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रावण से राम तक

आइए आज दशहरे पर दो बातों पर ध्यान देते हैं:
पहली, दशमलव प्रणाली में मूलभूत संख्याएँ दस ही हैं – शून्य से लेकर नौ तक। इतने ही महापंडित ज्ञानी रावण के मुख भी हैं। बाकी सारी संख्याएँ इन्हीं दस संख्याओं से बनी हैं। संख्याएँ जहाँ तक जा सकती हैं वहां तक रावण के मुख मिलकर जा सकते हैं। इस का भावार्थ समझा जाए तो सकल जगत में रावण के मुख जा सकते हैं और अब यह एक सत्य भी है। प्राणी चाहे मानव हो या जानवर कहीं न कहीं रावण से प्रभावित दिखाई देते हैं। रावण में गुण भी थे और अवगुण भी। जो सबसे बड़ा अवगुण था वो था – अहंकार। बड़े साम्राज्य के स्वामी, अद्वितीय इंजीनियर, महापंडित जैसे व्यक्ति को अहंकार हो जाना स्वाभाविक तो नहीं है क्योंकि अहंकार पर भी रावण को पूरा ज्ञान होगा। खैर, हम बात कर रहे हैं आज के जगत की। रावण का सबसे बड़ा अवगुण आज लगभग प्रत्येक प्राणी में है। इसके अलावा भी रावण के गुण और अवगुण हम प्राणियों में कहीं न कहीं दृष्टिगोचर हो ही जाते हैं।

वहीँ दूसरी तरफ राम के लिए कहा गया है:

नाम चतुर्गन पंचयुग कृत द्वौ गुनी बसु भेखि।
सकल चराचर जगत में राम हि देखी।।

इसका भावार्थ यह निकलता है कि “पूरी दुनिया कोई भी नाम हो, चाहे वह जीव हो या निर्जीव, उस नाम में राम नाम छुपा हुआ है।”

इसे सिद्ध करने का प्रयास करते हैं।
एक गणितीय सूत्र है – ((((n x 4) + 5) x 2 ) / 8 )) इसका शेषफल हमेशा 2 ही रहता है। राम नाम में भी दो ही अक्षर हैं। n को शून्य से लेकर कुछ भी रख दीजिये यहाँ दो ही आएगा। ऐसे और भी कई सूत्र हैं, लेकिन इस सूत्र की खास बात शेषफल का दो होना है। दो ही अक्षर राम के हैं। तो गणित के ही ऐसे सूत्र हैं जो गणित को उलझा देते हैं। एक ही जगह आकर ठहर जाते हैं।

यह दो बातें मेरे अनुसार यह दर्शाती हैं कि रावण के कई गुण और अवगुण हम सभी में हैं। इन्हीं गुणों/अवगुणों का सही तरह मंथन करें तो राम तक पहुंचा जा सकता है। हमें करना क्या है – केवल एक ही सूत्र स्थापित करना है। वही एक सूत्र सारे गुणों – सारे अवगुणों को नष्ट कर राम तक पहुंचा देगा।

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

शिक्षा: पीएच.डी. (कंप्यूटर विज्ञान)

सम्प्रति: सहायक आचार्य (कंप्यूटर विज्ञान)

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