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रेलवे द्वारा मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर नालों और साइड-ड्रेन की की गई व्यापक सफाई

मुंबई। रेलवे वर्तमान मानसून के दौरान अपने यात्रियों को सुविधाजनक और सुगम यात्रा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। मानसून के दौरान ट्रेनों के सुचारू परिचालन के लिए मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर मानसून तैयारी संबंधी कई कार्य किए गए हैं। मानसून तैयारी संबंधी कार्यों में नालियों की सफाई और गाद निकालना, साइड-ड्रेन की डी-सिल्टिंग, माइक्रो-टनलिंग के माध्यम से अतिरिक्त जलमार्गों का निर्माण, आरसीसी बॉक्स इंसर्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर का विशेष रखरखाव आदि शामिल थे। पश्चिम रेलवे एवं मध्‍य रेल के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल ने कहा कि हमारा मिशन हाई टाईड के साथ भारी वर्षा की स्थिति में भी जिसमें रेलवे ट्रैक सहित शहर के कतिपय क्षेत्रों में भारी जल-भराव हो जाता है, उपनगरीय सेवाओं में व्‍यवधान को न्‍यूनतम करने का है। उन्‍होंने आगे कहा कि रेलवे का प्रयास यात्रियों को सुचारू तथा परेशानी रहित सेवा सुनिश्चित करने का है।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार रेलवे द्वारा पिछले वर्ष के जल-जमाव एवं जल-भराव वाले क्षेत्रों की जल निकासी प्रबंधन का व्यापक अध्ययन किया गया। तदनुसार, चिन्हित स्थानों पर जलमार्गों की निकास क्षमता बढ़ाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की गई। प्रत्येक स्थान के लिए अनुकूलित समाधान तैयार किए गए जिसका उद्देश्य वर्षा जल के सुचारू निकास को सुविधाजनक बनाना और जल जमाव को रोकना था। विभिन्न बाढ़ संभावित स्थानों पर 8 किमी नए ड्रेनेज का निर्माण इस कार्य योजना का हिस्सा था, जिसने हाल ही में हुई भारी बारिश के दौरान बारिश के पानी को जल्दी निकालने में मदद की है।

बांद्रा तथा ग्रांट रोड में 800 रनिंग मीटर नाली का निर्माण किया गया तथा 1200 एमएम के ड्रेनेज पाइप लगाए गये। इसके अतिरिक्‍त यहाँ 460 रनिंग मीटर HDPE पाइप भी स्‍थापित किये गये। इनके फलस्‍वरूप पानी की डिस्‍चार्ज क्षमता में 320 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। इसी प्रकार गोरेगांव में भी 1200 रनिंग मीटर नाली का निर्माण 3 रिटेनर वॉल के साथ किया गया, जिससे कि बाहर से आने वाले पानी को रोका जा सके। इसके साथ ही 580 रनिंग मीटर लंबाई के HDPE पाइप भी वहाँ स्‍थापित किये गये। इनके फलस्‍वरूप वहाँ जल निकासी क्षमता में समग्र रूप से 280 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई। ऐसे ही दादर-माटुंगा-माहिम के जलभराव वाले क्षेत्र में भी अनुकूलित समाधान का उपचार किया गया, जिसमें 680 रनिंग मीटर HDPE पाइप लगाना, 500 रूट मीटर नाली का निर्माण और पूर्व दिशा में 1200 एमएम पाइप लगाना शामिल हैं। इससे वहाँ जल निकासी क्षमता 300 प्रतिशत बढ़ गई।

साथ ही वर्षा जल की निकासी क्षमता को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त जल निकास मार्गों के निर्माण हेतु विभिन्न स्थानों पर माइक्रो टनलिंग विधि की उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया। इस विधि से बांद्रा (उत्‍तर), सैंडहर्स्‍ट रोड एवं मस्जिद और वसई रोड-नालासोपारा तथा कुर्ला-विद्या विहार के बीच अतिरिक्‍त जल निकासी मार्गों का निर्माण किया गया। इन अतिरिक्‍त जल निकासी मार्गों से बड़ी राहत मिलेगी, क्‍योंकि इनसे पटरी पर से पानी को तेजी से निकालने में मदद मिलेगी। कलवर्टों की गहरी सफाई सुनिश्चित करने के लिए सक्शन और डी-स्लजिंग मशीनों जैसी भारी मशीनों का उपयोग किया गया था। ड्रोन की मदद लेते हुए हवाई सर्वेक्षण के माध्यम से बाढ़ की आशंका वाले नालों और नलियों तथा इनके जाम होने की स्थिति की निगरानी की जा रही है। रेलवे अधिकारियों ने संबंधित नगरपालिकाओं के अधिकारियों के साथ नियमित समन्वय स्थापित किया हुआ है और उनके साथ सफाई कार्यों के साथ-साथ गंभीर बाढ़ संभावित क्षेत्रों का संयुक्त निरीक्षण किये गये हैं।

मानसून की शुरुआत से पहले ही मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर 340 नालों की सफाई की गई है और 212 किलोमीटर नालियों से गाद निकालने का कार्य कर लिया गया है। यह कार्य अर्थात नालियों एवं नालों को साफ-सफाई का कार्य आवश्‍यकतानुसार पूरे मानसून के दौरान चरणबद्ध्‍ तरीके से किया जाएगा। यहाँ यह उल्‍लेखनीय है कि नाले और साइड की नालियाँ मुख्‍यतया प्‍लास्टिक तथा घरेलू कचरा डाले जाने के कारण जाम हो जाते हैं। आम जनता को इनमें कचरा नहीं डालने के लिए शिक्षित तथा जागरूक किये जाने की आवश्‍यकता है।

श्री ठाकुर ने बताया कि मुंबई उपनगरीय खंड में जल निकासी मार्गों की वहन क्षमता सीमित है और कई बार अपर्याप्त साबित हुई है, क्‍योंकि हाई टाइड के साथ भारी वर्षा के फलस्‍वरूप जल निकासी प्रणाली पर अत्‍यधिक दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप पटरियों पर जल-भराव हो जाता है और ट्रेन संचालन में व्यवधान होता है। इस समस्या के संपूर्ण समाधान के लिए एक सिस्‍टमेटिक अप्रोच अपनाने की आवश्यकता है। माननीय रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने मानसून की तैयारियों की समीक्षा के दौरान एक समग्र और दीर्घकालिक योजना अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने मानसून की बारिश से निपटने में रेलवे की तकनीकी और सिविल-कार्य संबंधी पहलों की दक्षता का अध्ययन करने के लिए रेलवे को आईआईटी-मुंबई जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी करने का सुझाव दिया।

रेलवे ने मुंबई उपनगरीय नेटवर्क पर प्री-मानसून कार्य पूरे कर लिये हैं और सभी इंतजामों के साथ स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम इस मानसून के दौरान मुंबई वासियों को सुचारू रेल परिवहन प्रदान करने के लिए अलर्ट पर है।