Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेनवविवाहित जोड़े गौ शाला के लिए देंगे दान

नवविवाहित जोड़े गौ शाला के लिए देंगे दान

जयपुर। हर साल गर्मियों के मौसम में जानवरों का चारा महंगा हो जता है। गाय-भैंस पालने वालों को हर साल चारे की दिक्कत झेलनी पड़ती है। इस मसले को सुलझाने के मकसद से करौली जिले की गौशाला समिति और शादियों में इस्तेमाल होने वाले मैरेज गार्डन्स संगठन ने मिलकर एक अनोखी पहल की है। इसके तहत मैरेज गार्डन्स में शादी करने वाले हर एक विवाहित जोड़े को अपनी शादी के दिन गायों के चारे के लिए कुछ रकम दान में देनी होगी। जोड़े में पति-पत्नी को अलग-अलग डेढ़ हजार रुपये से लेकर अपनी इच्छानुसार दान देने की छूट होगी। इस रकम का इस्तेमाल प्रदेश के मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम करने में किया जाएगा।

यह पहल पड़ोस के हिंदौन सिटी स्थित गांवों के ग्रामीणों की शिकायत के बाद की गई है। किसान शिकायत कर रहे थे कि आवारा गायें उनके खेतों में लगी सरसों और बाकी फसलों को खा रही हैं। हिंदौन शहर के मैरेज गार्डन असोसिएशन के महासचिव शैलेंद्र गोयल ने बताया, ‘किसानों ने सभी आवारा गायों को पकड़ा और उन्हें इलाके की 2 मुख्य गोशालाओं में छोड़ आए। अब उनके चारे का इंतजाम करना बड़ी दिक्कत बन गया है। गौशाला समिति और शहर के बाकी लोगों के साथ इस मसले पर एक बैठक की गई। बैठक में फैसला किया गया कि दूल्हा और दुल्हन दोनों से न्यूनतम डेढ़ हजार रुपये का दान गाय के चारे के लिए लिया जाएगा।’

गोयल ने कहा कि किसी पर इस दान के लिए जोर नहीं डाला जाएगा। उन्होंने आगे कहा, ‘चूंकि यह दान है, इसीलिए हम लोगों पर पैसा देने के लिए जोर नहीं डाल सकते हैं। जो लोग स्वेच्छा से दान देने को तैयार होंगे और गौसेवा में दिलचस्पी दिखाएंगे, उन्हें उनके द्वारा दी गई आर्थिक सहायता के एवज में स्मृति चिह्न भी दिया जाएगा।

यह फैसला मंगलवार को लिया गया। मैरेज गार्डन्स के मालिक और गौसेवा समिति वाले अब शनिवार का इंतजार कर रहे हैं। इस दिन शहर में कम से कम 15 शादियां होने वाली हैं। गौशाला समिति के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने एक दानपेटी बनाई है और उसके ऊपर स्टिकर लगाकर मैरेज गार्डन्स में रख दिया है। स्टिकर पर वर-वधू जोड़ों और उनके परिवार को इस मसले पर जागरूक करने के लिए संदेश लिखा गया है।’

पहले भी इसी तरह झूंझनू जिले में एक गैर सरकारी संस्थान ने नवविवाहित जोड़ों को अपनी शादी के दिन एक पेड़ लगाने और 2 साल तक उस पेड़ की देखभाल करने की अपील की थी।

साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार