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सम्मेद शिखर तीर्थ बचाने के लिए आमरण अनशन

देश भर में, जैन अल्पसंख्यकों द्वारा झारखंड के गिरडीह जिले में स्थित, सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन के तहत धरना, प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं। इस सर्वोच्च जैन तीर्थ की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता बचाने के लिए, एक सरकारी अध्यादेश के विरोध में इस आंदोलन का नेतृत्व सम्हाले विश्व जैन संगठन के संजय जैन दिल्ली के ऋषभ विहार में 26 दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनके समर्थन में उनके साथ एवं देश के विभिन्न भागों में लोग क्रमिक अनशन और धरने, प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगों को अलग अलग स्तर पर उठा रहे हैं। जैन साधु, संत, राष्ट्रीय और अन्य जैन संस्थाएं सभी तीर्थराज सम्मेद शिखर में सरकारी अध्यादेश से उत्पन्न धर्म विरोधी गतिविधियों को लेकर चिंतित हैं। 

आमरण अनशन पर बैठे संजय जैन का कहना है कि एक मंदिर बनाने वाली सरकार से जैन अल्पसंख्यकों के सर्वोच्च तीर्थ के लिए गुपचुप एक ऐसा अध्यादेश जारी हुआ है, जिससे धर्मविरोधी, मांस, मदिरा, व्यभिचार और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है, जो प्रत्यक्ष दिखने भी लगा है।अल्पसंख्यक जैन समाज के लिए और देश के संवैधानिक स्वरूप के लिए यह अत्यंत निराशाजनक है। उनका मानना है कि केंद्र सरकार और झारखंड सरकार दोनों का अड़ियल रवैया है और वे इस विषय में संवेदनहीन, अल्पसंख्यक विरोधी और अनुचित हैं, और वे अल्पसंख्यक जैन समाज को गुमराह कर रहे हैं। इसलिए आमरण अनशन आवश्यक है । सरकार में थोड़ी भी संवेदनशीलता होगी तो वे इस विषय की गंभीरता समझेंगे।

संपर्क 
स्वराज जैन
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