महिलाओं से कार्यक्रम में आने और अपनी समस्याएँ साझा करने के लिए धन्यवाद देते हुए अश्वशन दिया की अगले एक साल में उनके साथ संघर्ष करते हुए उनकी जल से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का हर संभव प्रयास करेंगे। समाज में जल संरक्षण के कार्य में जुटे जल सहेलियों के योगदान को सराहते हुए उन्होने कहा की वे समाज के असली प्रेरणाश्रोत हैं जिनके प्रयासों से जमीनी स्तर पर लोगों की ज़िंदगियों में बदलाव आ रहा है। उन्होने कहा की जल सहेलियों द्वारा किया गया प्रयास सैंकड़ों वर्षों से महिला और पुरुष के बीच व्याप्त खाई को पाटने में एक अहम प्रयास है।

आज समाज में महिलाओं की जो स्थिति है उसके लिए उन्हे एक बड़ा और कठिन संघर्ष करना पड़ा है। लेकिन फिर भी आज महिलाओं और पुरुष बीच जो एक बड़ी खाई है उसे पाटने के लिए आज भी महिलाएं हर स्तर पर लगातार संघर्ष कर रही हैं यही कारण है आज हमें अलग से महिला दिवस मानना पड़ रहा है। आज हर घर में लड़कियों के लिए अच्छी परवरिश की आवश्यकता है ताकि वो पुरुषों की तरह समाज के हर क्षेत्र में अपनी पूरी योगदान दे सकें और अपनी ज़िंदगी खुलकर जी सकें। यह विचार बड़ा मलहेरा की अनुविभागीय दंडाधिकारी दिव्या अवस्थी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर बुधवार को छतरपुर साशकीय कन्या महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त की। उन्होने आगे कहा की महिला दिवस उसी दिन सफल माना जाएगा जिस दिन महिलाओं के खिलाफ होने वाले सारे अत्याचार खत्म हो जाएंगे, जिस दिन लड़कियों को कोख में नहीं मारा जाएगा, लड़कियों/महिलाओं के साथ बलात्कार पूरी तरह रुक जाए। यह कार्यक्रम परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा आयोजित किया गया था जिसका थीम था ‘बूंद-बूंद’। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को जल-संरक्षण के कार्य से जोड़ना था।

वरिष्ठ पत्रकार और बी न्यूज़ की निदेशक हर्षिता खरे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की आज महिलाओं से कहा की आज उनको अपनी मानसिक बेड़ियाँ तोड़कर बाहर निकालने की आवश्यकता है। उन्होने कहा की महिलाओं को अपनी क्षमता साबित करने के लिए उनके चारो तरफ अवसर मौजूद हैं आज उन्हे उन अवसरों को पहचान कर खुदकों सशक्त बनाएँ। उन्होने आगे कहा की यह वैज्ञानिक तौर पर भी माना गया है की एक महिला प्रसव के दौरान जितनी पीड़ा सहती है उतनी पीड़ा से किसी स्वस्थ पुरुष की मौत तक हो सकती है। उन्होने कहा की अगर महिलाएं इतनी पीड़ा सेह सकती हैं तो उनकी क्षमता, साहस और बहदुरी पर संदेह करने सवाल ही नहीं उठता। महिला सशक्तिकरण के लिए आज समाज के हर वर्ग को अपनी ज़िम्मेदारी को समझना होगा।

इस अवसर पर परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने जीवन के अलग अलग क्षेत्रों में साहसिक और सरहनीय कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया। सम्मानित महिलाओं में शामिल थीं: अनुविभागीय दंडाधिकारी दिव्या अवस्थी, डाक्टर लता चौरसिया, पत्रकार हर्षिता खरे, सुब्रता यादव, रीना पाल पुलिस आरक्षक, सरकारी वकील सरोज कुशवाहा, लाड़ कुँवर जिनहोने मैला ढोने की प्रथा को खत्म करवाया, प्रयाग बाई जिनहोने महिला और आदिवासियों के सम्मान की लड़ाई लड़ी, राम देवी जिहोने के कई जमीनी लड़ाईया लड़ीं, सहायक निरीक्षक फरहा खान, सब इंजीनियर संतोषी सोनी आदि।

कार्यक्रम के दौरान बुंदेलखंड के विभिन्न जीलों से आए जल सहेलियों एवं जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे अन्य महिलाओं ने अपनी बात रखते हुए सबसे पानी बचाने और इसके संरक्षण के लिए प्रयास करने की अपील की। प्रयाग बाई, सरोज कुशवाहा, मनवाती राइकवार, सुमन राइकवार एवं अन्य महिलाओं ने पानी की कमी से होने वाली महिलाओं की समस्याओं का ज़िक्र करते हुए जल संचय के लिए साथ आने और कार्य करने की गुहार लगाई.

कार्यक्रम का संचालन छतरपुर महिला जागृति मंच की प्रमुख अफसर जहां ने किया जिसके दौरान उन्होने कई महिलसशक्तिकरण के गीत गाये। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, सरस्वती वंदना और स्वागत गीत के साथ हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता छतरपुर के जिलाधिकारी रमेश भण्डारी ने किया। इस अवसर पर जल जन जोड़ो अभियान के मध्य प्रदेश राज्य संयोजक रूपक घोष, छतरपुर जिला अध्यक्ष अजय यादव, छतरपुर महिला जागृति मंच की प्रमुख अफसर जहां भी कार्यक्रम में विशेष रूप से मौजूद रहें।