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फतवा-ए-गजवा ए हिन्द और कश्मीर हमला, इस्लाम का1200 साल का खूनी इतिहास

तीन साल पहले कश्मीर के पुलवामा में हुई आतंकी घटना में भारतीय सेना के 45 योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए। इस घटना से सारे देशवासी स्तब्ध थे और इस घटना के जिम्मेदार लोगों को यथोचित सबक सिखाने को प्रेरित हैं। वही दूसरी ओर हमारे ही देश के टुकड़ों पर पलने वाली कुछ शहरी नक्सली अपनी राजनीतिक रोटियों को सेकने के चक्कर में इस हमले की आड़ में मोदी जी को दोषी बता रहे हैं। हम उनसे पूछते है कि क्या पूर्व सरकारों की दौरान हमले नहीं हुए? क्या 1200 वर्षों से हो रहे इस्लामिक हमलों के लिए भी मोदी जी उत्तरदायी है? नहीं। तो फिर यह बेशर्मी भरे बयान देकर आप लोग जिस तथ्य को छुपाना चाहते हैं। हम उसी तथ्य को इस लेख में उजागर करेंगे।

ध्यातव्य है कि इस घात का उत्तरदायित्व पाकिस्तान स्थित “جیش محمد(जैश ए मुहम्मद अर्थात् मुहम्मद की सेना) ने लिया है ।

यह वही आतंकी कुगठन है जिसके निर्माता मौलाना मसूद मुहम्मद अज़हर को बचाने हेतु 24 दिसम्बर 1999 में विमान Indian Airlines Flight 814, commonly known as IC 814 के 176 यात्रियों का अपहरण किया गया था । *”कंधार काण्ड”*

मार्च 2000 में मौलाना मसूद मुहम्मद अज़हर ने *” हरकत उल मुज़ाहिदीन”* को बाँटकर “जैश ए मुहम्मद” की स्थापना की ।

दिसम्बर 2001 में जैश ए मुहम्मद (मुहम्मद की सेना) ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर नई दिल्ली में भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला किया ।

आज का आत्मघाती घात करने वाला आतंकी पुलवामा का “आदिल अहमद डार उर्फ वक़ास” अपने वीडियो में जिहाद और मुहम्मद का उल्लेख कर रहा है ।

ऐसे कार्यों की प्रेरणा इन्हें कुरआन से मिलती है मैं कुछ आयत प्रस्तुत करता हूं जो इन लोगों का मूल ध्येय है ।

فَإِذَا انسَلَخَ الْأَشْهُرُ الْحُرُمُ فَاقْتُلُوا الْمُشْرِكِينَ حَيْثُ وَجَدتُّمُوهُمْ وَخُذُوهُمْ وَاحْصُرُوهُمْ وَاقْعُدُوا لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍ فَإِن تَابُوا وَأَقَامُوا الصَّلَاةَ وَآتَوُا الزَّكَاةَ فَخَلُّوا سَبِيلَهُمْ إِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
कुरआन-सुरा-अत् तौबा ९/५

फिर, जब हराम महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों(मूर्तिपूजकों) को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें (क्षमा माँगे)और नमाज़ क़ायम करें (अर्थात् मुसलमान बनें) और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, रहिम है ।

ُ الَّذِينَ كَفَرُوا فَضَرْبَ الرِّقَابِ حَتَّى إِذَا أَثْخَنتُمُوهُمْ فَشُدُّوا الْوَثَاقَ فَإِمَّا مَنًّا بَعْدُ وَإِمَّا فِدَاءً حَتَّى تَضَعَ الْحَرْبُ أَوْزَارَهَا ذَلِكَ وَلَوْ يَشَاءُ اللَّهُ لَانتَصَرَ مِنْهُمْ وَلَكِن لِّيَبْلُوَ بَعْضَكُم بِبَعْضٍ وَالَّذِينَ قُتِلُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ فَلَن يُضِلَّ أَعْمَالَهُمْ

कुरआन-सुरा-मुहम्मद ४७/४(मदीनन)

अतः जब क़ाफिरों से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने यह आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और *जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ न करेगा ।*

سَيَهْدِيهِمْ وَيُصْلِحُ بَالَهُمْ
४७/५
वह(अल्लाह) उनका(जिहादीयों का) मार्गदर्शन करेगा और उनका हाल ठीक कर देगा ।

وَيُدْخِلُهُمُ الْجَنَّةَ عَرَّفَهَا لَهُمْ
४७/६
और उन्हें जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है ।

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِن تَنصُرُوا اللَّهَ يَنصُرْكُمْ وَيُثَبِّتْ أَقْدَامَكُمْ
४७/७
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो(मुसलमान हुए हो), यदि तुम अल्लाह की सहायता करोगे तो वह तुम्हारी सहायता करेगा और तुम्हारे क़दम जमा देगा ।

وَالَّذِينَ كَفَرُوا فَتَعْسًا لَّهُمْ وَأَضَلَّ أَعْمَالَهُمْ
४७/८
रहे वे लोग जो क़ाफिर हैं, तो उनके लिए तबाही है। और उनके कर्मों को अल्लाह ने अकारथ कर दिया ।

ذَلِكَ بِأَنَّ اللَّهَ مَوْلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَأَنَّ الْكَافِرِينَ لَا مَوْلَى لَهُمْ

४७/११
यह इसलिए कि जो लोग ईमान लाए(अर्थात् मुसलमान बने हैं) उनका संरक्षक अल्लाह है और यह कि क़ाफिरों का कोई संरक्षक नहीं ।

فَاعْلَمْ أَنَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَاسْتَغْفِرْ لِذَنبِكَ وَلِلْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مُتَقَلَّبَكُمْ وَمَثْوَاكُمْ
४७/१९
अतः जान रखों कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई इबादत(पूजने) योग्य माबुद नहीं। और अपने गुनाहों के लिए क्षमा-याचना करो और मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों के लिए भी। अल्लाह तुम्हारी चलत-फिरत को भी जानता है और तुम्हारे ठिकाने को भी ।

अब आप पाठकों को विदित हुआ होगा कि इस जिहाद के कारण गत 1200 वर्षों से भारतवर्ष ने क्या-क्या और किस लिए खोया है । कोई भी शहरी नक्सली कभी आपको क़ुरान में गैर मुसलमानों अर्थात काफिरों के प्रति द्वेष सिखाने वाली आयत नहीं बताएगा। कोई भी आपको गज़वा-ए-हिन्द का फ़तवा अर्थात हर मोमिन का उद्देश्य है कि वह हर हिंदुस्तानी काफ़िर से तब तक संघर्ष करता रहे जब तक कि वह उस पर विजय प्राप्त न कर ले। ऐसा नहीं बताएगा।

इसलिए हिन्दुओं सुनों। परमपिता परमात्मा की कल्याणी वाणी श्रुति भगवती (वेद) ऋग्वेद ९/६३/५ की आज्ञा है कि अपघ्नन्तो अराव्ण: अर्थात् _”शत्रुओं का नाश करो ।”

यही आशा हम देश के प्रधानमंत्री मोदी जी से करते है।