Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeपाठक मंचनकली मुद्रा का महाजाल

नकली मुद्रा का महाजाल

महोदय

आज सरकार को आईएसआई के वर्षो पुराने “जाली मुद्रा” से सम्बंधित षडयंत्रो की विस्तृत जानकारी देश की जनता के सामने रखनी चाहिये। जिससे सामान्य जनता ‘नोटबंदी’ के कारण जो कष्ट पा रही है उसे राष्ट्रीय हित में कड़वी दवाई या मीठा जहर समझ कर कंठ में धारण कर सकें।

शत्रु देश पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई पिछले लगभग 25 वर्षो से भी अधिक ‘जाली मुद्रा’ के माध्यम से हमारी अर्थव्यवस्था को क्षति पहुँचाने के साथ साथ आतंकवादियों की भी आर्थिक सहायता करती आ रही है।जिससे आतंकवादियों के सैकड़ो संगठन अपने हज़ारों स्लीपिंग सेलो द्वारा लाखों देशद्रोहियो को पाल रही है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के संदर्भ से अक्टूबर 2014 को छपे एक समाचार से यह भी ज्ञात हुआ था कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी (आई.एस. आई.) हज़ारो करोड़ रुपये से अधिक के नकली नोट प्रति वर्ष छाप रही है और इनको 10% के मूल्य पर बिचौलियों को देती है।आगे इक़बाल काना जैसे दाऊद के एजेंट अपने अपने नेटवर्क के माध्यम से 20% से 50% तक कमीशन पर ये जाली मुद्रा को देश के विभिन्न भागों में भेजते है।

भारत में नक़ली मुद्रा को झोंकने की गतिविधियां पड़ोसी देशो पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यंमार, श्री लंका के अतिरिक्त दुबई, सिंगापुर,थाईलैंड,वियतनाम, कंबोडिया आदि से संचालित होती है। वायु व सड़क मार्ग के अतिरिक्त समुद्री मार्गो से भी इन नोटों की पूर्ति हो रही है।भारत-पाक के व्यापार बढ़ाने के लिए रेल व रोड मार्गो के जुड़ने से यह काम और सरल हो गया। उपभोक्ता वस्तुओं जैसे इलेक्ट्रॉनिक समान व रेडीमेट गारमेंट्स आदि में इस मुद्रा को छिपा कर विभिन्न नगरों में सक्रिय एजेंटो को भेजा जाता है। अनेक अवसरों पर बच्चों व महिलाओं को भी कोरियर के रुप में लगाया जाता है।प.बंगाल का मालदा बांग्लादेश की सीमा से सटा होने के कारण नशीले पदार्थो के साथ साथ नकली मुद्रा का भी एक बड़ा गढ़ बन चुका है। पहले जम्मू-कश्मीर, पंजाब व राजस्थान की सीमाओं पर पाकिस्तान द्वारा नकली मुद्रा की आपूर्ति अधिक होती थी परंतु सरकार की कड़ी जांच पड़ताल होने से वहां की स्थिति में कुछ नियंत्रण हुआ।नेपाल से प.बंगाल व उत्तरप्रदेश की सीमा पर भी यह अवैध कार्य चलाया जाता रहा है।

अगर पिछले 25 वर्षों के पुलिस रिकॉर्ड देखे जाये तो इस काम में आईएसआई ने भारत के अधिकांश पाकिस्तान परस्त मुसलमानों को ही जोड़ा है जो बार बार पकडे भी गये और छूटने के बाद फिर इन देशद्रोही कार्यो में संलिप्त पाये गये है।

❔इसके अतिरिक्त पिछले वर्षो के समाचारो से कुछ निम्न आकंड़े भी मिलते है…
➖2011-12 में आर.बी.आई (RBI) ने माना था कि देश में 69 अरब 38 करोड़ के नकली नोट प्रचलन में थे।
➖सरकारी आँकड़ो के अनुसार ही 2006-2013 के बीच 62 करोड़ रुपये के जाली नोट पकडे गए थे।
➖नकली नोटों की छपाई पाकिस्तान की सरकारी प्रेस में होती है। 2010-11 तक 1700 से 1800 करोड़ छापे जबकि 2012–13 तक 3500 से 4000 करोड़ की नकली मुद्रा छपी ..इनके प्रमाण संभवत हमारी गुप्तचर एजेंसियों के पास मिल सकते होंगे।
➖2007–2011 तक बैंको में नकली मुद्रा के लगभग चार लाख से अधिक मामले प्रकाश में आये थे।एक अनुमान के अनुसार एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ रुपये तक की नक़ली मुद्रा है।परंतु आरबीआई ने इसको प्रमाणित नहीं माना है।
➖वित्त राज्य मंत्री जयन्त सिन्हा ने 5 अगस्त 2015 को एक बयान में बताया था कि 2012 से 2014 तक तीन वर्षों में कुल 136.43 करोड़ के मूल्य वाले नकली नोट पकडे गये।
उपरोक्त के अतिरिक्त भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जाली मुद्रा पर सितंबर 2014 में एक विस्तृत डोजियर भी तैयार किया था, जिसके अनुसार आई एस आई उन्ही प्रिटिंग प्रेस में भारतीय नकली नोट छपवा रही है जहां पाकिस्तान के अपने नोट छपते है।इसीलिये इंक व पेपर लगभग समान होने के कारण वहां छपे 500 व 1000 के नकली नोट और हमारे छपे हुए नोटों में अधिक समानता होने के कारण वर्ष 2005 से पहले के नोट जिनपर वर्ष अंकित नहीं था का प्रचलन आरबीआई ने रोका था। इस प्रकार से विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाले तो देश में जाली मुद्रा से जुड़े समाचारों का विस्तृत इतिहास है। जिस पर बहुत कुछ लिखे जाने की अभी और आवश्यकता है।

भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
ग़ाज़ियाबाद

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार