Friday, April 19, 2024
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भारत में श्वेत क्रांति के जनकः डॉ. वर्गीस कुरियन

भारत में श्वेत क्रांति के जनक और अमूल के संस्थापक वर्गीस कुरियन की 94वीं जयंती के मौके पर सर्च इंजन गूगल ने अपनी लाज़वाब पेशकश की फेहरिस्त में एक और कड़ी जोड़ते हुए अपने डूडल के जरिए उन्हें अर्थपूर्ण श्रद्धांजलि दी है। गूगल ने कुरियन को दूध का डोलची लिए हुए दिखाया है जिसमें वह एक दुधारू पशु के पास बैठे हुए हैं। डूडल में उनके पास एक भैंस खड़ी है और पास में दूध की तीन डोलची रखी हैं, जिनमें से एक को उन्होंने हाथ में थामे हुआ है।गूगल का यह डूडल भारत के ग्रामीण इलाके का चित्र भी प्रस्तुत करता है।

लिहाज़ा, कहना न होगा कि एक तस्वीर में गूगल ने दिखा दिया भारत में श्वेत क्रांति के जनक और अमूल के संस्थापक वर्गीस कुरियन की 94वीं जयंती है। किसी समय दूध की कमी से जूझने वाले भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने वाले ‘श्वेत क्रांति के जनक’ डा. वर्गीज कुरियन ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्हें भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनाने का श्रेय जाता है। स्मरण रहे कि कुरियन को 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का संस्थापक-अध्यक्ष नियुक्त किया था।

गौरतलब है कि डॉ वर्गीज कुरियन ने देश में सहकारी दुग्ध उद्योग के मॉडल की आधारशिला रखी थी। वर्गीज कुरियन का जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर 1921 को हुआ था। वर्गीस ने लोयोला कॉलेज से 1940 में स्नातक करने के बाद चेन्नई के गिंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। जमशेदपुर स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई। बेंगलुरु के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हजबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका गए जहां उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था।

डॉ.वर्गीज कुरियन ने गुजरात के आंणद में एक छोटे से गैराज से अमूल की शुरुआत करनी पड़ी। कुरियन का सपना था देश को दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर करने के साथ ही किसानों की दशा सुधारना। उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति शुरू की। उस समय डेयरी उद्योग पर निजी लोगों का कब्जा था। उन्होंने ज्ञान और प्रबंधन पर आधारित संस्थाओं का विकास किया।

डॉ.कुरियन कुरियन ने गुजरात में वर्ष 1946 में दो गांवों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 16,100 है। इस संघ से 32 लाख दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं। भैंस के दूध से पावडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे। इससे पहले गाय के दूध से पावडर का निर्माण किया जाता था।

डॉ.वर्गीस का जीवन सहकारिता के माध्यम से भारतीय किसानों को सशक्त बनाने पर समर्पित था। उन्होंने 1949 में कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड के अध्यक्ष त्रिभुवनदास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गई थी। बाद में पटेल ने कुरियन को एक डेयरी प्रसंस्करण उद्योग बनाने में मदद करने के लिए कहा जहां से ‘अमूल’ का जन्म हुआ। भैंस के दूध से पहली बार पाउडर बनाने का श्रेय भी कुरियन को जाता है। उन दिनों दुनिया में गाय के दूध से दुग्ध पाउडर बनाया जाता था।

अमूल की सफलता से अभिभूत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को अन्य स्थानों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया। कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं। साठ के दशक में भारत में दूध की खपत जहां दो करोड़ टन थी वहीं 2011 में यह 12.2 करोड़ टन पहुंच गई। 1965 के बाद के 33 वर्षों में उनके बनाए सहकारिता पर आधारित अमूल मॉडल का अनुकरण पूरे देश में किया गया। कुरियन 1965-1998 तक एनडीडीबी के संस्थापक प्रमुख, 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्‍यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे।

भारत सरकार ने वर्गीज़ कुरियन को पद्म श्री (1965), पद्म भूषण (1966), पद्म विभूषण (1999) से सम्मानित किया था। उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1963), ‘कार्नेगी वाटलर विश्व शांति पुरस्कार’, ‘वर्ल्ड फ़ूड प्राइज़’ (1989),’विश्व खाद्य पुरस्कार’ (1989), ‘कृषि रत्न’ (1986), और अमेरिका के ‘इंटरनेशनल परसन ऑफ द ईयर सम्मान’ से भी नवाजा गया। इसके अतिरिक्त ‘मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी’ और ‘तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय’ समेत कई संस्थानों ने डॉक्टरेट की उपाधि दी। वर्गीज़ कुरियन और श्याम बेनेगल ने मिलकर राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फ़िल्म ‘मंथन’ की कहानी भी लिखी है जिसे क़रीब 5 लाख किसानों ने वित्तीय सहायता दी। विश्व बैंक ने ग़रीबी उन्मूलन के लिए अमूल मॉडल को चिन्हित किया है। अमूल मॉडल को व्यापक और लोकप्रिय बनाने में वर्गीज़ की बड़ी भूमिका रही है। स्वयं जवाहरलाल नेहरू अमूल के उद्घाटन के अवसर पर आए थे।

‘द मैन हू मेड द एलिफैंट डांस’ नाम की ये ऑडियो बुक, वर्ष 2005 में छपी उनकी जीवनी, ‘आई टू हैड ए ड्रीम’ पर आधारित है। याद रहे कि इसका अनावरण करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा था, “एक सभ्य समाज वही है जो किसी के महत्वपूर्ण योगदान का आभार व्यक्त करे, अगर हमारा देश डॉ. कुरियन को भारत रत्न से सम्मानित नहीं करता तो मुझे नहीं समझ आता कि और कौन इस सम्मान के योग्य है ? बहरहाल, डॉ.कुरियन भारत के अमूल्य रत्न और अमूल के अनमोल संस्थापक तो हैं ही, इसमें दो मत नहीं कि उनके कार्यों और काबिलियत के दम पर भारत का नाम पूरी दुनिया में मशहूर हुआ है। श्वेत क्रांति के इस मसीहा के लिए डॉ.गिरिराजशरण अग्रवाल का एक मुक्तक बेशक माकूल मालूम पड़ता है कि –

सभी को देखता है, जाँचता है, प्यार करता है
वह सैलानी है मन मेरा किसी से कुछ नहीं लेता
सभी के काम आ, लेकिन न बदले की तमन्ना रख
कि सूरज रोशनी देकर ज़मीं से कुछ नहीं लेता

***
लेखक , हिन्दी विभाग, शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय
राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़ ) में प्राध्यापक हैं

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